गोलीबारी में घायल किसान को नहीं मिली आर्थिक सहायता, उल्टे मामले हुए दर्ज

firing injured farmers did not get financial help by government
गोलीबारी में घायल किसान को नहीं मिली आर्थिक सहायता, उल्टे मामले हुए दर्ज
गोलीबारी में घायल किसान को नहीं मिली आर्थिक सहायता, उल्टे मामले हुए दर्ज

डिजिटल डेस्क, मुंबई। मुफीद पठान, पैठण। नवंबर में शक्कर कारखाने द्वारा गन्ने को 3100 रुपए का दाम घोषित करने को लेकर किए जा रहे आंदोलन के हिंसक स्वरूप लेने के बाद पुलिस की गोलीबारी में घायल हुए दो किसानों में से एक उद्धव मापारी फेफड़े में धंसी गोली के साथ जीवन जीने के लिए मजबूर हो गया है। पैठण तहसील के मौजे तेलवाड़ी निवासी उद्धव के साथ ही गोलीबारी में घायल बाबूराव डुकले को भी मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की घोषणा के बावजूद अभी तक कोई आर्थिक सहायता तो मिली ही नहीं है, साथ ही उन्हें अपनी जेब से ही इलाज का खर्च चुकाना पड़ रहा है, वहीं उन पर सरकारी की ओर से मामले अलग दर्ज हो चुके हैं।


जिंदगी भर की परेशानी, इलाज नहीं आसां, परिवार पर भूखो मरने की नौबत
किसान उद्धव मापारी को गोलीबारी के समय सीने में गोली लगी है, जो अभी भी उनके बाएं फेफड़े सीने में मौजूद है। डॉक्टर के मुताबिक गोली निकाले जाने पर उनकी जान जा सकती है। गोली सीने के अंदर होने के कारण उद्धव मापारी हमेशा के लिए असमर्थ हो गए हैं। अब वह कोई भी कार्य नहीं कर सकते क्योंकि इससे उन्हें असहनीय पीड़ा से गुजरना पड़ता है। यूं मापारी का स्वास्थ्य अच्छा है, लेकिन उन्हें हमेशा सीने में पीड़ा (चमक), चक्कर आने, पैदल चलने पर दम फूलने आदि की शिकायत रहती है। घायल किसान के परिवार में वह सबसे बड़े बेटे हैं। बुजुर्ग माता-पिता, पत्नी, दो लड़कियां, दो लड़के तथा दो भाई हैं। कुल 5 एकड़ जमीन है। आर्थिक सहायता नहीं मिलने से आर्थिक स्थिति दयनीय है। उपचार के लिए हर माह उन्हें 10-12 हजार रुपएखर्च आने से परिवार पर भूखो मरने की नौबत आ गई है।


मुख्यमंत्री के आश्वासन पूरे नहीं हुए, मामले भी दर्ज
राज्य में किसानों के आंदोलन को शांत करने के लिए मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने तत्काल गोलीबारी में घायल किसानों को सरकारी मदद की घोषणा की थी, जिसे दो माह में भी अमल में नहीं लाया जा सका है। आर्थिक सहायता को तो छोड़ ही दें, घायल किसानों सहित आंदोलन में शामिल किसानों पर दंगा करने, आगजनी करने, सरकारी व निजी मालमत्ता को नुकसान पहुंचाने आदि धाराओं 353, 341, 337, 335, 143, 147, 148, 149, 395, 333, 233, 427, 307, 135 आईपीसी तथा 37(1)(3), 135 बीपी एक्ट तथा आर डब्ल्यू धारा 7 क्रिमनल एक्ट कमिटमेंट एक्ट आर डब्ल्यू 3 तथा 7 के तहत मामले दर्ज किए गए हैं।


दानवे भी भूले वादा
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष तथा सांसद रावसाहब दानवे जब घायल किसान उद्धव मापारी व बाबूराव डुकले का हालचाल पूछने अस्पताल पहुंचे थे तो उन्होंने अस्पताल में ही गोलीबारी में घायल किसानों के परिवारों को तत्काल एक लाख रुपएकी सरकारी आर्थिक सहायता देने की घोषणा की थी। लेकिन दो माह बाद भी तत्काल सहायता नहीं मिल पाई है।


क्या था मामला
स्वाभिमानी संगठन तथा गन्ना उत्पादक किसानों द्वारा गत 5 नवंबर 2017 को शुरू हुआ शांतिपूर्ण आंदोलन 15 नवंबर को सुबह पैठण व शेवगांव (जि.अहमदनगर) पुलिस द्वारा किसान नेताओं की धरपकड़ शुरू किए जाने से हिंसक हो गया। पैठण शहर से 15 किलोमीटर दूर मौजे खानापुर व  घोटन (तह. शेवगांव) में किसानों ने पैठण-अहमदनगर महामार्ग पर जाम लगाया और टायर व लकडिय़ां जलाकर आगजनी की। आंदोलनकारी किसानों को तितर-बितर करने के लिए मौजूद पुलिस ने आंसू गैस व लाठीचार्ज के बाद गोली चलाने को मजबूर होना पड़ा। इस गोलीबारी में पैठण तहसील के मौजे तेलवाड़ी के दो किसान उद्धव मापारी व बाबूराव डुकले गंभीर रूप से घायल हुए। उन्हें अहमदनगर स्थित निजी मैक्स अस्पताल में भर्ती कराया गया। अस्पताल में इलाज के दौरान घायल किसानों का हालचाल जानने के लिए राज्य के नेताओं में होड़ मची थी। राज्य के अनेक मंत्रियों, विपक्षी दल के नेताओं ने उनके हालचाल पूछे जिनमें राज्य के वरिष्ठ समाजसेवी अन्ना हजारे, गृह राज्यमंत्री दीपक केसरकर, विपक्षी दल के नेता राधाकृष्ण विखे, राज्यमंत्री सदाभाऊ खोत, सांसद राजू शेट्टी, सांसद दिलीप गांधी आदि शामिल थे, लेकिन बाद में सभी भूल गए। इस बीच राज्य के मुख्यमंत्री ने घायल किसान को तत्काल आर्थिक सहायता देने की भी घोषणा की थी, जो उन्हें दो माह बाद भी नहीं मिल सकी है।

Created On :   13 Jan 2018 5:29 PM GMT

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