कोल ट्रांसपोर्टिंग के रेट किए आधे, स्थानीय छोटे व्यापारियों को खत्म करने बड़ी कंपनी की साजिश

Giant coal company tries to eliminate small companies from field
कोल ट्रांसपोर्टिंग के रेट किए आधे, स्थानीय छोटे व्यापारियों को खत्म करने बड़ी कंपनी की साजिश
कोल ट्रांसपोर्टिंग के रेट किए आधे, स्थानीय छोटे व्यापारियों को खत्म करने बड़ी कंपनी की साजिश



डिजिटल डेस्क, सिंगरौली (बरगवां)। जिले में कोल वाशरी लगाने आई महावीर कोल रिसोर्स महदेइया ने बेशकीमती जमीनों पर कब्जा कर लिया है। कोल वाशरी नहीं लग पाई तो पॉवर प्लांटों को कोयला ट्रांसपोर्टिंग के काम पर ही लग गई। विरोध के स्वर तब भी उठे थे जब कोल वाशरी लगनी थी। अब एक बार फिर कटनी की कोयला टांसपोर्टिंग कंपनी स्थानीय लोगों के निशाने पर है। आरोप है कि कंपनी के गुर्गों का साफ कहना है कि काम चाहिए तो हमारी शर्तों पर करना होगा अन्यथा नहीं।

वजह इन दिनों महावीर के पास पर्याप्त कोल डीओ है और उसके पास जरूरत के मुताबिक अपने ट्रेलर भी हैं, जिसके कारण स्थानीय चालकों और ट्रेलर मालिकों को पहले से भी कम रेट पर कोयला ढोने के लिये मजबूर किया जा रहा है। आलम यह है कि जिस स्थान की कोयला ढुलाई एक सप्ताह पहले 160 रूपए प्रति टन थी, अब उसे घटाकर 100 रूपए कर दिया गया है। मुनाफाखोरी के लिये ट्रेलर मालिकों को मुश्किल में डालने के लिये कंपनी ने बांहे पसार दी हैं।

मुश्किल में पड़े ट्रेे्रलर मालिकों का तर्क है कि एक तरफ तो डीजल के दाम बढ़ रहे हैं, ऐसे में किराया बढ़ाने की बजाय कंपनी ने एक मुश्त 60 रूपए घटा दिये हैं। स्थानीय बेरोजगारों ने बैंक से कर्ज लेकर ट्रेलर व ट्रक पेलोडर्स खरीदे हैं, उन्हें कर्ज चुकाने की चिंता है। मुनाफा तो दूर अब तो किश्त जमा करने तक के लिये कमा पाना मुश्किल हो गया है। जिले के सैकड़ों बेरोजगार युवक ट्रांसपोर्ट के व्यवसाय में सिर्फ इसलिये आए कि बड़ी कम्पनियों में वाहन चलाकर वे रोजगार कर सकेंगे। जिनकी मजबूरी का फायदा उठाकर महावीर ने उनके ट्रेलर अपने अधीन करने की सोची समझी चाल चली है। जिससे ट्रेलर मालिक और उनके चालक के परिवारों के भरण पोषण की मुश्किलें आती जा रही हैं।

मिलीभगत से हो रहा कार्य
ट्रेलर मालिकों का आरोप है कि कई बड़ी कम्पनियां अपने कार्यों को तो ऊंचे दामों पर हथिया लेती हैं। मिलजुल कर काम का बंदरबांट भी कर लेती हैं, लेकिन इन्हीं के भरोसे जिले में चल रहे सैकड़ों हाइवा व ट्रेलर मालिकों का शोषण हो रहा है। क्योंकि ट्रेलर मालिकों की मजबूरी यह है कि वे कोयले के अलावा इन वाहनों से किसी अन्य वस्तु का परिवहन नहीं कर सकते हैं। लाखों रूपए लगाकर उन्होंने स्पेशल डिजाइन के कोल कैरियर्स ही खरीदे हैं। जिनका उदद्श्य महज कोयले की ढुलाई करना ही था।

 

Created On :   9 Jun 2018 8:46 AM GMT

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