कोयले की कमी से 30 फीसदी घटा विद्युत उत्पादन, निजी बिजली केंद्रों में हो रहा अधिक निर्माण

Electricity production reduced to 30 % due to shortage of coal
कोयले की कमी से 30 फीसदी घटा विद्युत उत्पादन, निजी बिजली केंद्रों में हो रहा अधिक निर्माण
कोयले की कमी से 30 फीसदी घटा विद्युत उत्पादन, निजी बिजली केंद्रों में हो रहा अधिक निर्माण

डिजिटल डेस्क, चंद्रपुर। राज्य के बिजली केंद्रों पर कोयले का संकट आने पर महोजनको के बिजली केंद्रों का बिजली उत्पादन महज 30 प्रतिशत पर आ गया है। जबकि निजी बिजली केंद्र 70 प्रतिशत से अधिक उत्पादन बिजली का उत्पादन कर रहे हैं। इससे यहां का पावर हाउस राज्य के अन्य निजी बिजली उद्योगों के समक्ष नाकाम साबित हो रहा है। बिजली केंद्रों में नियमित कोयले की आपूर्ति नहीं होना व गीले कोयले के चलते ऐसी स्थिति बनने की खबर है।

गौरतलब है कि महाजेनको के राज्य में नाशिक, कोराड़ी, भुसावल, परली, चंद्रपुर, खापरखेड़ा और पारस ऐसे कुल 7 बिजली केंद्र कार्यरत हैं। चंद्रपुर महाऔष्णिक बिजली केंद्र के 500 मेगावाट क्षमतावाले यूनिट क्र.7 और 8 एक सप्ताह से कोयले की कमी के चलते बंद हैं। जिससे सीएसटीपीएस के भी उत्पादन में भारी गिरावट आ गई है।

मंगलवार शाम साढ़े 6 बजे तक चंद्रपुर बिजली केंद्र से 1343 मेगावाट उत्पादन हो रहा था। उधर नाशिक बिजली केंद्र की बात करें तो इस बिजली केंद्र की स्थापित क्षमता 630 मेगावाट है, लेकिन यहां लगभग 23 प्रतिशत अर्थात 148 मेगावाट बिजली उत्पादन हो रहा है। 2400 मेगावाट क्षमतावाले कोराड़ी से महज 645 मेगावाट बिजली उत्पादित हो रही है, जिसका प्रतिशत 26 के आसपास है। भुसावल बिजली केंद्र की क्षमता 1210 मेगावाट होकर वहां भी महज 29 प्रतिशत अर्थात 360 मेगावाट उत्पादन जारी है। परली बिजली केंद्र में भी सिर्फ 33 प्रतिशत उत्पादन ही हो पा रहा है। खापरखेड़ा और पारस बिजली केंद्र की भी स्थिति लगभग ऐसी है।

उधर राज्य के सभी निजी पावर हाउस महाजेनको के मुकाबले बेहतर प्रदर्शन कर रहे हैं। सूत्रों के अनुसार गोंदिया जिले के तिरोड़ा स्थित अदानी पावर की स्थापित क्षमता 3300 मेगावाट होकर वहां 2225 मेगावाट से अधिक बिजली उत्पादन हो रहा है।
 
अमरावती जिले के नांदगांव पेठ स्थित रतन इंडिया पावर प्रोजेक्ट की क्षमता पहले चरण के बाद फिलहाल 1350 मेगावाट है और वहां 961 मेगावाट ही उत्पादन हो पा रहा है। ऐसी स्थिति नागपुर के बुटीबोरी स्थित रिलायंस पावर हाउस की है। वहां 621 मेगावाट उत्पादन जारी है। यह सभी निजी उद्योग अपनी क्षमता के मुकाबले 70 प्रतिशत के आसपास उत्पादन देने में सफल हो रहे हैं। महाजेनको के सूत्रों की मानें तो बिजली की बिक्री से मिलनेवाले राजस्व में भी प्रतिवर्ष गिरावट देखी जा रही है।

वर्ष 2015-16 में महाजेनको को बिजली बिक्री से 19293 करोड़ का राजस्व प्राप्त हुआ था, जो गत वर्ष घटकर 18164 करोड़ पर आ गया। राजस्व की यह गिरावट 5.85 प्रतिशत की है, यही स्थिति 2017-18 की भी है। उल्लेखनीय है कि महाजेनको को वर्ष 2015 -16 में डिमांड की तुलना में 80.60 प्रतिशत कोयला मिला था, जबकि 2016-17 में महज 74.98 प्रतिशत तक ही कोयला उपलब्ध हो सका। बारिश के दिन होने से खदानों में कोयला गीला है। इसलिए बिजली केंद्र को अनियमित कोयले की आपूर्ति होने की बात कही जा रही है।

निजी केंद्र से बिजली खरीदने को विवश
सूत्रों ने बताया कि घटते उत्पादन के पीछे महाजेनको के अधिकारी राज्य में फिलहाल बिजली की मांग में कमी का कारण बता रहे हैं, जबकि महावितरण के अधिकारी राज्य में अब भी बिजली की मांग की तुलना में उपलब्धता में 4 हजार 500 मेगावाट की कमी होने की बात कहते हैं। बताया जाता है कि राज्य में मुंबई क्षेत्र को छोड़कर अब भी फिलहाल 14 हजार 700 मेगावाट बिजली की मांग है। जबकि महाजेनको के पास उसकी खुद के सभी स्त्रोतों को मिलाकर लगभग 4 हजार 424 मेगावाट बिजली उपलब्ध है।

राज्य में अब भी महाजेनको को बिजली की मांग पूरी करने के लिए निजी उद्योगों से 6300 मेगावाट से बिजली खरीदनी पड़ रही है। जिनमें अदानी पावर से 2220, जिंदल से 626, रतन इंडिया पावर से 960, रिलायन्स बुटीबोरी से 619, वर्धा पावर वरोरा से 99 तथा अन्य निजी बिजली उद्योगों से 1832 मेगावाट बिजली खीरदी की बात कही जा रही है।  

Created On :   5 Sep 2018 8:53 AM GMT

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