कर्नाटक: शिवकुमार की रणनीति से भारी पड़ी मोदी-शाह की टीम पर

DK Shivakumar is an all weather man for Congress in Karnataka politics
कर्नाटक: शिवकुमार की रणनीति से भारी पड़ी मोदी-शाह की टीम पर
कर्नाटक: शिवकुमार की रणनीति से भारी पड़ी मोदी-शाह की टीम पर

डिजिटल डेस्क, बेंगलुरू। कर्नाटक में विधानसभा चुनाव परिणाम के बाद प्रचंड सियासत शुरू हुई। बहुमत से जीत का दावा करने वाली बीजेपी, कांग्रेस और जेडीएस ने अपनी साख बचाने के लिए आर-पार की लड़ाई लड़ी। अन्य राज्यों की तरह इस लड़ाई में भी बीजेपी ने अपनी जीत का परचम लहराया और राज्य में बीजेपी के येदियुरप्पा ने सत्ता की कमान संभाल ली, लेकिन वो सिर्फ 55 घंटे ही राज कर पाए। अब कर्नाटक में कांग्रेस- जेडीएस गंठबंधन की सरकार बनेगी। जेडीएस के कुमार स्वामी राज्य के किंग बनेंगे। हालांकि भारी मत हासिल करने वाली बीजेपी के सामने ये कोई छोटा काम नहीं था। बीजेपी जीत का जश्न भी नहीं खत्म कर पाई थी और कांग्रेस के ऑल वेदर मैन डीके शिवकुमार की रणनीति ने राज्य की सत्ता ही पलट दी।

 

 

कर्नाटक की राजनीति में डीके शिवकुमार कांग्रेस के चाणक्य भूमिका निभाते हैं। इस बार भी उनकी ही रणनीति ने बीजेपी के हाथ से सत्ता की कमान छीन ली। इस जीत का असली श्रेय सिद्धरमैया सरकार में मंत्री रह चुके कांग्रेस के विधायक डीके शिवकुमार को ही जाता है। शिवकुमार की रणनीति ने बीजेपी के सारे दांव फेल कर दिए।

 

 

बहुमत साबित करने के लिए एक - एक विधायक के लिए मार मची हुई थी ऐसे समय में जिसने कांग्रेस के सभी विधायकों को एकजुट रखा वो डीके शिवकुमार ही हैं। इन्होंने चार दिनों तक सभी कांग्रेसी विधायकों को सेंधमारी से बचाए रखा। 

 


सात बार विधायक रह चुके डीके शिवकुमार ने विधानसभा में शक्ति परीक्षण के पहले ही भविष्यवाणी कर दी थी येदुरप्पा बहुमत साबित नहीं कर पाएंगे। उन्हें इस्तीफा ही देना पड़ेगा। शिवकुमार ने ये दावा सिर्फ हवा में नहीं किया था। वो लगातार कांग्रेस के हर एक विधायक पर नजर रखे हुए थे। यहां तक कि जब दो विधायक प्रताप गौड़ा और आनंद सिंह विधानसभा नहीं पहुंचे और कहा जाने लगा कि वो बीजेपी के खेमे में जा चुके हैं। उस समय भी शिवकुमार ने आश्वस्त होकर कहा कि वो आएंगे। वो कांग्रेस के हैं और कांग्रेस की ओर से ही वोट देंगे। 

 


शिवकुमार का ये दावा भी सही साबित हुआ जब विश्वास मत के पहले आनंद सिंह और प्रताप गौड़ा विधानसभा पहुंच गए। दरअसल कर्नाटक में त्रिशंकु विधानसभा के परिणाम आने के बाद ही कांग्रेस ने शिवकुमार को सभी कांग्रेसी विधायकों को एकजुट रखने की जिम्मेदारी सौंप दी थी। बेंगलुरु के ईगलटन रिसॉर्ट से लेकर हैदराबाद तक और फिर वहां से विधानसभा तक कांग्रेसी विधायकों को पहुंचाने की जिम्मेदारी को उन्होंने बखूबी निभाया। यहां तक कि जब ईगलटन रिसॉर्ट में पुलिस हटा ली गई तब भी शिवकुमार ने कहा विधायकों की सुरक्षा पर कोई खतरा नहीं है।

 

 

महाराष्ट्र में 2002 में कांग्रेस नेतृत्व वाली विलासराव सरकार गिरने वाली थी। तब हार को देखते हुए सभी विधायक कर्नाटक भेज दिए गए थे। जहां एसएम कृष्णा की सरकार थी। कृष्णा ने विधायकों को सुरक्षित रखने की जिम्मेदारी शहरी विकास मंत्री डीके शिवकुमार को दी गई थी। शिवकुमार तब भी बेंगलुरु के बाहर स्थित ईगलटन रिजॉर्ट ले गए और एक हफ्ते तक उनकी देखरेख में थे। विश्वासमत के दिन उन्हें सुरक्षित मुंबई लाए और इस तरह विलासराव की सरकार गिरने से बच गई। इसके बाद गांधी परिवार से उनके संबंध और मजबूत हो गए।

 

 

डीकेएस (  DKS ) के नाम से मशहूर शिवकुमार कर्नाटक की पॉलिटिक्स में काफी चर्चित हैं। वो गौड़ा परिवार के गढ़ में उनसे ही लड़ते हुए राज्य की राजनीति में ऊपर तक पहुंचे हैं। शिवकुमार वोक्कालिगा हैं और उन्होंने 1989 में कनकपुरा के सथनूर में पहला विधानसभा चुनाव जीता था। इस चुनाव में उन्होंने एचडी देवगौड़ा को हराया था। 

 

 

1990 में जब एस बंगरप्पा सीएम बने तो उन्होंने शिवकुमार की काबिलियत को पहचाना और उन्हें जेल होमगार्ड प्रोफाइल के साथ मंत्री बना दिया। उस वक्त शिवकुमार सिर्फ 29 साल के थे। 1994 में जनता दल सत्ता में आई तब भी वो खुद को बचाए रखे। देवगौड़ा के पीएम रहते हुए भी शिवकुमार ने उनसे लड़ाई जारी रखी।

 

 

1999 में जब एसएम कृष्णा सीएम बने तो तब शिवकुमार को शहरी विकास मंत्री बनाया गया। 2002 में लोकसभा उपचुनाव में वो देवगौड़ा के खिलाफ लड़े, लेकिन हार गए। 2004 के लोकसभा चुनाव में देवगौड़ा हार गए। इसके साथ हुए विधानसभा चुनाव में कृष्णा सरकार को हार का सामना करना पड़ा। फिर कांग्रेस- जेडीएस ने गठबंधन सरकार बनाई और शिवकुमार को इससे बाहर रखा। 

 

 

2013 में जब सिद्धारमैया की सरकार सत्ता में आई तब भ्रष्टाचार के आरोपों की वजह से शिवकुमार को बाहर रखा, लेकिन उन्होंने न तो पार्टी से बगावत की और न ही पार्टी  के खिलाफ कुछ कहा। जनवरी 2014 में ऊर्जा मंत्री की कुर्सी के साथ शिवकुमार ने कर्नाटक कैबिनेट में वापसी की। शिवकुमार येदियुरप्पा सरकार में कर्नाटक प्रदेश कांग्रेस कमेटी के कार्यकारी अध्यक्ष का पद संभाल चुके हैं।

 

 

अगस्त 2017 में गुजरात राज्यसभा चुनाव में जब बीजेपी ने सोनिया गांधी के राजनीतिक सचिव अहमद पटेल को हटाने का प्रयास किया तक शिवकुमार ने गुजरात कांग्रेस विधायकों को शरण दी थी। उन पर इनकम टैक्स और ईडी के छापे भी पड़े, लेकिन वे डगमगाए नहीं और अहमद पटेल की जीत के साथ शिवकुमार की जगह पार्टी में और मजबूत हो गई।

 

 

हालांकि सिद्धारमैया उन्हें खतरा मान बैठे थे। मई 2017 में उन्हें कर्नाटक प्रदेश कांग्रेस कमिटी का अध्यक्ष नहीं बनाया गया, फिर भी उन्होंने सिद्धारमैया के खिलाफ कोई बयानबाजी नहीं की। पिछले चुनाव में वो प्रचार समिति के अध्यक्ष थे। शिवकुमार कर्नाटक के सबसे अमीर विधायकों में से एक हैं। उनकी घोषित संपत्ति 730 करोड़ रुपए है।

 

 

कर्नाटक चुनाव 2018 में भी हो कांग्रेस के लिए नायक बनकर उभरे। खंडित जनादेश आने पर शिवकुमार ने गौड़ा परिवार से हाथ मिला लिया। परिणाम ये हुआ कि बीजेपी सत्ता से बाहर हो गई। पत्रकारों से बातचीत के दौरान शिवकुमार ने कहा था कि वो 7 बार विधानसभा चुनाव जीत चुके हैं और उन्होंने पार्टी के लिए काफी कुछ किया है। इसलिए वो सीएम पद के लिए सही हैं। ज्यादातर लोग इससे सहमत भी हैं।
 

Created On :   20 May 2018 5:37 AM GMT

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