किसानों को नहीं मिली फसल बीमा की राशि,सहकारी बैंक की मनमानी से 2.61 करोड़ की चपत

District Cooperative Central Banks have to pay Rs. 2 crore, 61 lakhs
किसानों को नहीं मिली फसल बीमा की राशि,सहकारी बैंक की मनमानी से 2.61 करोड़ की चपत
किसानों को नहीं मिली फसल बीमा की राशि,सहकारी बैंक की मनमानी से 2.61 करोड़ की चपत

डिजिटल डेस्क, छतरपुर । जिला सहकारी केंद्रीय बैंक के अधिकारियों की मनमानी से बैंक को 2 करोड़ 61 लाख रुपए चुकाना होंगे। यह आदेश बैंक को केंद्रीय कृषि मंत्रालय एक साल पहले दे चुका है लेकिन बैंक के अधिकारी इस आदेश को रिकार्ड में दफन किए हुए हैं। चूंकि राशि किसानों को देना है इस कारण मामला दबा हुआ है। इसके साथ ही बैंक प्रशासन इन दोषी अधिकारियों के खिलाफ कोई कार्रवाई भी नहीं कर रहा है। मामला फसल बीमा योजना से जुड़ा हुआ है। सहकारी बैंक ने 3 हजार से अधिक किसानों की फसल बीमा की प्रीमियम राशि बीमा कंपनी को नहीं भेजी, जब फसल तबाह हुई और किसानों ने बीमा राशि की मांग की तो बैंक प्रबंधन ने किसानों को गुमराह करके मामले को दबाने का प्रयास किया। मामला केंद्रीय कृषि मंत्रालय तक पहुंचा। केंद्रीय कृषि मंत्रालय ने स्पष्ट आदेश दिया कि किसानों को बीमा राशि का भुगतान किया जाए यह राशि बैंक को ही देना होगी। 

क्या है मामला
जिले में वर्ष 2015 में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत जिले भर के किसानों की फसल का बीमा सेवा सहकारी समितियों के माध्यम से किया गया था। इसमें जिला सहकारी केंद्रीय बैंक शाखा घुवारा के अंतर्गत आने वाली 7 सेवा सहकारी समितियों के 3631 किसानों ने भी अपनी फसल का बीमा कराया था। इन किसानों की बीमा प्रीमियम राशि 24 लाख 68 हजार रुपए घुवारा शाखा द्वारा जिला सहकारी केंद्रीय बैंक के जिला मुख्यालय पर भेज दी गई, लेकिन जिला सहकारी केंद्रीय बैंक में पदस्थ तत्कालीन महाप्रबंधक और लेखाधिकारी द्वारा इस प्रीमियम राशि को एग्रीकल्चर इंश्योरेंस कंपनी को नहीं भेजा। यह राशि ब्रांच में ही पड़ी रही। इधर सूखा के कारण फसल तबाह होने पर पूरे जिले के किसानों को बीमा कंपनी ने बीमा राशि प्रदान की, लेकिन घुवारा तहसील क्षेत्र के 3631 किसानों को यह राशि नहीं मिली। इस पर किसानों ने आंदोलन किया। इस आंदोलन को दबाने के लिए महाप्रबंधक और जिले के अधिकारियों को आश्वासन दिया कि बीमा कंपनी से राशि मिलते ही उन्हें प्रदान की जाएगी। लेकिन जब प्रीमियम राशि बीमा कंपनी को भेजी ही नहीं थी तो बीमा राशि आने का सवाल ही नहीं उठता है। इधर किसानों ने एग्रीकल्चर बीमा कंपनी को भी पत्र लिखा। इस पर बीमा कंपनी ने स्पष्ट लिखित दिया कि जब उनके पास प्रीमियम राशि नहीं आई है तो वे बीमा राशि का भुगतान नहीं कर सकते हैं।

केंद्रीय कृषि मंत्रालय का आदेश रिकार्ड में दफन
इस गंभीर मामले की शिकायत पीएमओ और केंद्रीय कृषि मंत्रालय को की गई। इस पर केंद्रीय कृषि मंत्रालय ने मामले की जांच कराई तो जांच में मिला कि तत्कालीन लेखाधिकारी, महाप्रबंधक और मुख्य शाखा के प्रबंधक की मिलीभगत से यह घोटाला हुआ है। कृषि मंत्रालय ने माना कि प्रीमियम जमा करने वाले 3631 किसानों को 2 करोड़ 61 लाख रुपए बीमा राशि मिलना चाहिए। इस पर केंद्रीय कृषि मंत्रालय ने 24 अक्टूबर 17 को महाप्रबंधक जिला सहकारी केंद्रीय बैंक को आदेश दिया कि इस राशि का भुगतान किसानों को किया जाए। चूंकि प्रीमियम राशि बीमा कंपनी को नहीं मिली है इसके लिए पूरी तरह से दोषी बैंक प्रबंधन है ऐसे में राशि का भुगतान जिला सहकारी केंद्रीय बैंक को करना होगा। चूंकि मामला किसानों से जुड़ा हुआ है और जिन किसानों को यह राशि मिलना है उन्हें इस आदेश की जानकारी नहीं है इसका फायदा उठाते हुए बैंक प्रबंधन ने केंद्रीय कृषि मंत्रालय के इस आदेश को रिकार्ड में दफन कर दिया है।

फिर से शुरू हुई जांच
इस गंभीर मामले को लेकर सहकारिता से जुड़े कुछ लोगों ने पिछले दिनों सचिव और रजिस्ट्रार सहकारिता विभाग को शिकायत भेजी थी। इस पर यह मामला आयुक्त सहकारिता ने उप पंजीयक सहकारी संस्थाएं को इस मामले में हुई कार्रवाई के संबंध में जानकारी मांगी है। इस संबंध में उप पंजीयक सहकारी संस्थाएं मुकेश जैन का कहना है कि मामले की जांच समिति गठित की गई है। जांच कराई जा रही है। जांच रिपोर्ट विभाग को भेजी जाएगी।

 

Created On :   20 Dec 2018 7:55 AM GMT

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