ग्रहों के गोचर में बदलाव के कारण मौसम हुआ कठोर

Transit of weather happened harsh due to change in Planets
ग्रहों के गोचर में बदलाव के कारण मौसम हुआ कठोर
ग्रहों के गोचर में बदलाव के कारण मौसम हुआ कठोर

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। मकर सक्रांति के बाद से ठिठुरन भरी सर्द हवाओं का चलना आरम्भ हो गया है। पंचांग के अनुसार जनवरी माह में तीन प्रमुख ग्रहों का राशि परिवर्तन हुआ है। इनमें से दो ने पहले ही दिन अपना स्थान बदल लिया है। वहीं बुध ग्रह, धनु राशि में प्रवेश कर गए हैं और शुक्र ग्रह भी अपनी राशि तुला को छोड़कर वृश्चिक राशि में प्रवेश कर गया है। सूर्य देव मकर राशि में प्रवेश में चले गए हैं तो वहीं मंगल ग्रह कुंभ राशि को छोड़ कर मीन से मेष राशि में आ गए। गुरु पहले ही वृश्चिक राशि में चल ही रहे हैं। इन सभी ग्रहों के गोचर के कारण मौसम में बदलाव आया है और तापमान में लगातार गिरावट देखने को मिल रही है।   

राशि परिवर्तन
बता दें कि मकर सक्रांति के बाद से ठिठुरन भरी सर्द हवाओं का चलना आरम्भ हो गया है। ग्रहों के गोचर में बदलाव के कारण कहीं कहीं ओले भी गिर सकते हैं। सर्द हवाओं दौर अभी मंगल मीन राशि में चल रहे जो 5 फरवरी को अपना राशि परिवर्तन करेंगे जब तक मंगल अपना गोचर नही बदलते तब तक मौसम में ठंडक बरकरार रहेगी। कहीं- कहीं तो इस गोचर के चलते वर्षा भी हो सकती है, इसके अलावा ओला वृष्टि भी होने की संभावना है।

प्रबल योग
ज्योतिष की मानें तो ग्रह गोचर मंगल की मीन राशि में होने से शीघ्र ही ठंड बढ़ जाने का प्रबल योग बन रहा है। इससे उत्तर भारत में सर्द हवाएं चलनी शुरू होंगी व घना कोहरा भी छा सकता है। वृश्चिक राशि में बैठे देव गुरु बृहस्पति और शुक्र के कारण उत्तर, मध्य व पश्चिम भारत में पिछले साल की तुलना में इस बार अधिक ठंड पड़ने के योग बन गए हैं।

ब्रह्मांड मे कुल 12 राशियां है और सूर्य प्रत्येक राशि में लगभग 30 दिन रहते हैं। जिस दिन सूर्य एक राशि से दूसरी राश में प्रवेश करते हैं उसे संक्रांति कहा जाता है। सामान्यत: सूर्य सभी राशियों को प्रभावित करते हैं।

सकारात्मकता
भारत देश North Pole में स्थित है। मकर संक्रान्ति से पहले सूर्य South Pole में होता है अर्थात् भारत से अपेक्षाकृत अधिक दूर होता है। इसी कारण यहां पर रातें बड़ी एवं दिन छोटे होते हैं तथा सर्दी का मौसम होता है। किन्तु मकर संक्रान्ति से सूर्य North Pole की ओर आना शुरू हो जाता है। दिन बड़ा होने से प्रकाश अधिक होगा तथा रात्रि छोटी होने से अन्धकार कम होगा। शास्त्रों के अनुसार, दक्षिणायण अर्थात जब सूर्य दक्षिणायन होते हैं जो देवताओं की रात्रि अर्थात् नकारात्मकता का प्रतीक तथा उत्तरायण को देवताओं का दिन अर्थात् सकारात्मकता का प्रतीक माना गया है।

Created On :   30 Jan 2019 5:49 AM GMT

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