जिंदगी-मौत के बीच झूल रही मूकबधिर रेप पीड़िता, अब तक FIR दर्ज नहीं

FIR was not registered on the complaint of rape victim
जिंदगी-मौत के बीच झूल रही मूकबधिर रेप पीड़िता, अब तक FIR दर्ज नहीं
जिंदगी-मौत के बीच झूल रही मूकबधिर रेप पीड़िता, अब तक FIR दर्ज नहीं

डिजिटल डेस्क, नागपुर। मेयो अस्पताल में एक मूकबधिर जिंदगी और मौत के बीच झूल रही है। चार दिन पहले युवती ने खुद को आग के हवाले कर लिया था। अस्पताल के वार्ड नंबर 42 के बेड नंबर 21 पर भर्ती युवती को आठ माह का गर्भ है। उसकी इस हालत का जिम्मेदार कौन है, कुछ पता नहीं। जरीपटका पुलिस ने मामले में अभी तक कोई एफआईआर दर्ज नहीं की है। पुलिस उसके होश में आने का इंतजार कर रही है।

पीड़िता ने खुद को जलाया
30 वर्षीय पीड़िता ने खुद को जलाने के साथ ही कोख में पल रहे मासूम को भी मौत की नींद सुलाने की कोशिश की। मूकबधिर और बेबस युवती के मां-बाप मजदूरी करते हैं। उसका एक छोटा भाई है। जो घर चलाने के लिए कामकाज कर मां-बाप की मदद करता है। एक दिन जब वो घर में अकेली थी, तो किसी ने उसकी लाचारी का फायदा उठाकर दुष्कर्म किया। हालांकि पीड़िता इस बारे में कुछ बता नहीं सकी। तंग आकर दशहरे के दिन उसने पूजाघर में रखे दिए से खुद को आग लगा ली। जिससे वो 45 प्रतिशत झुलस चुकी है। 

अस्पताल में बेहोश पड़ी युवती
मेयो अस्पताल में वो बेहोश है। उसकी इस हालत के बारे में परिजन को 15 दिन पहले ही पता चला था। तब से उससे वो पूछताछ कर रहे थे, लेकिन पीड़िता शारीरिक रूप से अक्षम होने के कारण आरोपी का नाम और हुलिया नहीं बता पा रही थी। घटना के बाद आस-पड़ोस के लोगों की मदद से उसे अस्पताल भर्ती कराया गया था। ऐसे संवेदनशील मामले को लेकर पुलिस कितनी गंभीर है। अंदाजा सहज ही लगाया जा सकता है। जबकि जरीपटका पुलिस चाहती तो पीड़िता की मां का बयान लेकर मामला दर्ज कर सकती थी, लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं किया गया। इससे पहले हुड़केश्वर में एक 14 वर्षीय लड़की के साथ सामूहिक दुष्कर्म का मामला भी सुर्खियों में रहा। जिसके बाद भी पुलिस प्रशासन सीख लेने को तैयार नहीं। अब पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान उठने लगे हैं

Created On :   6 Oct 2017 2:39 AM GMT

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