स्पेस में 3 अरब प्रकाश वर्ष दूर से मिले जीवन के संकेत, वैज्ञानिकों ने पकड़ी रेडियो तरंगे

FRBS discovered coming from galaxy 3 billion light years away
स्पेस में 3 अरब प्रकाश वर्ष दूर से मिले जीवन के संकेत, वैज्ञानिकों ने पकड़ी रेडियो तरंगे
स्पेस में 3 अरब प्रकाश वर्ष दूर से मिले जीवन के संकेत, वैज्ञानिकों ने पकड़ी रेडियो तरंगे
हाईलाइट
  • 10 करोड़ डॉलर की लागत से खगोलीय कार्यक्रम 'ब्रेकथ्रू लिसन' चलाया जा रहा है।
  • आर्टिफिशल इंटेलिजेंस (AI) की मदद से वैज्ञानिकों ने 72 नए फास्ट रेडियो विस्फोट (FRBs) का पता लगाया है।
  • इस कार्यक्रम को एक बड़ी सफलता मिली है।

डिजिटल डेस्क, बेंगलुरु। पृथ्वी के अलावा क्या किसी दूसरे गृह पर जीवन है? इसकी खोज में 10 करोड़ डॉलर की लागत से खगोलीय कार्यक्रम "ब्रेकथ्रू लिसन" चलाया जा रहा है। इस कार्यक्रम को एक बड़ी सफलता मिली है। आर्टिफिशल इंटेलिजेंस (AI) की मदद से वैज्ञानिकों ने 72 नए फास्ट रेडियो विस्फोट (FRBs) का पता लगाया है। सोमवार को इसकी घोषणा की गई। वैज्ञानिकों का कहना है कि बाहरी दुनिया के जिस सोर्स से ये तरंगे आ रही हैं, वहां जीवन की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता।

वैज्ञानिकों को जो रेडियो सिग्नल मिले हैं, वो FRB-121102 से आ रहे हैं। हमारी गैलेक्सी मिल्की वे से यह गैलेक्सी करीब 3 अरब प्रकाश वर्ष दूर है। ब्रेकथ्रू लिसन की ओर से बताया गया, "एक विस्फोट (तरंगों के रिलीज) के दौरान ज्यादातर FRBs की पहचान की गई। इसके विपरीत FRB-121102 ही अकेली ऐसी गैलक्सी है जहां से लगातार तरंगें निकल रही हैं। 2017 में ब्रेकथ्रू लिसन की निगरानी के दौरान वेस्ट वर्जिनिया में ग्रीन बैंक टेलिस्कोप (GBT) की मदद से कुल 21 बर्स्ट की पहचान की जा सकी थी।

यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफॉर्निया, बर्कले के पोस्ट डॉक्टरल रिसर्चर डॉ. विशाल गज्जर ने पिछले साल FRB-121102 की पहचान की थी। डॉ. विशाल मूल रूप से गुजरात से ताल्लुक रखते हैं। फास्ट रेडियो बर्स्ट या FRBs दरअसल बेहद संक्षिप्त अवधि की (महज मिलीसेकंड्स में) दूर आकाशगंगाओं से आती रेडियो तरंगे होती हैं। लिसन साइंस की टीम ने अब एक नया, पावरफुल मशीन लर्निंग एल्गोरिदम भी विकसित कर लिया है। इसके जरिए जब 2017 के डेटाबेस का दोबारा विश्लेषण किया गया तो 72 नए FRBs का पता चला।

वैज्ञानिकों का कहना है कि ये रहस्यमय स्रोत कितने पावरफुल हैं, FRBs का पता चलने से यह समझने में मदद मिलेगी। रिसर्च स्टूडेंट गेरी झांग जिसने इस एल्गोरिदम को विकसित किया है ने कहा, "रेडियो ट्रांजिएंट का पता लगाने के लिए इन तरीकों का इस्तेमाल करने की यह तो शुरुआत है। उम्मीद जताई जा रही है कि आगे चलकर ऐसे सिग्नल भी पकड़े जा सकेंगे जो क्लासिकल एल्गोरिदम से छूट जाते थे।"

Created On :   10 Sep 2018 6:06 PM GMT

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