मालदीव के पूर्व राष्ट्रपति बोले- हम संकट का समाधान चाहते हैं, चांद-तारे नहीं मांग रहे हैं

मालदीव के पूर्व राष्ट्रपति बोले- हम संकट का समाधान चाहते हैं, चांद-तारे नहीं मांग रहे हैं
मालदीव के पूर्व राष्ट्रपति बोले- हम संकट का समाधान चाहते हैं, चांद-तारे नहीं मांग रहे हैं
मालदीव के पूर्व राष्ट्रपति बोले- हम संकट का समाधान चाहते हैं, चांद-तारे नहीं मांग रहे हैं

डिजिटल डेस्क, कोलंबो। मालदीव संकट पर भारत को हस्तक्षेप न करने को लेकर आगाह कर चुके चीन को मालदीव के पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद नशीद ने जवाब दिया है। नशीद ने कहा है कि वे अपने देश में राजनीतिक संकट का समाधान चाहते हैं, और इसके लिए भारत से मदद की मांग की है। इसके लिए चीन को कोई ऐतराज नहीं होना चाहिए। नशीद ने कहा, "हम कोई चांद-तारे नहीं मांग रहे है जो चीन को ऐतराज हो रहा है। हम मालदीव के राजनीतिक संकट का समाधान चाहते हैं। हम यह कतई नहीं चाहते कि इस संकट पर भारत और चीन एक दूसरे के विरूद्ध हो जाए।" उन्होंने यह भी कहा कि भारत और चीन को मालदीव में लगे इस आपातकाल पर एक-दूसरे कि खिलाफ बयानबाजी नहीं करना चाहिए।

एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए नशीद ने कहा, "हम भारत को पसंद करते हैं और चीन को भी। हम चीन के विरूद्ध बिल्कुल नहीं हैं। हम केवल यह चाहते हैं कि वह शासन के तरीकों में बदलाव का प्रयास न करें, गुप्त ढंग से अपना पैसा न लगाएं, चीजों में पारदर्शिता रखें और लोकतांत्रिक तरीके से सबकुछ चले। हम कोई चांद तारे नहीं मांग रहे हैं।"

बता दें कि नशीद मालदीव संकट को हल करने के लिए लगातार भारत से मदद मांग रहे हैं। उन्होंने हाल ही में कहा था कि साल 1988 में जिस तरह भारत ने मालदीव संकट सुलझाया था। ठीक उसी तरह इस बार भी भारत को हस्तक्षेप कर समाधान निकालना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा था कि मालदीव के लोगों की ओर से मैं भारत से निवेदन करता हूं कि भारत सरकार अपनी सेना भेजे और जजों एवं राजनीतिक कैदियों को रिहा कराए। नशीद फिलहाल श्रीलंका में निर्वासित जीवन बिता रहे हैं।

नशीद की मदद की इस गुहार पर चीन ने ऐतराज जताया था और कहा था कि मालदीव संकट वहां का राजनीतिक मसला है, भारत को इसमें सैन्य हस्तक्षेप की गुंजाइश नहीं ढुंढनी चाहिए और अगर भारत वहां सैन्य हस्तक्षेप करता है तो उसे रोकने के लिए चीन जरूरी कदम उठा सकता है।

बता दें कि 5 फरवरी को मालदीव में आपातकाल की घोषणा कर दी गई थी। यहां सुप्रीम कोर्ट के दो शीर्ष जजों को गिरफ्तार करने के साथ ही इमर्जेंसी लगा दी गई थी। इन जजों ने विपक्ष के 9 राजनैतिक कैदियों को रिहा करने का फैसला सुनाया था। आपातकाल की घोषणा के बाद सरकार ने मालदीव की सुप्रीम कोर्ट पर दबाव बनाकर नौ राजनीतिक कैदियों को रिहा करने के आदेश को भी वापस करवा दिया था।

Created On :   17 Feb 2018 4:23 PM GMT

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