इस समाज में पहली बार बिना वर्जिनिटी टेस्ट के हुआ ब्याह
By - Anita Peddulwar |16 May 2018 10:02 AM GMT
इस समाज में पहली बार बिना वर्जिनिटी टेस्ट के हुआ ब्याह
डिजिटल डेस्क, पुणे। कांजरभाट समाज में पहली बार बिना वर्जिनिटी टेस्ट के ब्याह हुआ। वर्जिनिटी टेस्ट के खिलाफ मुहिम शुरू करने वाले विवेक तामयचिकर ने अपने ही समाज के खिलाफ लड़ाई जीती है। 12 मई को विवेक और ऐश्वर्या भाट का ब्याह हुआ है। दोनों ही कांजरभाट समाज से आते हैं, दोनों को वर्जिनिटी टेस्ट मंजूर नहीं था। बता दें कि कांजरभाट समाज में वर्जिनिटी टेस्ट करना अनिवार्य है, जिसके खिलाफ पिछले 6 महीने से विवेक लड़ रहे थे। विवेक की शादी ऐश्वर्या से होना वह भी बिना किसी वर्जिनिटी टेस्ट के, यह अपने आप में कांजरभाट समाज के बदलाव की तरफ पहला कदम है। महाराष्ट्र अंधश्रद्धा निर्मूलन समिती और शिवसेना ने ‘स्टॉप द वी रिच्युअल" मुहिम का समर्थन किया था।
शुरू की थी फेसबुक पर मुहिम
- विवेक तामयचिकर ने अपने समाज के खिलाफ लड़ाई को ग्लोबल बनाया। वर्जिनिटी टेस्ट के खिलाफ विवेक ने ‘स्टॉप द वी रिच्युअल" नाम का फेसबुक पेज तैयार किया था। जिसके जरिए उनका मकसद समाज में चल रही इस अनिष्ट प्रथा से महिलाओं को छुटकारा दिलाना था।
- 6 महीने में यह सोशल मुहिम बन गया। समाज के हर स्तर पर इसकी चर्चा होने लगी। इस बारे में आवाज उठाने वाले विवेक और उनके समर्थकों पर हमला भी हुआ, लेकिन विवेक नहीं हारे।
- उनका कहना था, जो समाज में बुरा है, उसे खत्म होना चाहिए। मैं अपनी शादी बिना वर्जिनिटी टेस्ट के करना चाहता था। यह टेस्ट अमानवीय है। ऐसा मैं मानता हूं। मेरी शादी से यह शुरुआत हुई है तो आगे जाकर शायद पूरी तरह यह रस्म खत्म हो जाएगी।
ऐसे सुर्खियों में आया यह मामला
- 14 जनवरी को पुणे के विश्रांतवाडी में वर्जिनिटी टेस्ट होने के बाद शादी के मंडप में लड़की के पिता को पंचायत के पंचों को पैसा देकर उसकी शादी अधिकृत करने के लिए मजबूर किया गया था।
- कंजारा भाट समाज में आज भी शादी के बाद वर्जिनिटी टेस्ट की जाती है। जांच करने के लिए पंचायत बैठाई जाती है और पैसों की मांग की जाती है। इसके बाद इन्हें शादी की अनुमति मिलती है।
- इसी वर्जिनिटी टेस्ट का विरोध कंजारा भाट समाज के कुछ पढ़े-लिखे लड़के-लड़कियों ने किया है।
- इसके लिए फेसबुक, व्हाट्स एप पर इसके खिलाफ अभियान चलाया जा रहा है। इसे लेकर ‘स्टॉप द वी रिच्युअल" वॉट्स एप ग्रुप भी तैयार किया है। इस ग्रुप में 70 से 80 लड़के-लड़कियां जुड़े हुए हैं।
- इस मुहिम को शुरू करने वालों का आरोप है कि ग्रुप के पॉपुलर होने से कंजारा समाज के लोग उनके खिलाफ हो गए।
Created On :   16 May 2018 5:43 AM GMT
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