श्मशान घाटों पर नहीं मिलेंगी नि:शुल्क लकड़ियां, चुकानी होगी कीमत

Free wood will not be available cremation ghats, price will be paid
श्मशान घाटों पर नहीं मिलेंगी नि:शुल्क लकड़ियां, चुकानी होगी कीमत
श्मशान घाटों पर नहीं मिलेंगी नि:शुल्क लकड़ियां, चुकानी होगी कीमत

डिजिटल डेस्क,नागपुर। अंबाझरी श्मशान घाट के बाद मोक्षधाम, गंगाबाई, मानेवाड़ा, मानकापुर और सहकार नगर श्मशान घाट पर भी अब अंतिम संस्कार के लिए नि:शुल्क लकड़ियां मिलनी बंद हो गई है। इन घाटों पर अंतिम संस्कार के लिए अब लकड़ियां खरीदनी होंगी। एक शव का दाह-संस्कार करने  के लिए करीब 300 किलो लकड़ी की जरूरत पड़ती है। इसके लिए संबंधित परिवारों को 2412 रुपए देने होंगे। पहले 2211 रुपए देने पड़ते थे। लकड़ियों की कीमतों में भी 201 रुपए का इजाफा कर दिया है। जिन परिवारों को नि:शुल्क दाह-संस्कार करना है, उनके लिए नागपुर महानगरपालिका ने मोक्षकाट (बायोकोल ब्रिकेट)  उपलब्ध कराए हैं। लकड़ी के बदले मोक्षकाट दाह-संस्कार के लिए नि:शुल्क दिए जाएंगे। एक नवंबर से शहर के इन 6 श्मशान घाटों में यह नियम लागू किया गया है। शहर के अन्य 10 घाटों पर नि:शुल्क लकड़ियों की सेवा जारी रहेगी। मनपा आयुक्त अभिजीत बांगर ने सभी जोन आयुक्त को यह पत्र जारी कर निर्देश दिए हैं। 

प्रदूषण रोकने के लिए उठाया कदम 
बताया गया कि लकड़ियों को जलाने से प्रदूषण का स्तर बढ़ रहा है। एक संस्था ने लकड़ी के बजाये मोक्षकाट का विकल्प दिया था। दावा था कि लकड़ी की तुलना में मोक्षकाट कम प्रदूषण करते हैं। अंबाझरी घाट पर पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर इसे लागू किया गया था। 2016 में अंबाझरी घाट पर लकड़ी के बजाये मोक्षकाट नि:शुल्क देने की योजना शुरू की थी। अंबाझरी घाट पर इसे अच्छा प्रतिसाद मिला और प्रदूषण स्तर में कमी होने का दावा किया गया। इसके बाद 2018 में तत्कालीन मनपा स्थायी समिति ने शहर के छह घाटों पर लकड़ी की बजाए मोक्षकाट नि:शुल्क देने का निर्णय लिया था। 1 नवंबर 2019 से यह निर्णय इन घाटों पर लागू किया गया है। इन घाटों पर अब मोक्षकाट नि:शुल्क मिलेगा, लेकिन कोई लकड़ी से अंतिम संस्कार करना चाहता है, तो उसे अलग से पैसे देने होंगे। 

शहर में 16 श्मशान घाट 
शहर में 16 श्मशान घाट हैं। इसमें अंबाझरी, मोक्षधाम, मानेवाड़ा, मानकापुर, सहकारनगर, गंगाबाई घाट, नारा-नारी, वैशाली नगर, फ्रेंड्स कॉलोनी, पारडी, कलमना, भरतवाडा, दिघोरी, वाठोड़ा, मानेवाड़ा, शांति नगर श्मशान घाट शामिल हैं। इन घाटों पर  हर साल करीब 14 हजार 500 शवों का अंतिम संस्कार होता है। अंबाझरी, मोक्षधाम, मानकापुर, सहकारीनगर, गंगाबाई घाट शहर के बीच होने से सर्वाधिक शव इन्हीं श्मशान घाटों पर आते हैं। कभी-कभी इन घाटों पर दाह-संस्कार के लिए चबूतरे तक नहीं मिलते हैं। इतनी भीड़ हो जाती है। ऐसे में इन महत्वपूर्ण घाटों पर मनपा ने लकड़ी की बजाये मोक्षकाट नि:शुल्क देने का निर्णय लिया ताकि पर्यावरणपूरक दाह-संस्कार को बढ़ावा मिल सके। 

हर साल 3.20 करोड़ की लकड़ियां जलाते हैं 
शहर में हर साल करीब 14 हजार 500 शवों का इन घाटों पर दाह-संस्कार होता है। एक शव को करीब 300 किलो लकड़ी लगती है। 1 नवंबर 2019 से लागू नए दर अनुसार एक शव के लिए 2412 रुपए खर्च करने होंगे। इस अनुसार हर साल 3.20 करोड़ रुपए मनपा को लकड़ी पर खर्च करने होंगे। इसके लिए दो कंपनी जतना स्वामी कामठी और भूपेश चामट नागपुर को ठेका दिया गया है। इन्हें शव अनुसार लकड़ी का भुगतान किया जाएगा। इसकी तुलना में मोक्षकाट से अंतिम संस्कार सस्ते में होता है। अंतिम संस्कार के लिए मोक्षकाट 10 किलो में होता है। यह गोबरी और घास से बनता है। जलाने में आसानी होती है। 10 किलो मोक्षकाट के लिए 118 रुपए भुगतान करना पड़ता है। ऐसे में पर्यावरणपूरक दाह-संस्कार के साथ मनपा के राजस्व में भी भारी बचत का दावा किया गया है। 

मोक्षकाट से दाह-संस्कार से हिचकिचा रहे हैं लोग
हालांकि परंपरा और मान्यता अनुसार लोग अब भी लकड़ियों को प्राथमिकता दे रहे हैं। वे मोक्षकाट से दाह-संस्कार करने से हिचकिचा रहे हैं। मोक्षकाट से दाह-संस्कार करने के लिए मान्यताएं आड़े आ रही हैं। ऐसे में न चाहकर भी उन्हें लकड़ियां खरीदने पर मजबूर होना पड़ रहा है। मनपा के पूर्व अतिरिक्त आयुक्त दिवाकर पाटने ने शहर में गरीब और जरूरतमंदों को ध्यान में रखकर दाह-संस्कार के लिए लकड़ियां नि:शुल्क देने का निर्णय लिया गया था। बाद में यह सभी के लिए नि:शुल्क किया गया। मनपा की इस योजना को काफी सराहा गया था। 
 

Created On :   13 Nov 2019 5:27 AM GMT

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