मेट्रो सिटी के अजीब दास्तां, ऑनलाइन में फिसड्‌डी, ऑफलाइन काम फटाफट

Employees facing probelm in dealing with government work online
मेट्रो सिटी के अजीब दास्तां, ऑनलाइन में फिसड्‌डी, ऑफलाइन काम फटाफट
मेट्रो सिटी के अजीब दास्तां, ऑनलाइन में फिसड्‌डी, ऑफलाइन काम फटाफट

डिजिटल डेस्क,नागपुर। स्मार्ट और डिजिटल शहरों की दौड़ में  जहां देश का हर सरकारी महकमा आॅनलाइन सुविधाएं देने के लिए आए दिन नए-नए प्रयोग कर रहा है  इसके विपरीत मेट्रो सिटी नागपुर लगातार इस मामले में पीछे दिखाई दे रहा है। इसके चलते स्मार्ट वर्क में हम कई जिलों से पीछे हैं।  

अफसरों को भी नहीं है रूचि 
कहने को तो एक साल पहले कागजों पर नागपुर जिले को भी डिजिटल जिला बना दिया गया, मगर हकीकत कुछ और ही  है। यहां डिजिटल काम करवाने के लिए न तो अफसरों की कोई रुचि है और न ही कर्मचारियों को। जिलाधिकारी कार्यालय स्थित सेतु सेवा केंद्र में विविध सर्टिफिकेट, जिन्हें कागजों में एक सप्ताह में ऑनलाइन बनाकर देना है, वह वास्तविकता में एक-एक महीने में भी नहीं बन पा रहे हैं। इन्हीं को यदि ऑफलाइन बनवाया जाता है, तो यह काम सामान्यत: 15 दिन और दलालों के माध्यम से कुछ दिनों में बन जाते हैं।  ऐसे में  न चाहकर भी जरूरतमंद दलालों का हाथ थाम राह रहे हैं।  

सात दिन में नहीं मिल रहे प्रमाणपत्र 
पूर्व जिलाधिकारी सचिन कुर्वे के कार्यकाल में पिछले वर्ष नागपुर जिले को डिजिटल घोषित किया गया था। दावा किया गया था कि नागपुर जिले के सभी कामकाज जैसे सात-बारा, विविध प्रमाणपत्र आदि ऑनलाइन हो रहे हैं। मंत्रालय में यह दावा कर नागपुर को डिजिटल घोषित किया गया था। लेकिन सेतु सेवा केंद्र में प्रमाणपत्र बनाने वालों की भीड़ अधिक होने से कुछ मोहलत मांगी गई थी। यह मोहलत कुछ समय तक के लिए थी। लेकिन यह मोहलत एक साल बाद भी खत्म नहीं हुई। दलालों के लिए यह मोहलत संजीवनी का काम कर रही है। एक साल बाद भी सेतु सेवा केंद्र में ऑफलाइन आवेदन स्वीकार कर रहे हैं।

नियमानुसार, सेतु कर्मचारियों ने आवेदकों से उसका आवेदन और जरूरी कागजात लेकर उसे ऑनलाइन अटैच करना चाहिए। आवेदन को ऑनलाइन सबमिट कर उसे सात दिन के अंदर प्रमाणपत्र उपलब्ध कराना चाहिए, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हो रहा है। सभी अावेदन ऑफलाइन स्वीकार कर रहे हैं। इसका सबसे ज्यादा फायदा दलालों को हो रहा है। यह जरूरतमंदों को पकड़ कर उनसे तगड़ी रकम वसूल रहे हैं और उन्हें 3-4 दिन में प्रमाणपत्र बनाने का झांसा दे रहे हैं। विशेष यह कि प्रमाणपत्र पर हस्ताक्षर करने वाले आला अधिकारी भी बेखौफ ऑफलाइन आवेदन पर हस्ताक्षर कर मंजूरी प्रदान कर रहे हैं, जिससे नीचे से लेकर ऊपर तक साठ-गांठ का आरोप लग रहा है। 

शहर व जिले भर में कुल 87 सेंटर शुरू किए गए हैं  
महा-ई-सेवा अंतर्गत नागपुर शहर व जिले में 87 सेंटर शुरू किए गए हैं। इन केंद्रों से रोजाना बड़ी संख्या में सेतु सेवा केंद्र को ऑनलाइन आवेदन मिल रहे हैं। नियमानुसार, 7 दिन में इनके प्रकरण मंजूर कर इनके नाम-पतों पर प्रमाणपत्र भेजने चाहिए, लेकिन इन्हें एक-एक महीने तक प्रमाणपत्र नहीं मिल रहे हैं। 

22 में से सिर्फ 11 काउंटर पर काम  
जिलाधिकारी कार्यालय स्थित सेवा सेतु केंद्र में कुल 22 काउंटर हैं, लेकिन 22 में से सिर्फ 11 काउंटर पर काम हो रहा है। 1 व 2 पर कागजातों का सत्यापान होता है। 3 नंबर कैश काउंटर है। 5 और 6 पर आय प्रमाणपत्र व शपथपत्र बनाने का काम है। 7, 8, 9, 10 और 11 पर जाति, डोमिसाइल आदि प्रमाणपत्र बनाए जाते हैं। सिटी सर्वे से संबंधित कामकाज के लिए एक काउंटर है, किन्तु सिटी सर्वे काउंटर का ऑनलाइन सिस्टम पिछले 15 दिन से बंद बताया गया है। विशेष यह कि सेवा केंद्र में रोजाना 5 से 6 पुलिस जवान तैनात रहते हैं। इनकी मौजूदगी के बावजूद दलाली धड़ल्ले से चलती है। पूर्व जिलाधिकारी सचिन कुर्वे के तबादले के बाद इसे और बढ़ावा मिला है। 

नतीजों के बाद बढ़ेगी विद्यार्थियों की भीड़ 
10वीं और 12वीं बोर्ड और सीबीएसई के नतीजे लगने के बाद विद्यार्थियों की प्रमाणपत्र बनाने के लिए भीड़ बढ़ेगी। इस भीड़ का दलाल हर साल फायदा उठाते हैं। ऐसे में ऑफलाइन दलालों के लिए बड़ा सहारा बन रहा है। पूर्व जिलाधिकारी कुर्वे ने दलालों पर नकेल कसने के लिए नागरिकों को घर पहुंच प्रमाणपत्र उपलब्ध कराने की योजना शुरू की थी। उनकी यह सबसे बड़ी उपलब्धि भी कहलाई, लेकिन उनके जाने के बाद यह मुहिम ठंडी पड़ती जा रही है।  

दलाली पर कसेंगे नकेल  
मुझे आए हुए ज्यादा समय नहीं हुआ है। मैं इसकी जानकारी लूंगा। अगर दलाली हो रही है, तो निश्चित तौर पर नकेल कसी जाएगी। ऑनलाइन के लिए कड़े कदम उठाए जाएंगे। नागरिकों को हर संभव सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी।  
अश्विन मुद्गल, जिलाधिकारी, नागपुर 
 

Created On :   19 May 2018 8:58 AM GMT

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