गडकरी की सलाह- चीनी की बजाय अब इथेनॉल बनाए किसान

Gadkaris advice - Farmers should produce ethanol instead of sugar
गडकरी की सलाह- चीनी की बजाय अब इथेनॉल बनाए किसान
गडकरी की सलाह- चीनी की बजाय अब इथेनॉल बनाए किसान

डिजिटल डेस्क, मुंबई। विदेशी चीनी की कम कीमत और देश के चीनी कारखानों पर बढ़ते कर्ज के बोझ के चलते यह उद्योग घाटे का सौदा हो गया है। बार-बार कर्ज लेकर कारखाना चलाना भी अब ज्यादा दिनों तक नहीं चलेगा इसलिए चीनी कारखानों को अब इथेनॉल बनाना शुरू कर देना चाहिए। साथ ही किसानों को भी गन्ने की फसल से परहेज करना चाहिए केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने यह सलाह चीनी कारखाना मालिकों और गन्ना उत्पादक किसानों को दी।

महाराष्ट्र राज्य सहकारी बैंक के एक कार्यक्रम में पहुंचे गडकरी ने कहा चीनी का व्यवसाय मुश्किल में फंस गया है। ब्राजील में चीनी प्रति किलो 22 रुपए में है, जबकि चीनी उत्पादन में अग्रणी उत्तर प्रदेश में चीनी 33-34 रुपए किलो बिक रही है। लागत लगातार बढ़ने के चलते कारखाना मालिक घाटे में हैं, जबकि किसान भी कर्ज में डूब गए हैं इसलिए किसानों को अब दूसरी फसलें उगानी चाहिए। ईंधन के बढ़ते दाम के चलते इथेनॉल बनाकर गन्ने की फसल से मुनाफा कमाया जा सकता है।

राज्य में सहकारिता के क्षेत्र में चल रही गड़बड़ियों पर गडकरी ने चिंता जताई। उन्होंने कहा कि सहकारिता के योगदान के चलते ही महाराष्ट्र गुजरात और मध्यप्रदेश को पीछे छोड़ने में कामयाब रहा लेकिन अब गड़बड़ियों के चलते अब दिल्ली में इसे लेकर अच्छी राय नहीं है।  

गैरजरूरी है प्लास्टिक पाबंदी
गडकरी ने कहा कि राज्य में पर्यावरण विभाग की ओर से की गई प्लास्टिक बंदी ठीक नहीं है। उन्होंने कहा कि फिलहाल हम जिस प्लास्टिक का इस्तेमाल करते हैं वह पेट्रोल प्लास्टिक है। यह मिट्टी में मिल जाता है, इसलिए इस पर पाबंदी की कोई जरूरत नहीं थी। 

बोली से NHAI को मिलेंगे 10 हजार करोंड़
गडकरी ने कहा कि टोल-ऑपरेटर-ट्रांसफर (TOT) प्रारुप के तहत राजमार्ग परियोजनाओं की दूसरे चरण की बोली से 10 हजार करोड़ रुपए जुटाने की उम्मीद है। दरअसल भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) टोल टैक्स वसूली, परिचालन और वापसी के मॉडल पर राजमार्गों की नीलामी कर रहा है। पहले चरण में कुल नौ राजमार्ग परियोजनाओं की नीलामी हो चुकी है। इसके जरिए 9681 करोड़ रुपए जुटाए गए थे अब अगले चरण में 10 हजार करोड़ रुपए एकत्रित होने की उम्मीद है।

दूसरे चरण की बोली में राजस्थान, गुजरात बिहार और पश्चिम बंगाल के राजमार्ग शामिल हैं। इनकी कुल लंबाई 586.552 किलोमीटर है और इन मार्गों पर 12 टोल प्लाजा हैं। TOT के तहत राजमार्ग के निर्माण और परिचालन का ठेका लेने वाली कंपनियों को 30 साल तक वाहनों से पथ-कर वसूलने का अधिकार होता है। नीलाम की गयी पहली नौ परियोजनाओं के समूह में आंध्र प्रदेश और गुजरात की कुल 681 किलो मीटर के सड़क खंड पेश किए गए थे। इनका ठेका आस्ट्रेलिया की कंपनी मैक्योरी को मिला। 

Created On :   15 Nov 2018 4:17 PM GMT

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