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कुलगुरु डॉ. काणे के ‘एकेडमिक आतंकवाद’ के बयान पर बवाल
डिजिटल डेस्क, नागपुर। विधि महाविद्यालय के कार्यक्रम में कुलगुरु डॉ. काणे द्वारा विद्यापीठ में दिए विवादित बयान ‘एकेडमिक आतंकवाद’ पर बवाल मच गया है। विद्यापीठ प्राधिकरण के सदस्य और शिक्षक संगठन के नेताओं ने आपत्ति जताई है। विद्यापीठ में एकेडमिक नहीं, बल्कि प्रशासनीक टेररिज्म का केंद्र बनने का आरोप लगाया है।
राष्ट्रसंत तुकडोजी महाराज नागपुर विद्यापीठ के डॉ. बाबासाहब आंबेडकर विधि महाविद्याल में आयोजित ‘जस्टा कॉजा’ विधि महोत्सव के उद्घाटन कार्यक्रम में कुलगुरु डॉ. काणे के विद्यापीठ एकेडमिक टेररिज्म का केंद्र बनने के बयान पर अब विरोधकों ने मोर्चा खोल दिया है। कुलगुरु के बयान का वरिष्ठ सीनेट सदस्य डॉ. बबनराव तायवाडे ने निषेध कर सवाल किया किसका टेररिज्म है, यह स्पष्ट होना चाहिए। नए विद्यापीठ कानून के अनुसार कुलगुरु को सर्वाधिक अधिकार दिए गए हैं। उनका सार्वजनिक वक्तव्य करना अशोभनीय है। अपने अधिकारों का दुरुपयोग कर वे ही आतंक निर्माण करने का प्रयास कर रहे हैं। व्यवस्थापन परिषद सदस्य डॉ. आर.जी. भोयर ने कहा कि कुलगुरु ने कौन सी घटना का आधार लेकर यह बयान दिया है। कुलगुरु कहते हैं कि शैक्षणिक दहशतवाद है, जबकि अन्य सदस्य कुलगुरु के हिटलरशाही होने का दावा करते है। यह दोनों संकल्पना गलत है।
शैक्षणिक सत्र में कुलगुरु द्वारा इस तरह का बयान देना ठीक नहीं है। नागपुर विद्यापीठ शिक्षक संगठन (नूटा) के पूर्व सचिव डॉ. अनिल ढगे ने कहा कि विद्यापीठ में विविध प्राधिकरण है। उसमें अनेक सदस्य चुनकर आते हैं। जिस कारण उनका कुलगुरु के निर्णय को विरोध होना स्वाभाविक है। इससे पहले पुराने कानून में अनेक बार ऐसे प्रसंग आए हैं, लेकिन किसी कुलगुरु ने इस तरह के बयान नहीं दिए। अब नए कानून में अनेक प्रतिनिधि कुलगुरु द्वारा नामित होने से अब विद्यापीठ में उनका ही राज है। सेक्युलर पैनल के एड. अभिजीत वंजारी ने कहा कि कुलगुरु को नये कानून में अनेक अधिकार मिले हैं। इसका उपयोग कर वे सदस्य, माध्यमों पर दबाव बनाने का प्रयास कर रहे हैं। यह एक तरह से प्रशासकीय दहशतवाद है।
Created On :   10 March 2019 2:03 PM GMT