युवा फिल्मकारों के लिए बेहतरीन उदाहरण है ‘डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर’ और ‘इंडियन थिएटर’ फिल्में : डॉ. जब्बार पटेल

युवा फिल्मकारों के लिए बेहतरीन उदाहरण है  ‘डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर’ और ‘इंडियन थिएटर’ फिल्में : डॉ. जब्बार पटेल
युवा फिल्मकारों के लिए बेहतरीन उदाहरण है ‘डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर’ और ‘इंडियन थिएटर’ फिल्में : डॉ. जब्बार पटेल

डिजिटल डेस्क, नागपुर। ‘डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर’ व ‘इंडियन थिएटर’ फिल्में आज के युवा फिल्मकारों के लिए बेहतरीन उदाहरण हैं। युवा वर्ग डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर फिल्म के जरिए उनके व्यक्तित्व और विचारों से अच्छी तरह परिचित होता है, इसलिए यह फिल्म नौजवानों के लिए प्रेरक है। फिल्म को बनाते समय इस बात का ख्याल रखा गया कि यह फिल्म अंतरराष्ट्रीय मानकों पर पूरी तौर से खरी उतरे। पांच साल तक शोध करने के बाद मेहनत के साथ ये फिल्में बनाई गईं। यह कहना है निर्देशक डॉ. जब्बार पटेल का। मौका था डॉ. जब्बार पटेल फिल्म  महोत्सव के दूसरे दिन का।

फिल्मों पर चर्चा
चित्रपट महोत्सव के दूसरे दिन ‘जैत रे जैत’ संगीतमय फिल्म दिखाई गई। उसके बाद इसकी निर्माण प्रक्रिया, संगीत, पटकथा व विषय पर डॉ. पटेल और पटकथाकार सतीश आलेकर के साथ अजेय गंगपवार ने बातचीत की। डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर चित्रपट का प्रदर्शन दोपहर 1 बजे किया गया। महोत्सव ऑरेंज सिटी इंटरनेशनल फेस्टिवल अंतर्गत रविवार को कवि कुलगुरु कालिदास ऑडिटोरियम पर्सिस्टेंट सिस्टिम्स आईटी पार्क, गायत्री नगर में किया गया। ऑरेंज सिटी कल्चरल फाउंडेशन, राट्रसंत फाउंडेशन, राष्ट्रसंत तुकड़ोजी महाराज नागपुर विद्यापीठ व नागपुर मनपा के संयुक्त तत्वावधान में महोत्सव आयोजित किया गया।

डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर और इंडियन थिएटर फिल्में दिखाई गईं। ज्येष्ठ नाटककार सतीश आलेकर व डॉ. जब्बार पटेल ने रंगभूमि पर चर्चा की। ‘जैत रे जैत’ के बारे में इटंररेक्शन हुआ। इसमें डॉ. पटेल, आलेकर व गंगपवार शामिल रहे। दोपहर 1 बजे डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर के प्रदर्शन के पश्चात इंटररेक्शन 4.30 बजे से शुरू हुआ। भारतीय सिनेमा के इतिहास में दर्ज डाक्यूमेंट्री  इंडियन थिएटर भी दिखाई गई। इंटररेक्शन डॉ. पटेल, आलेकर व समर नखाते के बीच हुआ।

शहर की पहचान बन गया
फिल्म महोत्सव में शहर के नामचीन लोगों से लेकर स्टूडेंट्स तक शामिल हुए। ‘सिंहासन’ व ‘मुक्ता’ जैसी कालजयी फिल्में देखने के लिए काफी लोग पहुंचे। महोत्सव की खासियत रही कि नागपुर में फिल्म फेस्टिवल कल्चर नहीं होने के बाद भी लोग फिल्म देखने पहुंचे। आयोजकों में शामिल अजेय गंगपवार ने कहा कि यह फिल्म फेस्टिवल शहर की पहचान बन गया है। इसमेंं फिल्म के निर्माण को लेकर भी चर्चा होती है। जो विद्यार्थी सिनेमा व थिएटर में रुचि रखते हैं, यह उनके लए बेहतरीन आयोजन है। ज्ञात रहे कि इंडियन थिएटर की मांग विदेशी फिल्मकार भी करते हैं। 
 

Created On :   10 Sep 2018 8:46 AM GMT

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