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सोलर एनर्जी को लेकर जागरुकता के लिए शुरु हुई यात्रा, बिजली बचाने वाले उद्योगों को मिलेगा रिफंड
डिजिटल डेस्क, मुंबई। आईआईटी बांबे के प्रोफेसर चेतन सिंह सोलंकी अक्षय ऊर्जा को लेकर दुनियाभर में जागरूकता अभियान में जुटे हैं। इसके लिए उन्होंने 25 दिसंबर से गांधी ग्लोबल सोलर यात्रा की शुरूआत की है। इस यात्रा के जरिए प्रो. सोलंकी 50 देशों में घूमकर 10 लाख से अधिक विद्यार्थियों को सौर उर्जा को बढ़ावा देने के लिए तैयार करेंगे। इस साल दो अक्टूबर तक प्रो. सोलंकी विश्वव्यापी जागरूकता अभियान चलाएंगे। आईआईटी बांबे में गुरूवार को पत्रकारों से बातचीत के दौरान प्रो. सोलंकी ने कहा कि दुनिया आज विरोधाभासी चुनौती से जूझ रही है। एक ओर जहां अरबों लोगों को ऊर्जा की जरूरत है, वहीं जलवायु परिवर्तन एक बड़ी मानवनिर्मित समस्या बन गया है। विश्व का तापमान करीब एक डिग्री सेल्सियस बढ़ चुका है। आईपीसीसी की रिपोर्ट बताती कि इस पर काबू पाने के लिए 2050 तक विश्व को 100 फीसदी अक्षय ऊर्जा पर निर्भर होना पड़ेगा। इसके लिए अब सिर्फ 31 साल बाकी रह गए हैं।
एनर्जी एंड साइंस विभाग के प्रोफेसर ने कहा कि महात्मा गांधी के मशहूर सिद्धांत ग्राम स्वराज की तर्ज पर अब एनर्जी स्वराज की जरूरत आ गई है। इसीलिए उन्होंने विश्वभर में गांधी ग्लोबल सोलर यात्रा की शुरूआत की। यह यात्रा 25 दिसंबर 2018 से साबरमती आश्रम से शुरू हुई। प्रो. सोलंकी के मुताबिक आज पर्यावरण को सुरक्षित रखते, आजीविका चलाते, कम कीमत पर लोगों को 24/7 टिकाऊ सौर उर्जा उपलब्ध कराई जा सकती है और अपनी यात्रा के दौरान वे लोगों को इसी बात की जानकारी दे रहे हैं। प्रो. सोलंकी अब तक इंडोनेशिया, मलेशिया और म्यांमार सहित दक्षिण पूर्व एशियाई देशों की यात्रा कर चुके हैं। इस दौरान उन्होंने युनिवर्सिटाज सियाह कुआला में विद्यार्थियों को सौर ऊर्जा को स्टडी सोलर लैंप से जोड़ने का प्रशिक्षण दिया। उन्होंने मलेशिया में युनिवर्सिटीज मलेशिया तेरेनग्गानु के विद्यार्थियों को भी संबोधित किया। प्रो. सोलंकी ने कहा कि कुआलालम्पुर की सड़क पर चलते हुए उन्होंने टिमोथी बेरी का कथन पढ़ा कि जब आप कुछ करने की कोशिश करते हैं तो उसमें पूरी तरह असफल होना मुश्किल होता है। इस संदेश से प्रेरित होकर उन्होंने एनर्जी स्वराज का संदेश पूरे विश्व में फैलाने की ठान ली है।
बिजली बचाने वाले उद्योगों को मिलेगा रिफंड
पवार फैक्टर को सीमित रखने वाले उद्योगों को इसके लिए जरूरी उपाय करने के लिए मार्च 2019 तक का समय दिया गया है। पवार फैक्टर स्तर को सीमित रखने वाले ग्राहकों को लीड पवार फैक्टर के दंड की रकम वापस की जाएगी। विद्युत नियामक आयोग ने पवार फैक्टर सीमित रखने वालों को उपाय योजना करने 31 मार्च 2019 तक का समय दिया है। ग्राहकों को अधिक समय मिले इसके लिए विधायक सुरेश हळवणकर और ग्राहक संगठनों ने आयोग के सामने पुनर्विचार याचिका दाखिल की थी। इस याचिका पर बीते 20 दिसंबर को आयोग ने सुनाई की थी। अब सुनवाई के बाद इसमे बदलाव किया गया है। इस बदलाव से होने वाले फर्क की रकम को तीन समान किश्तों में वापस किया जाएगा। जो बिजली उपभोक्ता आयोग के निर्देश के अनुसार पवार फैक्टर0.90 और इससे अधिक होने पर दंड की रकम वापस मिल सकेगी।विद्युत वितरण कंपनी के निदेशक विश्वास पाठक ने गुरुवार को मंत्रालय में यह जानकारी दी। विद्युत उपभोक्ता संगठनों का मानना है कि पवार फैक्टर पेनाल्टी में बदलाव से उपभोक्ताओं को राहत मिलेगी।
Created On :   3 Jan 2019 2:30 PM GMT