इस कारण स्वतंत्रता दिवस के कार्यक्रम में शामिल नहीं हुए थे 'राष्ट्रपिता महात्मा गांधी'

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। इस बार हम अपनी आजादी के 70 साल पूरे कर चुके हैं, लेकिन आज भी कुछ ऐसी ही बातें हैं जो हमें पता नहीं चल पाई हैं या हमने कभी जानने की कोशिश नहीं की। उन्हीं बातों में से एक है कि जब देश आजाद हुआ और पहली बार देश में स्वतंत्रता दिवस का कार्यक्रम रखा गया तो उसमें राष्ट्रपिता महात्मा गांधी शामिल हुए नहीं थे। इस बात का कारण आज भी कई लोगों को नहीं पता है। इसलिए आज हम आपको इस बात का कारण बताते हैं कि आखिर स्वतंत्रता दिवस के कार्यक्रम से भी जरूरी ऐसी कौन सी बात थी, जिस कारण गांधी जी स्वंत्रता दिवस के कार्यक्रम में शामिल नहीं हुए?
बंगाल में हिंदू-मुस्लिम दंगा रोकने गए थे गांधी जी
जब हमारा देश अंग्रेजों की गुलामी से आजाद था। पूरा देश एक तरफ जहां आजाद होने की खुशी में मशगूल था, तो वहीं दूसरी तरफ से बंटवारे का गम भी सबको सता रहा था। लेकिन इन सबसे अलग गांधी जी को अलग ही बात की चिंता थी। आजादी से कुछ दिन पहले ही गांधी जी दिल्ली से हजारों किलोमीटर दूर पश्चिम बंगाल के नोआखली में थे। आजादी के कुछ दिन पहले से ही यहां पर हिंदू-मुसलमान के बीच भयंकर दंगा चल रहा था और कई बेकसूर और बेगुनाह लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ रही थी। इस दंगे से गांधी जी भी बहुत दुखी थे और वो इसे रोकने के लिए नोआखली में अनशन पर बैठे हुए थे।
नेहरु जी ने भेजा खत, लेकिन गांधी जी ने कर दिया मना
आजादी से कुछ दिन पहले ही तय हो गया था कि 15 अगस्त को भारत अंग्रेजों से आजाद हो जाएगा। तो जवाहर लाल नेहरू और सरदार वल्लभ भाई पटेल ने गांधी जी को एक खत लिखा, जिसमें लिखा गया था कि "ये हमारा पहला स्वतंत्रता दिवस होगा। आप राष्ट्रपिता हैं। इसमें शामिल होकर हमें आशीर्वाद दें।" इस पर गांधी जी ने जवाब देते हुए कहा कि, "जब कलकत्ते में हिंदू-मुसलमान एक दूसरे की जान ले रहे हैं तो ऐसे में मैं आजादी का जश्न कैसे मना सकता हूं?" उन्होंने कहा कि वो इस सांप्रदायिक दंगों को रोकने के लिए अपनी जान तक दे देंगे।


Created On :   14 Aug 2017 12:42 PM IST