आज ऐसे करें गोवर्धन पूजा, जानें शुभ मुहूर्त और पूरी विधि

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आज ऐसे करें गोवर्धन पूजा, जानें शुभ मुहूर्त और पूरी विधि
आज ऐसे करें गोवर्धन पूजा, जानें शुभ मुहूर्त और पूरी विधि

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। दिवाली के बाद कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को गोवर्धन पूजा की परंपरा है। इस त्योहार को उत्तर भारत में धूमधाम से मनाया जाता है। वहीं दक्षिण में भी कुछ स्थानों पर इसकी परंपरा है। इस वर्ष यह 20 अक्टूबर 2017 अर्थात दिवाली के एक दिन बाद शुक्रवार को मनाया जा रहा हैैै।।

पौराणिक कथा के अनुसार इस दिन भगवान श्रीकृष्ण ने इंद्र के अभिमान को चूर-चूर कर गोवर्धन पर्वत को अपनी छोटी अंगुली पर उठाया था। इसलिए प्रतीक के रूप में श्रद्धालु गोबर के गोवर्धन बनाकर विधि-विधान से उनका पूजन करते हैं। साथ ही उनके सम्मुख श्रीकृष्ण गाय ग्वाल-बालों, इंद्रदेव, वरुणदेव, अग्निदेव, और राजा बलि का भी पूजन किया जाता है। गोवर्धन पूजा सात दिनाें भयंकर प्राकृितक अापदा के बाद शुरू हुई थी। भगवान कृष्ण के समय से ही गोवर्धन पूजन की ये परंपरा निरंतर जारी है।

गोवर्धन पूजा कथा 

पुराणों में उल्लेख मिलता है कि एक बार श्रीकृष्ण अपने मित्र ग्वालों के साथ पशु चराते हुए गोवर्धन पर्वत जा पहुंचे। किसी उत्सव की तैयारियां की जा रही हैं। इसका कारण पूछने पर उन्हें इंद्र की पूजा के बारे बताया गया। जिनकी कृपा से ब्रज में वर्षा होती है और ब्रजवासी अन्न उत्पन्न करते हैं। उनकी ये बात सुनकर कृष्ण ने उन्हें गोवर्धन का महत्व बताया और कहा वह इंद्र से अधिक शक्तिवान है जिसकी वजह से वर्षा होती है। उनकी बात सुनकर सभी ने गोवर्धन पूजा का निर्णय लिया। जब यह बात इंद्रदेव को पता चली तो उन्होंने क्रोधित होकर मेघों को आज्ञा दी कि वे गोकुल में जाकर मूसलाधार बारिश करें। भयावह बारिश से भयभीत होकर सभी गोप.ग्वाले श्रीकृष्ण के पास गए। यह जान श्रीकृष्ण ने सबको गोवर्धन पर्वत की शरण में चलने के लिए कहा। सभी अपना सामान, गाय आदि लेकर गोवर्धन की तराई में चले गए और कन्हैया ने उसे अपनी छोटी अंगुली पर उठाकर सभी की रक्षा की।

सात दिनों तक लगातार बारिश के बाद भी किसी का कोई नुकसान नहीं हुआ। इस पर इंद्र को ब्रम्हदेव ने भगवान विष्णु के कृष्ण अवतार के बारे में बताया जिसके बाद वह कान्हा की शरण में आ गए। सातवें दिन कृष्ण ने गोवर्धन को भूमि पर रखा और कहा हर वर्ष गोवर्धन पूजा के लिए कहा तभी से गोवर्धन पूजन की परंपरा प्रारंभ हो गई। महाराष्ट्र में इस दिन को विष्णु अवतार वामन की राजा बलि पर विजय के रूप में भी मनाया जाता है। अतः इस पर्व को बलि प्रतिपदा भी कहा जाता है।

गोवर्धन पूजा 2017 शुभ मुहूर्त

गोवर्धन पूजा प्रातःकाल मुहूर्त :  06:28 से 08:43 बजे तक
गोवर्धन पूजा सायं काल मुहूर्त : दोपहर बाद 03:27 बजे से सायं 05:42 बजे तक
प्रतिपदा तिथि प्रारंभ : रात्रि 00:41 बजे से (20 अक्टूबर 2017)
प्रतिपदा तिथि समाप्त : रात्रि 1:37 बजे तक (21 अक्टूबर 2017)

Created On :   14 Oct 2017 4:27 AM GMT

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