अब आपके मोबाइल तक नहीं घुस पाएंगे फेसबुक और गूगल

Facebook and Google will no longer be able to access your mobile
अब आपके मोबाइल तक नहीं घुस पाएंगे फेसबुक और गूगल
अब आपके मोबाइल तक नहीं घुस पाएंगे फेसबुक और गूगल

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। गूगल प्ले से कोई एप डाउनलोड करते समय जब आपसे यह पूछा जाता है कि आपके फेसबुक या जीमेल तक एप कंपनी की पहुंच होगी या नहीं, तो फिर आप भले ही सहमत न हों लेकिन मन मारकर आपको हां करनी ही पड़ती है। लेकिन राइट टू प्रायवेसी पर सुप्रीम कोर्ट के गुरुवार को फैसले के बाद गूगल और फेसबुक जैसी दुनिया की टॉप कंपनियों को भी अपनी डाटा पॉलिसी में बदलाव करना होगा।

सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में निजता के अधिकार को मौलिक अधिकारों की श्रेणी में रखा है। इसका सीधा मतलब यही हुआ कि कोई भी व्यावसायिक प्रयोजन के लिए किसी की व्यक्तिगत जानकारी या पसंद का इस्तेमाल नहीं कर सकता। मिसाल के लिए जब आप फेसबुक पर नए मेहमान के रूप में रजिस्ट्रेशन करते हैं तो फेसबुक की पहुंच आपके फोन के एड्रेस बुक तक हो जाती है। इसी तरह की कारगुजारियां गूगल और माइक्रोसॉफ्ट जैसी बड़ी मल्टीनेशनल कंपनियां भी करती हैं।

फिर क्या होता है?
आपके हां, यानी किसी भी सोशल नेटवर्किंग साइट पर नए मेहमान के रूप में जुड़ते ही आपके मोबाइल फोन पर दर्ज बहुत सी संवेदनशील जानकारियां व्यावसायिक कंपनियों तक पहुंच जाती हैं। यहां तक कि पीसी या पर्सनल कंप्यूटर के हार्ड डिस्क तक इन कंपनियों की पहुंच होती है। नए डिजिटल युग में उपभोक्ता के पसंद के मुताबिक कंपनियां मार्केटिंग की रणनीति तैयार करती हैं। मसलन, अगर आपने कभी किसी जगह की यात्रा फ्लाइट से की तो आपके आधार नंबर या मोबाइल नंबर के जरिए होटल व्यवसाय से जुड़ी कंपनियां आपको बुकिंग के लुभावने ऑफर्स पेश करती हैं। यही हाल ऑनलाइन शॉपिंग का है। आप 100 रुपए का सामान खरीदें या एक लाख का, फेसबुक या इस्टाग्राम से कनेक्ट ऑनलाइन शॉपिंग वेबसाइट्स मदर डाटाबेस यानी सोशल मीडिया कंपनी से उपलब्ध कराई गई जानकारियों के आधार पर ही आपको ऑफर्स देती हैं।

अब क्या बदलेगा
सु्प्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि संवेधान के अनुच्छेद 21 के तहत मौलिक अधिकार के रूप में निजता के हक का संरक्षण सरकार की जिम्मेदारी है। कोर्ट ने डिजिटल क्रांति का जिक्र करते हुए यह भी कहा कि सरकार को ही यह सुनिश्चित करना होगा कि किसी भी व्यक्ति की निजी जानकारी लीक न हो और इसके लिए डाटाबेस को कैसे सुरक्षित किया जाए। बदले हुए हालात में सरकार के साथ ही इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर कंपनियों को भी अपनी प्रायवेसी पॉलिसी में बदलाव लाना होगा और उसमें व्यक्ति के निजता के अधिकार को महत्व देना होगा। 

Created On :   24 Aug 2017 3:18 PM GMT

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