Maldives Crisis: राजनीतिक संकट जारी, 30 दिनों तक बढ़ाई गई इमरजेंसी

Emergency extended in Maldives by 30 days
Maldives Crisis: राजनीतिक संकट जारी, 30 दिनों तक बढ़ाई गई इमरजेंसी
Maldives Crisis: राजनीतिक संकट जारी, 30 दिनों तक बढ़ाई गई इमरजेंसी

डिजिटल डेस्क, माले। राजनीतिक संकट से जूझ रहे मालदीव के लिए एक बुरी खबर है। मालदीव में लगे आपातकाल को 30 दिनों के लिए बढ़ा दिया गया है। यह फैसला संसदीय कमेटी ने राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन की गुजारिश पर किया है। बता दें कि 5 फरवरी को सरकारी टेलीविजन पर राष्ट्रपति की सहयोगी अजिमा शुकूर ने एमरजेंसी की घोषणा की थी। मालदीव के राष्ट्रपति के आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर भी इस बात की जानकारी दी गई थी।

जानकारी के मुताबिक बंद दरवाजों के पीछे राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन और संसदीय कमेटी की बैठक हुई। बैठक में मोजूद 38 सांसदों ने आपातकाल का समर्थन किया। इस बैठक में विपक्षी दल का कोई सांसद शामिल नहीं हुआ। उन्होंने मीटिंग का विरोध करते हुए इसे असंवैधानिक बताया। इमरजेंसी के समर्थन के बाद नैशनल सिक्यॉरिटी कमेटी को इसका पालन करने के लिए कह दिया गया है।  

मालदीव में लगी थी 15 दिन की इमरजेंसी
5 फरवरी को सरकारी टेलीविजन पर राष्ट्रपति की सहयोगी अजिमा शुकूर ने एमरजेंसी की घोषणा की थी। मालदीव के राष्ट्रपति के आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर भी इस बात की जानकारी दी गई थी। राष्ट्रपति के ऑफिस की तरफ से जारी बयान में कहा गया था, "मालदीव के अनुच्छेद 253 के तहत अगले 15 दिनों के लिए राष्ट्रपति अब्दुल्ला यमीन अब्दुल गयूम ने इमरजेंसी का एलान कर दिया है। इस दौरान कुछ अधिकार सीमित रहेंगे, लेकिन सामान्य हलचल, सेवाएं और व्यापार इससे बेअसर रहेंगे।" बयान में आगे कहा गया है, "मालदीव सरकार यह आश्वस्त करना चाहती है कि देश के सभी नागरिकों और यहां रह रहे विदेशियों की सुरक्षा सुनिश्चित की जाएगी।"

पूर्व राष्ट्रपति और चीफ जस्टिस हुए गिरफ्तार
मालदीव में इमरजेंसी लगने के बाद पूर्व राष्ट्रपति मौमून अब्दुल गयूम और चीफ जस्टिस अब्दुल्ला सईद को गिरफ्तार कर लिया गया था। गयूम मालदीव के 30 साल राष्ट्रपति रहे हैं और 2008 में देश में लोकतंत्र आने के बाद तक राष्ट्रपति रहे। इसके बाद हुए चुनावों में मोहम्मद नशीद डेमोक्रेटिक तरीके से चुने गए देश के पहले राष्ट्रपति बने। वहीं चीफ जस्टिस अब्दुल्ला सईद ने ही राष्ट्रपति यामीन को गिरफ्तार करने और राजनैतिक कैदियों को रिहा करने का आदेश दिया था। बता दें कि राष्ट्रपति यामीन, मौमून अब्दुल गयूम के सौतेले भाई हैं।

मालदीव की सुप्रीम कोर्ट ने क्या आदेश दिया था? 
शुक्रवार को मालदीव की सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद नशीद पर चल रहे केस को असंवैधानिक करार दिया था और कैद किए गए 9 सांसदों को रिहा करने का आदेश दिया था। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस अब्दुल्ला सईद ने 12 सांसदों को बहाल करने का आदेश भी दिया था। इसके अलावा चीफ जस्टिस सईद ने राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन के खिलाफ महाभियोग चलाने और उन्हें गिरफ्तार करने को भी कहा था।

सुप्रीम कोर्ट का कोई आदेश न मानें : सरकार
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद अटॉर्नी जनरल मोहम्मद अनिल ने कहा था कि राष्ट्रपति की गिरफ्तारी गैरकानूनी है। उन्होंने रविवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि सुप्रीम कोर्ट चाहता है कि राष्ट्रपति सत्ता में न रहें। उन्होंने कहा कि "हमें ऐसी जानकारियां मिली हैं कि देश की सुरक्षा को खतरा हो सकता है। यदि सुप्रीम कोर्ट राष्ट्रपति को गिरफ्तार करने का आदेश देता है तो ये असंवैधानिक और गैरकानूनी होगा। इसलिए मैंने पुलिस और सेना से कहा है कि वो सुप्रीम कोर्ट के किसी भी असंवैधानिक आदेश को न मानें।"

अब्दुल्ला यामीन के आते ही लोकतंत्र खतरे में
जानकारी के मुताबिक, मालदीव में 2008 में डेमोक्रेसी आई थी और मोहम्मद नशीद डेमोक्रेटिक तरीके से चुने गए देश के पहले राष्ट्रपति हैं, लेकिन साल 2013 में राष्ट्रपति यामीन की सत्ता में आने के बाद से ही वहां विपक्षियों को जेल में डाला जाने लगा, बोलने की आजादी छीन ली गई और ज्यूडीशियरी पर भी खतरा पैदा हो गया। 2015 में यामीन ने नशीद को आतंकवाद विरोधी कानून के तहत सत्ता से हटा दिया था। उन्हें 13 साल की सजा सुनाई गई थी, जिसके बाद ब्रिटेन ने उन्हें राजनीतिक शरण दी थी।

Created On :   19 Feb 2018 6:40 PM GMT

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