25 निर्माण एजेंसियों के खिलाफ होगी एफआईआर

FIR will be lodged against 25 construction agencies of umariya
25 निर्माण एजेंसियों के खिलाफ होगी एफआईआर
25 निर्माण एजेंसियों के खिलाफ होगी एफआईआर

डिजिटल डेस्क उमरिया । शिक्षा का लोक व्यापीकरण करने शासन एक ओर शहरों व ग्रामीण बस्तियों में स्कूल भवन तथा अतिरिक्त कक्ष बनवा रहा है और दूसरी ओर मैदानी अमला तथा निर्माण एजेंसियां अपनी गैरजिम्मेदाराना कार्यशैली के चलते शासन की मंशा में पलीता लगा रहीं हैं। जिले भर की 25 स्कलों मेंं शाला भवन व अतिरिक्त कक्ष लगभ 15 वर्षों सेे अपूर्ण हैं, जो बार बार पत्राचार करने के बाद भी नहीं बनाए गए।

जिला शिक्षा केन्द्र द्वारा इन भवनों की निर्माण एजेंसियों केे खिलाफ आपराधिक प्रकरण दर्ज कराया जा रहा है। निर्माण एजेसिंयों में 16 ग्रामपंचायतों के सरपंच व  सचिव तथा 9 की संख्या में पालक शिक्षक संघ हैं। ज्ञातव्य है कि कमरों के अभाव में  स्कूलों के संचालन में असुविधाओं का सामना करना पड़ रहा है। शिक्षकों द्वारा प्रशासन के समक्ष परेशानियां बताई जातीं हैं। यह सभी निर्माण कार्य सन् 2003-04 से सन् 12-13 तक के हैं जो आज भी अपूर्ण हैं। 

इन स्कूलों का निर्माण कार्य अधूरा पड़ा 
जिले के सभी तीनों विकास खण्डों में  ऐसी स्कूलें हैं जहां कार्य रुके पड़े हैं। इनमें करकेली अंतर्गत दुलहरी प्राथमिक शाला का अतिरिक्त कक्ष,रानी दादर, बहरघटा, अतरिया, देवडंडी  के अतिरिक्त कक्ष भवन तथा बांका में माडल कलस्टर कक्ष और गाजर में माध्यमिक शाला भवन कक्ष हैं। मानपुर अंतर्गत प्राथमिक शाला नरवार, नरवार 2, मझगवां, रायपुर, बेलहा टोला, दमोह, खलौध प्राथमिक शालाओं के अतिरिक्त कक्ष हैं। जबकि मझगवां, मुगवानी में  हेडमास्टर कक्ष, बसकुटा में माडल कलस्टर कक्ष शेष है।

पाली में छोट तुम्मी, कन्या घुनघुटी,  माध्यमिक कन्या घुनघुटी, टिकुरी के अतिरिक्त कक्ष भवन तथा तिवनी में माध्यमिक शाला भवन अपूर्ण है और मलहदू में हेड मास्टर कक्ष अपूर्ण है। तिवनी की स्थिति यह है कि यहां आज भी स्कूल एक अन्य स्कूल के पुराने जर्जर भवन में संचालित हो रही है। जहां माडल कलस्टर कक्ष नहीं है वहां बच्चों काो प्रदर्शनियों में बनाए गए माडल को रखने की जागह नहीं है। कुछ स्कूलों में कमरों की इतनी कमी है कि हेड मास्टर के ही बैठने की जगह नहीं है। यहां आज भी वही स्थिति बनी हुई है। 

कलेक्टर ने दिए एफआईआर के निर्देश 
बताया गया कि कई बार जानकारी कलेक्टर के संज्ञान में आने और निर्माण कार्य हेतु चर्चा किए जाने के बाद जब इन 25 संस्थाओं के अधूरे निर्माण कार्य पूर्ण किए जाने के आसार नहीं नजर आए तो कलेक्टर ने डीपीसी को निर्माण एजेसिंयों के खिलाफ एफआईआर कराने के निर्देंश दिए। अपूर्ण 47 कार्यों में से 25 को छोड़कर शेष 22 के कार्य समन्वय स्थापित करने के पश्चात शुरू कर दिए गए हैं।  संभवत: जून माह तक पूर्ण कर लिया जाएगा। यह  अधूरे निर्माण कार्य भी जिले के तीनो विकास खण्डों में हैं। लागत की सबसे अधिक परेशानी आ रही थी। जिसे किसी तरह निपटाया गया है। 

इस तरह की हीलाहवाली 
सन् 2003-04 में जब कार्य शुरू हुए उस समय कक्ष की निर्माण लागत 86 हजार रुपए स्वीकृत की गई थी। इसके बाद सन् 2012 में यह लागत 2 लाख 86 हजार हो गई। उस समय के सरपंच सचिव ने राशि आहरित कर कार्य आधा कराकर छोड़ दिया उसके बाद रुचि नही ली। यही स्थिति पालक शिक्षक संघ की भी रही। कुछ स्कूलें जिनके कार्य अब शुरू कराए जा रहे हैं वे ऐसी हैं कि उनकी राशि आज भी  पड़ी है लेकिन कार्य शुरू नहीं कराया गया था। वर्षों से चल रही उदासीनता के कारण निर्माण की लागत तो बढ़ गई लेकिन कार्य पूर्ण नहीं हो सके। जबकि कमरोंं की आवश्यकता आज भी है। कलेक्टर के विशेष प्रयासों के कारण 22 में कार्य शुरू हो सका। 

बच्चों को हो रही असुविधा 
जिन स्कूलों के लिए भवन स्वीकृत हुए  थे वहां छात्र संख्या काफी अधिक थी।  उन्हे बैठने की जगह नही मिल पाती है। इसके लिए शासन से अतिरिक्त कक्ष व शाला भवनों की माग की गई थी। लेकिन निर्माण कार्य की हीला हवाली के कारण न भवन बने न बच्चों को बैठने के लिए पर्याप्त जगह मिली। अभी भी वही स्थिति है, सबसे अधिक कठिनाई बरसात के मौसम में होती है। जर्जर शाला भवनों की छत से पानी टपकता है। जो कि अंदर कमरों में घुस जाता है। इस कारण कभी कभी कक्षाएं स्थिगित कर दी जातीं हैं और स्कूल की छुट्टी कर दी जाती है। पढ़ाई- लिखाई मेेंं व्यावधान उत्पन्न होता है। 

इनका कहना है 
प्रकरण तैयार कर लिए गए हैं, शीघ्र ही संबंधित थानों में प्रकरण दर्ज करा दिए जाएंगे। 
(सुशील मिश्रा, डीपीसी, जिला शिक्षा केन्द्र उमरिया)

 

Created On :   8 May 2018 8:01 AM GMT

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