संकष्टी गणेश चतुर्थी पर ऐसे करें पूजा, मिलेगी समस्त कष्टों से मुक्ति
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। गणेश चतुर्थी फाल्गुन कृष्ण पक्ष के दिन श्री विघ्नहर्ता गणेशजी की पूजा-अर्चना और व्रत करने से व्यक्ति के समस्त संकट दूर होते हैं, जो इस बार 22 फरवरी 2019 दिन शुक्रवार को पड़ रही है। संकष्टी चतुर्थी को ‘संकट चौथ’, ‘संकटहरा चतुर्थी’ तथा ‘गणेश संकष्टी चौथ’ भी कहा जाता है। संकष्टी चतुर्थी का व्रत भारत में महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, पश्चिम तथा दक्षिण भारत में धूमधाम से मनाया जाता है।
चन्द्र दर्शन शुभ नहीं
इस गणेश चतुर्थी के दिन एक समय रात्रि को चंद्र उदित होने के बाद भोजन करें तो अति उत्तम रहता है। वहीं रात में चन्द्र को अर्ध्य देते समय दृष्टि को नीचे की ओर रखा जाता, इस दिन चन्द्र दर्शन करना शुभ नहीं माना जाता है।
विघ्नहर्ता और संकटमोचन
गणेश भगवान को विघ्नहर्ता और संकटमोचन भी कहा जाता है। मान्यता है कि गणेश भगवान का मात्र नाम जप करने से सभी प्रकार के संकट टल जाते हैं तथा सभी प्रकार की परेशानियों से छुटकारा मिल जाता है। इसके अलावा जीवन की अप्रत्याशित चुनौतियों-बाधाओं से दूर रहने के लिए गणपति को अर्पित कुछ विशेष व्रत करना भी लाभकारी रहता है जिनमें “संकष्टी चतुर्थी” भी एक है।
विनायक चतुर्थी तथा संकष्टी चतुर्थी
हिंदू पंचांग के अनुसार हर महीने 2 चतुर्थी आती हैं - विनायक चतुर्थी तथा संकष्टी चतुर्थी। हर माह के शुक्ल पक्ष की चौथी तिथि यानि कि चौथे दिन विनायक चतुर्थी आती है, वहीं कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को “संकष्टी चतुर्थी” मनाई जाती है।
पूजन विधि
पूजा करते समय पूर्व या उत्तर दिशा की ओर अपना मुख रखें। भगवान गणेश की प्रतिमा या चित्र सामने रखकर किसी स्वच्छ आसन पर बैठ जाएं। अब फल फूल, अक्षत, रोली और पंचामृत से भगवान गणेश को स्नान कराएं। इसके बाद पूजा करें और फिर धूप, दीप के साथ श्री गणेश मंत्र का जाप करें।
गणेश जी को तिल से बनी चीजों का भोग लगाएं। तिल का लड्डू या मोदक का भोग लगाने से भगवान गणेश प्रसन्न होते हैं। इसके बाद संभव होतो ये तीन उपाय कर सकतें हैं जो शत्रु बाधा शुभ कर्मों में लाभ प्राप्त होता है
1- शत्रु नाश हेतु नीम की जड़ के गणपति के सामने "हस्ति पिशाचि लिखे स्वाहा" का जप करें। लाल चंदन, लाल रंग के पुष्प चढ़ाएं। पूजनादि कर मध्य पात्र में स्थापित कर दें तथा नित्य मंत्र जपें। शत्रु वशी हो तथा घोर से घोर उपद्रव भी शांत हो जाते हैं।
2- कुम्हार के चॉक की मिट्टी से अंगूठे के बराबर मूर्ति बनाकर उपरोक्त तरीके से पूजन करें तथा 101 माला "ॐ ह्रीं ग्रीं ह्रीं" की जप कर हवन करें। नित्य 11 माला करें तथा चमत्कार स्वयं देख लें।
3- “ॐ सिद्ध बुद्धि महागणपति नमः”
इस मंत्र का जाप करें। व्रत करने वाले लोग संध्या को संकष्टी व्रत कथा का पाठ अवश्य करें। यदि शुभ मुहूर्त में पाठ किया गया तो फल जरूर मिलता है।
Created On :   10 Feb 2019 6:49 AM GMT