गंगा-कावेरी डकैती कांड : ट्रैक में सिक्का फंसाकर रोकी गई थी ट्रेन!

Ganga Kaveri Train robbery: coin is used to stop train!
गंगा-कावेरी डकैती कांड : ट्रैक में सिक्का फंसाकर रोकी गई थी ट्रेन!
गंगा-कावेरी डकैती कांड : ट्रैक में सिक्का फंसाकर रोकी गई थी ट्रेन!

डिजिटल डेस्क, चित्रकूट। चेन्नई सेंट्रल से चलकर छपरा की ओर जा रही गंगा-कावेरी एक्सप्रेस में बीती रात पनहाई-डभौरा स्टेशन के बीच लुटेरों ने ट्रैक में सिक्का फंसाकर ट्रेन रोकी थी। ट्रैक के ज्वाइंट पर सिक्का फंसाने के कारण सिग्नल रेड हो गया और इसके बाद बदमाशों ने गाड़ी बढ़ने की हर कोशिश नाकाम कर दी। तकरीबन 7 बार चेन पुलिंग होने से मौके पर तकरीबन 30 मिनट तक ट्रेन टस से मस नहीं होने पाई। इसी बीच स्लीपर क्लास की 4 बोगियों में एक साथ लूटपाट हुई। विरोध करने पर यात्रियों पर चाकुओं से हमला कर दिया। सुबह सवा 3 बजे लुुटेरे यूपी की ओर भागे और घने जंगलों में गुम हो गए।

चित्रकूट (कर्वी) के पुलिस अधीक्षक मनोज झा ने बताया कि ट्रेन में सवार किसी यात्री ने डॉयल-100 को रात 2 बजे इत्तला की और इसी सूचना पर मानिकपुर के थाना प्रभारी 2 बज कर 20 मिनट पर फोर्स के साथ मौके पर पहुंचे। ये रेलखंड उत्तर मध्य रेलवे के इलाहाबाद मंडल में स्थित है। 

झाड़ियों में छूटा लेपटाप, फोर व्हीलर से भागे
एसपी के मुताबिक मानिकपुर थानेदार जिस वक्त ट्रेन के पास पहुंचे काफी फासले में डकैत अंधेरे का फायदा उठा कर भाग रहे थे। ज्यादातर की उम्र 20से 25 साल थी। इनमें से लगभग 45 साल का एक बदमाश ट्रेन से बाहर फेंका गया सामान समेट रहा था। हड़बड़ी में उसी से झाड़ी में पड़ा एक लेपटाप छूट गया। पुलिस का मानना है कि डकैत डेढ़ दर्जन की तादाद में थे। ज्यादातर के पास चाकू-छुरी और कट्टे थे। वारदात के बाद बदमाश जिस पगडंडी से भागे, माना जा रहा है कि कुछ दूरी के बाद वहां फोर व्हीलर के निशान मिले हैं। 

सतना जीआरपी सीसीटीवी फुटेज के जरिए इस आशंका की जांच कर रही है कि क्या डकैती की वारदात में शामिल कुछ बदमाश सतना स्टेशन से गंगा-कावेरी के स्लीपर कोच में सवार हुए थे? असल में कटनी के बाद गंगा-कावेरी सतना और फिर सतना से सीधे इलाहाबाद में ही रुकती है। इसका मानिकपुर में स्टापेज नहीं है। जबकि वारदात के पहले सबसे पहले मानिकपुर स्टेशन में चेनपुलिंग हुई थी, लेकिन महज 3 मिनट के अंदर प्रेशर मेकअप हो जाने के कारण यात्रियों को इस बात का अंदेशा नहीं था कि आगे कोई बड़ी वारदात उनका इंतजार कर रही है। 

अगर बदमाश ट्रेन में पहले से सवार नहीं थे तो फिर मानिकपुर में रात में चेन पुलिंग महज इत्तफाक नहीं थी। साफ है कि मानिकपुर में पहले से मौजूद कुछ और बदमाश भी इसी बीच ट्रेन में सवार हुए। जैसे ही ट्रेन पनहाई स्टेशन से तकरीबन 3 किलोमीटर आगे डभौरा की ओर बढ़ी पहले से ही मौजूद अन्य पेशेवर बदमाशों ने ट्रैक के टर्निंग प्वाइंट पर सिक्का फंसा कर एडवांस स्टार्टर सिग्नल को रेड कर दिया। गाड़ी रुकते ही बदमाशों ने लूटपाट शुरु कर दी।   

नई नहीं है ट्रिक
वारदात के बाद सोमवार को मौके पर पहुंचे लखनऊ के एडीजी (रेल) वीएन मौर्य, आईजी रेल पीआर मीणा (लखनऊ), एसआरपी झांसी वीपी मिश्रा और चित्रकूट (कर्वी) के एसपी मनोज झा ने पनहाई के सहायक स्टेशन मास्टर इजहार खान से भी बातचीत की। श्री खान के मुताबिक ट्रैक पर सिक्का फंसा कर ही ट्रेन रोकी गई थी। बदमाशों के यूं ट्रेन रोकने का ये तरीका नया नहीं है। आमतौर पर बिहार के ट्रेन लुटेरे इसी ट्रिक का इस्तेमाल करते हैं।

उधर, जानकारों का कहना है कि इलेक्ट्रानिक सिग्नल का चलन बढ़ने के कारण प्राय: ऐसी कोई भी ट्रिक अब नाकाम रहती है। आशंका ये भी जताई जा रही है कि बदमाशों ने वारदात से पहले सिग्नल में कोई टेक्निकल छेड़ की होगी। स्थितियां कुछ भी हों, लेकिन ये स्पष्ट हो चुका है कि वारदात में कोई ऐसा शख्स भी शामिल है,जिसे रेल परिचालन की तकनीक का गहरा ज्ञान है।  

एक दर्जन संदेही हिरासत में
यूपी की मानिकपुर पुलिस और जीआरपी ने वारदात के सिलसिले में एक दर्जन संदेहियों को हिरासत में लेकर पूछताछ शुरु कर दी है। पुलिस का मानना है कि वारदात में स्थानीय स्तर पर रजिस्टर्ड डकैत दलों के हाथ होने की आशंका कम है। वारदात के तौर तरीके से मोटे तौर पर माना जा रहा है कि वारदात के पीछे कोई ऐसा संगठित गिरोह है जो ट्रेनों में ही लूटपाट और डकैती की वारदातों में सिद्धहस्त है। वारदात में स्थानीय बदमाशों की सक्रियता से इंकार नहीं किया जा रहा है। मसलन डभौरा के एक नामी दस्यु कल्लू के मूवमेंट पर रेल पुलिस की नजर है। 

10 वर्ष पहले कामायनी में भी हुई थी ऐसी ही वारदात  
वारादात की खबर पर जबलपुर से डिप्टी एसआरपी प्रतिभा पटेल और सतना जीआरपी के चौकी प्रभारी संतोष तिवारी के नेतृत्व में टीम ने घटना स्थल का निरीक्षण किया। यूपी पुलिस की डिमांड पर इस मामले में डिप्टी एसआरपी ने हर संभव सहयोग का आश्वासन दिया है। गौरतलब है, वर्ष 2008 में तकरीबन कुछ इसी तरीके से ट्रेन डकैती के एक गिरोह ने कामायानी में लूटपाट की थी। डकैतों ने तब एक रुसी महिला की हत्या कर दी थी। सतना जीआरपी ने बाद में गोवा से सभी आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया था। इन्हीं में से कुछ आरोपियों के जमानत पर बाहर होने की आशंका है। फिलहाल वारदात की जांच का जिम्मा मानिकपुर जीआरपी को सौंपा गया है। 

सिर्फ 50 मीटर का फासला
गंगा-कावेरी एक्सप्रेस में जिस जगह पर डकैती की वारदात हुई वो जगह उत्तर मध्य रेलवे के इलाहाबाद मंडल में स्थित है। बताया गया है कि अगर यही वारदात महज 50 मीटर और आगे होती तो डभौरा स्टेशन का एरिया आ जाने के कारण सारी जवाबदेही पश्चिम मध्य रेलवे के जबलपुर मंडल की हो जाती। मौके पर घंटों इस बात की भी कवायद चली कि वारदात का स्थल आखिर किस रेल मंडल के अंतर्गत स्थित है। बाद में दोनों मंडल के रेल पुलिस अधिकारियों की मीटिंग में साझा प्रयास के तहत अज्ञात अपराधियों की गिरफ्तारी की रणनीति बनाई। 

इनका कहना है
वारादात दुर्भाग्य पूर्ण है। अपराधियों की गिरफ्तारी के प्रयास शुरु कर दिए गए हैं। अपराधियों को जल्दी ही पकड़ लिया जाएगा। 
वीएन मौर्य, एडीजी रेल, लखनऊ

रीवा रेंज के इलाके में मौजूदा समय में कोई गिरोह सक्रिय नहीं है। वारादात में किसी ऐसे गिरोह का हाथ हो सकता है जो ट्रेन डकैती की घटनाओं में सक्रिय हो। अपराधियों की गिरफ्तारी में हर संभव मदद की जाएगी। 
उमेश जोगा, आईजी, रीवा

Created On :   4 Sep 2018 12:34 PM GMT

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story