भगवान विष्णु को जगाने पढ़ें ये प्रबाेधिनी मंत्र
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। देवी-देवताओं को प्रसन्न करने के लिए विशेष मंत्र बोले जाते हैं। देव उठनी एकादशी को देव जाग रहे हैं तो इस दिन का भी अपना ही अलग महत्व है। भगवान विष्णु चार मास बाद निद्रा से बाहर आ रहे हैं तो उनकी पूजा-अर्चना विभिन्न मंत्रों के साथ कर उन्हें प्रसन्न किया जा सकता है। कई स्थानों पर उन्हें उठाने के लिए विशेष परंपरा का निर्वहन किया जाता है। मंत्र बोले जाते हैं जिनका वर्णन शास्त्रों में भी मिल जाता है।
स्वतः ही सुख, धन के साथ ही समृद्धि का भी आगमन
कहा जाता है कि यदि विष्णुदेव प्रसन्न हो जाते हैं तो माता लक्ष्मी की कृपा स्वतः ही प्राप्त हो जाती है। इस दिन तुलसी विवाह का भी विधान है तो सुख, धन के साथ ही समृद्धि का भी आगमन स्वतः ही होने लगता है। इसलिए देव प्रबोधिनी के दिन विधि-विधान से पूजा-अर्चना कर श्रीहरि को प्रसन्न करने का प्रयास करना चाहिए। यह दिव्य मंत्र है...
ब्रह्मेन्द्ररुदाग्नि कुबेर सूर्यसोमादिभिर्वन्दित वंदनीय
बुध्यस्य देवेश जगन्निवास मंत्र प्रभावेण सुखेन देव।
अर्थात ब्रम्हाा के साथ ही इंद्र, कुबेर, अग्नि और सूर्य, सोम भी विशेष वंदनीय है। हे प्रभु देवताओं के स्वामी और सृष्टि के पालक आप सुख पूर्व उठे और इस पूजा को स्वीकार करें। यह दुर्लभ मंत्र आप पूजन के दाैरान ही बाेलें आैर श्रीहरि के अलग-अलग नामाें का स्मरण करें।
देवोत्थान के लिए इस प्रकार स्तुति भी की जा सकती है
उदितष्ठोतिष्ठ गोविन्द त्यज निद्रां जगत्पत
त्वयि सुप्ते जगन्नाथ जगत्सुप्तं भवेदिदम्।
उत्थिते चेष्टते सर्वमुत्तिष्ठोत्तिष्ठ माधव॥
विशेष फलदायी हाेती है ये पूजा
इस दिन की गई पूजा विशेष फलदायी मानी गई है। इसलिए सूर्य के निकलने से पहले ही स्नान कर श्रीहरि को प्रणाम करें और पूजन की तैयारी कर उनकी वंदना करें। ऐसी भी मान्यता है कि इस दिन की गई पूजा सभी देवों को प्रसन्न करने वाली होती है। वर्षों का पुण्य एक साथ ही प्राप्त हाे जाता है।
Created On :   29 Oct 2017 7:40 AM GMT