गोंदिया जिले में सूखने लगे हैं तालाब , 20 हजार मछुआरों पर रोजगार का संकट

employment crisis on 20 thousand fishermen due to lack of water in pond
गोंदिया जिले में सूखने लगे हैं तालाब , 20 हजार मछुआरों पर रोजगार का संकट
गोंदिया जिले में सूखने लगे हैं तालाब , 20 हजार मछुआरों पर रोजगार का संकट

डिजिटल डेस्क, गोंदिया। तालाबों के क्षेत्र के नाम से विख्यात गोंदिया जिले के तालाब सूखने लगेे हैं जिससे मत्स्य व्यवसाय कर जीवन गुजारने वाले जिले के लगभग 20 हजार मछुआरों के परिवारों पर  संकट के बादल मंडराने लगे हैं। तालाबों का पानी सूख जाने से एक तालाब से दूसरे तालाब में मछलियों को स्थानांतरित करने की नौबत उन पर आन पड़ी है। जिससे यह व्यवसाय काफी मात्रा में प्रभावित हुआ है। ज्ञात रहे कि गोंदिया जिले को तालाबों के जिले का दर्जा दिया गया है। यहां के सैकड़ों तालाबों में मत्स्य व्यवसाय कर ढीमर व भोई समाज के लोग अपने परिवार का गुजारा करते हैं। जबकि इस वर्ष अत्यल्प बारिश होने से मत्स्य व्यवसाय चिंता के घेरे में आ गया है।

600 तालाबों से चल रहेे 11 हजार सदस्यों के परिवार
मत्स्य विभाग से मिली जानकारी के अनुसार सिंचाई विभाग के 66 एवं लगभग 500 से 600 पाझर तालाबों में पंजीकृत 133  सोसायटी के 11 हजार सदस्यों के परिवार तथा अन्य तालाबों में लगभग 10 हजार से अधिक परिवार मत्स्य व्यवसाय करते हैं। इस वर्ष अत्यल्प बारिश होने से सभी छोटे तालाब ऑक्सीजन पर आ गए हैं। मत्स्य जीरा निर्मिति की प्रक्रिया भी इस वर्ष देर से शुरू हुई थी। जिसके चलते बिक्री योग्य मछलियां होने के पहले ही तालाबों का पानी सूख रहा है। पानी सूखने से एक तालाब से दूसरे तालाब में मछलियां स्थानांतरित करने में व्यवसायियों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। मछलियां जिस तालाब में स्थानांतरित की जाती है, वहां का भी पानी कुछ दिनों में ही सूख जाता है। जिससे मछलियां रखें तो रखेंं कहां? इस तरह का सवाल निर्माण हो रहा है। घाटे से बचने के लिए अब छोटी मछलियों को कम दामों में बेचने की नौबत इन परिवारों पर आन पड़ी है। भारी नुकसान होने के बावजूद भी उनकी समस्या की ओर अब तक शासन-प्रशासन एवं जनप्रतिनिधियों का भी ध्यान नहीं है।   

इधर सरकार कह रही- सूखा नहीं तो मुआवजा नहीं
जिले के छोटे प्रकल्प तो दूर, बड़े प्रकल्पों में भी जल संग्रहण का पता नहीं। यह स्थिति जिले में सूखे की स्थिति को दर्शाती है। जबकि शासन की नजर में जिले में कहीं भी सूखा नहीं है। इस वजह से लाखों का नुकसान होने के बावजूद भी मत्स्य व्यवसायी को मुआवजा मिलना मुश्किल है। जो उन पर अन्याय ही साबित होगा।  

40-50 प्रतिशत नुकसान
तालाबों में पानी नहीं होने से लगभग40 से 50 प्रतिशत मत्स्य उत्पादन में गिरावट आना तय है। "तालाब वहां मछली अभियानÓ के लिए 69 तालाबों का चयन किया गया था। उसमें से ६ तालाबों में पानी ही नहीं है। जिस वजह से यह अभियान भी प्रभावित हुआ है। अब तक मुआवजे के लिए एक भी मामले नहीं आये हैं। 
- एस.पी. वाटेगांवकर, सहायक आयुक्त मत्स्य व्यवसाय, गोंदिया

 

Created On :   22 March 2018 9:22 AM GMT

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