गणगौर पर्व : मालवा निमाड़ का गौरव

गणगौर पर्व : मालवा निमाड़ का गौरव
गणगौर पर्व : मालवा निमाड़ का गौरव
गणगौर पर्व : मालवा निमाड़ का गौरव

डिजिटल डेस्क, भोपाल। मालवा और निमाण का गौरव कहा जाने वाला पर्व गणगौर चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया को मनाया जाता है, इसे गौरी तृतीया भी कहा जाता हैं। इस दिन माता पार्वती के अवतार के रूप में गणगौर और शंकर जी के अवतार के रूप में ईसर जी की पूजा की जाती है। यह पर्व राजस्थान का मुख्य पर्व है। जिसे पूरे मालवा में बड़ी ही धूमधाम से मनाया जाता है। मालवा के साथ ही इसे मध्यप्रदेश के निमाड़ में भी खूब धूमधाम से मनाया जाता है। जहां मारवाड़ी इस पर्व को 16 दिन मनाते हैं तो वहीं निमाड़ में इस पर्व को 3 दिन मनाया जाता है। गणगौर लोकपर्व होने के साथ-साथ रंगबिरंगी संस्कृति का अनूठा उत्सव है। यह पर्व विशेष तौर पर केवल महिलाओं के लिए ही होता है

गणगौर का महत्व

गणगौर एक ऐसा पर्व है जिसे हर स्त्री मनाती है चाहे वो कुंवारी हो या सुहागन। कुंवारी लड़कियां यह व्रत मनचाहे वर की प्राप्ति के लिए करती हैं, तो वहीं सुहागनें अपने पति की लंबी उम्र के लिए इस व्रत को रखती हैं। इस दिन पूरे विधि-विधान से गणगौर की पूजा की जाती है। कुंवारी कन्या पूरी तरह से तैयार होकर और विवाहित स्त्रियां सोलह श्रृंगार कर विधी-विधान से पूजा करती हैं।

पूजन विधी

  • सर्वप्रथम चौकी लगाकर उस पर स्वास्तिक बनाकर पूजन करें।
  • पानी से भरा कलश, उसके ऊपर पांच पान के पत्ते रखें और उसपर नारियल रख कलश को चौकी के दाहिनी ओर रखें।
  • चौकी पर सवा रुपया और सुपारी रखकर पूजन करें।
  • चौकी पर होली की राख या काली मिट्टी से 16 छोटी-छोटी पिण्डी बनाकर उसे चौकी पर रखें, पानी से छीटे देकर, कुमकुम-अक्षत से पूजा करें।
  • दीवार पर एक पेपर लगाकर कुंवारी लड़कियां आठ-आठ और विवाहिल स्त्रियां सोलह-सोलह कुमकुम, हल्दी, मेहंदी और काजल की बिंदी लगाएं।
  • उसके बाद गणगौर के गीत गाएं और पानी का कलश साथ रखें, हाथ में दूब लेकर जोड़े से 16 बार गणगौर गीत के साथ पूजा करें।
  • गणगौर की, गणेश जी की कहानी कहें, और सूर्य देव को जल चढ़ाकर अर्ध्य दें।
  • आखिर में उद्यापन कर पूजा में इस्तेमाल की गई सारी चीजें विसर्जत कर दें।  

Created On :   19 March 2018 3:39 PM GMT

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