आरटीआई में खुलासा : 3 साल में 84 मनोरोगियों की मौत, 18 भागे

Exposed in RTI : 84 mentally ill patents killed in last 3 years
आरटीआई में खुलासा : 3 साल में 84 मनोरोगियों की मौत, 18 भागे
आरटीआई में खुलासा : 3 साल में 84 मनोरोगियों की मौत, 18 भागे

डिजिटल डेस्क, नागपुर। मनोरुग्णालय में पिछले तीन साल में इलाज के दौरान 84 मनोरोगियों की मृत्यु हो गई। अस्पताल से 18 मनोरोगी भाग गए। मनोरोगियों के औषधोपचार पर तीन साल में 82 लाख 7 हजार 956 रुपए खर्च होने का खुलासा आरटीआई में हुआ है। मनोरुग्णालय में महाराष्ट्र के अलावा पड़ोसी राज्य मध्यप्रदेश व छत्तीसगढ़ से मनोरोगी इलाज के लिए आते हैं। 1 जनवरी 2016 से 31 दिसंबर 2018 (तीन साल) तक यहां कुल 99 हजार 766 मनोरोगी इलाज के लिए आए थे। इसमें से 97221 रोगी आेपीडी में पहुंचे थे। इलाज के दौरान तीन साल में कुल 84 मनोरोगियों की मृत्यु हो गई। 2651 मनोरोगी अच्छे होकर गए। तीन साल में इनके आैषधोपचार  पर 82 लाख 7956 रुपए खर्च हुए। 18 सितंबर 2016 को अस्पताल में मनोरोगियों के बीच हुई मारपीट में जयंत नेरकर नामक मनोरोगी की मृत्यु हो गई थी। मानकापुर पुलिस ने हत्या का मामला दर्ज किया था। आरटीआई एक्टिविस्ट अभय कोलारकर मनोरुग्णालय में तीन साल में 84 मनोरोगियों की मौत के आंकड़े चौंकानेवाले हैं। 2651 लोग इस बीमारी से बाहर निकलकर सामान्य हुए, यह अच्छी बात है, लेकिन मृत्यु के आंकड़ों में कमी लाने की जरूरत है। तीन साल में 18 मनोरोगी भाग गए। रोगियों की सुरक्षा पर अधिक ध्यान देने की जरूरत है। 

आरटीई ऑनलाइन प्रक्रिया पहले ही दिन लड़खड़ाई

उधर आरटीई अंतर्गत प्रवेश की ऑनलाइन आवेदन प्रक्रिया पहले ही दिन लड़खड़ा गई। पालक दिनभर वेबसाइट पर आवेदन भरने की जद्दोजदह करते रहे, लेकिन जिले का विकल्प नहीं खुला। शिक्षा विभाग की ओर से गूगल मैन का भुगतान नहीं करने से पालकों को परेशानी का सामना करना पड़ा।
शैक्षणिक वर्ष 2019-2020 के लिए जिले के 675 स्कूलों ने आरटीई प्रवेश के लिए रजिस्ट्रेशन किया है। 6 हजार 75 सीटों पर प्रवेश निश्चित किए गए हैं। 5 मार्च से आवेदन प्रक्रिया शुरू होनी थी। अपने पाल्यों को आरटीई अंतर्गत प्रवेश दिलाने के लिए लंबे समय से इंतजार रहे पालक सुबह से आवेदन भरने का प्रयास करते रहे। परंतु वेब-साइट पर नागपुर जिले का विकल्प उपलब्ध नहीं होने से आवेदन नहीं भरे जा सके। आवेदन में पालकों को गूगल मैप पर पता दर्शाना आवश्यक है। गूगल की नई नीति के तहत गूगल का इस्तेमाल करने के लिए शुल्क का भुगतान अनिवार्य किया गया है। शिक्षा विभाग द्वारा गूगल का शुल्क भुगतान नहीं किए जाने से जिले का विकल्प उपलब्ध नहीं होने की शिक्षा सूत्रों से जानकारी मिली है। पिछले वर्ष के मुकाबले इस वर्ष आरटीई आवेदन प्रक्रिया डेढ़ महीना देरी से शुरू हुई है। पहले ही दिन ऑनलाइन आवेदन प्रक्रिया लड़खड़ा जाने से पालकों की िचंता और बढ़ गई है। आरटीई अंतर्गत प्रवेश नहीं मिलने पर ऐन वक्त पर पालकों को अपने पाल्यों के प्रवेश के लिए दौड़धूप करनी पड़ेगी। आरटीई ऑनलाइन आवेदन प्रक्रिया 5 से 22 मार्च तक चलेगी। इसके बाद लॉटरी निकाली जाएगी। लॉटरी में नाम आने पर संबंधित स्कूल में प्रवेश के लिए बालक का जन्म प्रमाणपत्र और निवास का सबूत देना सभी के लिए अनिवार्य है। एससी, एसटी, वीजे-एनटी, ओबीसी, एसबीसी विद्यार्थियों को जाति प्रमाणपत्र पेश करना होगा। खुले वर्ग के विद्यार्थियों को प्रवेश के लिए पालक का वर्ष 2017-2018 का एक लाख रुपए या इससे कम आय का प्रमाणपत्र, दिव्यांग विद्यार्थी को सिविल सर्जन का दिव्यांग प्रमाणपत्र पेश करना जरूरी है। 

केबल ऑपरेटर ट्राई के दिशा निर्देशों की अवहेलना कर रहे हैं

इसके अलावा उपभोक्ताओं ने स्थानीय केबल ऑपरेटरों व संचालकों के खिलाफ अखिल भारतीय ग्राहक कल्याण परिषद में शिकायत दर्ज कराई है। परिषद ने जिलाधिकारी से शहर में सख्ती से ट्राई के दिशा-निर्देश लागू किए जाने की मांग की है। संगठन के अध्यक्ष प्रकाश मेहाड़िया, राष्ट्रीय अध्यक्ष, एड भानुदास कुलकर्णी, जगदीश शुक्ला, देवेंद्र तिवारी, अश्विन मेहाड़िया, नागपुर अध्यक्ष व अन्य सदस्यों ने यह मांग की है। उपभोक्ताओं के अनुसार, ट्राई के दिशा-निर्देश के बावजूद स्थानीय केबल आॅपरेटर व संचालक अलग-अलग तरह के शुल्क के नाम पर ग्राहकों से मनमानी राशि वसूल रहे हैं। उपभोक्ताओं ने परिषद कार्यालय में ट्राई का रेट कार्ड भी दिखाया। परिषद के अनुसार ट्राई और स्थानीय केबल ऑपरेटरों व संचालकों के दर में 25 फीसदी का अंतर है। जीएसटी, इनकम टैक्स, मनोरंजन टैक्स, सर्विस चार्ज आदि जोड़कर अधिक शुल्क लिया जा रहा है। उपभोक्ताओं ने समय-समय पर सेवा ठप रहने और शिकायत किए जाने पर डीपी ठप, मेट्रो के काम, सड़क की खुदाई जैसे कारण बताए जाने की भी शिकायत की है। 

Created On :   6 March 2019 12:46 PM GMT

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