पिता की गुहार पर रेप से गर्भवती नाबालिग बेटी को HC से मिली एबार्शन की इजाजत

father asked permission for abortion of rap victim minor daughter to HC
पिता की गुहार पर रेप से गर्भवती नाबालिग बेटी को HC से मिली एबार्शन की इजाजत
पिता की गुहार पर रेप से गर्भवती नाबालिग बेटी को HC से मिली एबार्शन की इजाजत

डिजिटल डेस्क जबलपुर। हाईकोर्ट ने गुरुवार को खण्डवा के उस किसान को राहत दी है, जिसकी नाबालिग बेटी रेप का शिकार होने के बाद गर्भवती हो गई थी। मामले पर ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए जस्टिस सुजय पॉल की एकलपीठ ने 3 डॉक्टरों की निगरानी में जल्द से जल्द याचिकाकर्ता की नाबालिग बेटी का एबॉर्शन कराने की सशर्त अनुमति दी है। अपने फैसले में अदालत ने कहा है कि एक लड़की को रेपिस्ट के बच्चे को पैदा करने मजबूर नही किया जा सकता। 

यह याचिका खण्डवा जिले में रहने वाले एक किसान की ओर से दायर की गई है। आवेदक का आरोप है कि उसकी नाबालिग पुत्री को कोई अज्ञात व्यक्ति 13 व 14 अक्टूबर 2017 की दरमियानी रात को बहला फुसलाकर ले गया और उसके साथ दुराचार किया। पुलिस ने मामले को भादंवि और पास्को एक्ट के तहत दर्ज किया और आरोपी की तलाश शुरु की। इसी बीच आवेदक को पता चला कि रेप होने के बाद उसकी बेटी गर्भवती हो गई है। आवेदक का कहना है कि एकतरफ तो उसकी पुत्री बच्चे को जन्म देने की स्थिति में नहीं है और दूसरी तरफ याचिकाकर्ता उसकी प्रेग्नेंसी का वहन करने की उसकी आर्थिक हैसियत भी नहीं है। डिलेवरी के बाद बेटी का सामाजिक भविष्य बर्बाद होने और फिर उसकी शादी न हो पाने की आशंका को देखते हुए याचिकाकर्ता ने उसका गर्भपात कराने का रास्ता चुना। इस बारे में चिकित्सकों से बात करने के बाद भी कोई उपाय न मिलने पर यह याचिका दायर की गई। मामले पर बुधवार को हुई सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता पराग चतुर्वेदी और राज्य सरकार की ओर से उपमहाधिवक्ता पुष्पेन्द्र यादव ने दलीलें रखीं। 

16 सप्ताह का है गर्भ
याचिकाकर्ता ने रेप का शिकार हुई बेटी की मेडिकल रिपोर्ट का हवाला देकर कहा है कि उसके पेट में 16 सप्ताह का गर्भ है। अब पुलिस का कहना है कि जब कभी भी उसकी बच्ची की डिलेवरी हो, तो तत्काल उसकी सूचना दी जाए। ऐसा इसलिए ताकि बच्चे की डीएनए जांच कराकर आरोपी की तलाश की जा सके।

क्या कहता है कानून
(द) मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ 1978 की धारा 3(2) (बी) में दिए गए प्रावधान के मुताबिक जिस मामले में प्रेग्नेंसी 12 सप्ताह से अधिक और 20 सप्ताह से कम हो, उस मामले में किसी रजिस्टर्ड प्रेक्टिशनर से गर्भपात की इजाजत दी जा सकती है। यह मामला अलग इसलिए है, क्योंकि इसमें पीडि़त लड़की नाबालिग है।
 

 

Created On :   7 Dec 2017 8:04 AM GMT

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