हर 5 साल में बाजार मूल्य के आधार पर लगेगा डायवर्सन शुल्क !

Diversion duty will be charged in every 5 years based on market value
हर 5 साल में बाजार मूल्य के आधार पर लगेगा डायवर्सन शुल्क !
हर 5 साल में बाजार मूल्य के आधार पर लगेगा डायवर्सन शुल्क !

डिजिटल डेस्क जबलपुर।  भूमि का कमर्शियल उपयोग करने वालों द्वारा वसूले जाने वाले डायवर्सन शुल्क के नियमों में जल्द ही फेरबदल होने जा रहा है। पता चला है कि अब बाजार मूल्य के आधार पर प्रत्येक 5 वर्षों में डायवर्सन आदेश का नवीनीकरण किया जाएगा। दरअसल, एक बार डायवर्सन होने के उपरांत लम्बी अवधि तक वही दर कायम रहती है। जबकि भूमि की गाईडलाईन के अनुसार भूमि का बाजार मूल्य कई गुना बढ़ जाता है। ऐसी स्थिति में प्रत्येक पांच वर्षों के अंतराल में डायवर्सन आदेश का नवीनीकरण बाजार मूल्य के आधार पर करने का प्रस्ताव शासन स्तर पर रखा गया है। प्रस्ताव में कहा गया है कि यह शायन की आय के लिए एक अच्छा स्रोत साबित हो सकता है। क्योंकि पांच साल के अवधि में भूमि का मूल्य बढऩे से इसके डायवर्सन शुल्क की गणना में भी यकीकन बढ़ोत्तरी होगी जो शासकीय कोष के लिए भी लाभप्रद साबित होगी। इसके साथ ही जिन लोगों द्वारा डायवर्सन स्वेच्छा से नहीं कराया जाता और भूमि का प्रयोग बदल-बदल कर लाभ प्राप्त किया जाता है, उन बकायादारों को हतोत्साहित करने के लिए 2 प्रतिशत के अर्थदण्ड को बढ़ाने पर भी विचार किया जा रहा है। जानकारों का कहना है कि यदि सब कुछ ठीक रहा, शासन जल्द ही इस दिशा में नए आदेश जारी कर सकता है। गौरतलब है कि इस मामले पर भू-संहिता में बदलाव को लेकर भूमि सुधार आयोग के समक्ष भी सुझाव प्रस्तुत किए जा चुके हैं।
शहरी एवं ग्रामीण कॉलोनाईजेशन में भी होगा बदलाव-
सूत्रों की माने तो शहरी एवं ग्रामीण कॉलोनाईजेशन के नियमों में भी बदलाव के लिए विचार-विमर्श शासन स्तर पर जारी है। इसके तहत शहरी एवं ग्रामीण कॉलोनाईजेशन के पूर्व प्रत्येक ग्राम और शहर का एक सुनिश्चित मास्टर प्लान होने का प्रस्ताव रखा गया है, जिसका व्यापक प्रसार भी किया जा सकता है। वहीं कृषि उपयोगी एवं अच्छी उपजाऊ भूमि का उपयोग कृषि के अलावा कॉलोनाईजेशन के लिए नहीं करने पर भी विचार किया जा रहा है। इसके अलावा कॉलोनी बसाहट एवं विकास हेतु बंजर एवं कृषि हेतु अनुपायोगी भूमि का उपयोग कॉलोनाईजेशन के लिए किया जा सकता है। ऐसी भूमियों को मास्टर प्लान में अलग-अलग चिन्हित किया जाएगा। इस संबंध में नगर पालिका अधिनियम, पंचायत अधिनियम एवं भू राजस्व संहिता की धारा 172 के प्रावधानों में सामन्जस्य बैठाने का भी प्रस्ताव शासन को दिया गया है।
बकाया राशि जमा करने होगी ऑनलाईन व्यवस्था-
भू राजस्व के बकाया एवं वसूल की गई राशि को खातेदार द्वारा सुविधाजनक रुप से जमा करने के लिए ऑनलाईन व्यवस्था भी जल्द लागू हो सकती है। इसके लिए भू-अभिलेख का डाटा एमपी ऑनलाईन जैसे शासकीय पोर्टल से लिंक किया जा सकता है, ताकि भू-राजस्व एवं डायवर्सन शुल्क जैसी वसूली योग्य राशि आवेदक निर्धारित मद में स्वयं जमा करा सके। इससे शासकीय वसूली में होने वाले श्रम एवं समय की बचत होगी और शासक की आय में वृद्धि होगी। इसके अलावा दो किश्तों के बाजय एक मुश्त राजस्व वसूली  किए जाने के नियम बनाने को लेकर भी विचार किया जा रहा है। ऐसा इसलिए है, क्योंकि व्यवहारिक रुप से भी वर्ष की दोनों किश्तों की वसूली एक साथ ही की जाती है। इसके साथ ही नगरेत्तर क्षेत्र में आबादी भूमि पर व्यवसायिक प्रयोजन हेतु बने भवनों का भू-राजस्व निर्धारित करने पर भी विचार किया जा रहा है।
सुझाव दिए गए हैं-
इस संबंध में बीते दिनों भूमि सुधार आयोग की बैठक में सुझाव दिए गए हैं। फिलहाल इस पर शासन स्तर पर विचार किया जा रहा है। संभवत: जल्द ही नियमों में फेरबदल हो सकता है।

- महेशचन्द्र चौधरी, कलेक्टर

 

Created On :   23 Nov 2017 3:56 AM GMT

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