दिव्यांगता और आर्थिंग तंगी भी नहीं रोक पाई हौंसले का रास्ता

Disabled student sangram sing  has taken admission in the college
दिव्यांगता और आर्थिंग तंगी भी नहीं रोक पाई हौंसले का रास्ता
दिव्यांगता और आर्थिंग तंगी भी नहीं रोक पाई हौंसले का रास्ता

डिजिटल डेस्क, उमरिया। शिक्षा पाने यदि सच्ची लगन व इच्छा शक्ति हो तो उम्र और शारीरिक दिव्यांगता भी आपको नहीं रोक सकती। इस कथन को सिद्ध किया है महज सवा दो फीट ऊंचाई के दिव्यांग छात्र संग्राम सिंह ने। 29 साल की उम्र में इन्होंने शासकीय रणविजय प्रताप सिंह महाविद्यालय उमरिया में स्नातक प्रथम वर्ष में प्रवेश लिया है। बिरसिंहपुरपाली विकासखण्ड के ग्राम सरवाहीकला का रहने वाला संग्राम सिंह बचपन से ही पैरों में दिव्यांग है। यूं ही संघर्ष करते हुए उसने पहले गांव में फिर उमरिया से हायर सेकेण्डरी की पढ़ाई उत्तीर्ण की। अब कॉलेज में स्नातक कर शासकीय नौकरी करना चाहता है।

कठुआ गाड़ी से जाता था स्कूल

शारीरिक दिव्यांगता के चलते पैरों से चलने में अस्मर्थ संग्राम सिंह की पढ़ाई का सफर शुरुआत से ही बड़ा संघर्षमय रहा है। परिवार में पिता के पास चार भाई व दो बहनों की जिम्मेदारी भी थी। आदिवासी बाहूल्य सरवाही कला में पिता भारत सिंह ने सभी बच्चों का पालन पोषण आर्थिंक तंगी के बीच ही किया। यही कारण है कि आज की आधुनिक सुविधा उसे बचपन में नहीं मिल पाईं। दिव्यांग को पढ़ाई में दिलचस्पी थी लेकिन अन्य भाईयों के साथ स्कूल जाने में उसे दिक्कत होती थी। इसलिए पिता ने कठुआ (लकड़ी से बनी खिलौने वाली गाड़ी) गाड़ी बना दी थी। इसमे बैठाकर रोज भाई स्कूल लेकर जाते थे। प्राथमिक पढ़ाई गांव में हुई। फिर 10 किमी. दूर जाकर बन्नौदा से मिडिल उत्तीर्ण किया। आगे की पढ़ाई के लिए संग्राम ने घर छोड़ उमरिया कॉलरी स्कूल में प्रवेश लिया। यहां हास्टल में रहकर हायर सेकेण्डरी उत्तीर्ण की।

लक्ष्य जो प्राप्त करना है

दैनिक भास्कर से अपने अनुभव साझा करते हुए संग्राम सिंह का कहना है बेशक दिव्यांग छात्रों को अन्य मुकाबले दिक्कते ज्यादा होती है। मुझे भी हुईं लेकिन मैंने हार नहीं मानी। अपनी कमी को समझकर मजबूत पक्ष बनाया। मन में सरकारी नौकरी का लक्ष्य लेकर पढ़ता रहा। आर्थिंक तंगी के चलते बीच में व्यवधान भी हुआ। फिर भी नियमित, स्वाध्यायी के माध्यम से 2010 में 10वीं तथा 2012 में मैंने हायर सेकेण्डरी उत्तीर्ण कर ली। अब कॉलेज पूर्ण करते हुए नौकरी पाने का लक्ष्य सामने है।

प्रेरणादायी बात

यह बहुत प्रेरणादायक बात है कि छात्र में पढ़ाई व कुछ करने की  दृण इच्छा शक्ति है। इससे सभी को सबक लेते हुए अपना लक्ष्य प्राप्त करने का प्रयास करना चाहिए। साथ ही यह दिखाता है कि व्यक्ति दिव्यांगता के बाद भी जीवन में सकारात्मकता ढंग से आगे बढ़ सकता है। सीबी सोंदिया, प्राचार्य शासकीय लीड कॉलेज उमरिया।

Created On :   4 Aug 2019 3:53 PM GMT

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