गोमती रिवरफ्रंट घोटाला: 8 इंजीनियरों पर केस दर्ज, 5 को ईडी ने दिया नोटिस

Gomti riverfront scam ED registered cases on 8 engineers in up
गोमती रिवरफ्रंट घोटाला: 8 इंजीनियरों पर केस दर्ज, 5 को ईडी ने दिया नोटिस
गोमती रिवरफ्रंट घोटाला: 8 इंजीनियरों पर केस दर्ज, 5 को ईडी ने दिया नोटिस

डिजिटल डेस्क, लखनऊ। पूर्ववर्ती सपा सरकार में हुए गोमती रिवरफ्रंट घोटाले की जांच प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने शुरू कर दी है। ईडी ने बाकायदा प्रिवेंशन ऑफ मनी लांड्रिंग एक्ट के तहत मामला दर्ज कर आरोपितों को नोटिस दिया है। इस मामले की जांच सीबीआई की लखनऊ स्थित एंटी करप्शन ब्रांच भी कर रही है। ईडी ने प्रमुख सचिव सिंचाई से स्पेशल टेक्निकल ऑडिट कमेटी (टीएसी) की रिपोर्ट भी मांगी है। इसमें सिंचाई विभाग के 8 इंजीनियरों के खिलाफ केस दर्ज किया गया है। 

 

निर्माण कंपनियों को भी भेजा जाएगा नोटिस

ईडी ने मनी लांर्डिंग का केस दर्ज कर मामले में नामजद तत्कालीन अधीक्षण अभियंता रूप चंद्र यादव (अब सेवानिवृत्त) सहित पांच आरोपितों को उनके बयान दर्ज कराने के लिए नोटिस जारी किया है। ईडी की जांच के घेरे में निर्माणकार्य से जुड़ी कंपनियां भी हैं। जल्द कंपनी संचालकों को भी नोटिस भेजे जाने की तैयारी है। बता दें कि राज्य सरकार की सिफारिश पर सीबीआइ लखनऊ की एंटी करप्शन ब्रांच ने 30 नवंबर 2017 को सिंचाई विभाग के आठ अभियंताओं सहित अन्य अज्ञात के खिलाफ केस दर्ज किया था। पूर्व में जून 2017 में सिंचाई विभाग की ओर से गोमतीनगर थाने में एफआइआर दर्ज कराई गई थी।

 

क्या है मामला

दरअसल, समाजवादी पार्टी के शासनकाल में लखनऊ में बने गोमती रिवरफ्रंट का निमार्ण कराया गया था। इस निर्माण में वित्तीय अनियमितताएं सामने आईं, जिसके बाद जब उप्र में भाजपा सरकार आई तो मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने खुद गोमती रिवरफ्रंट का दौरा किया। जिसके बाद गोमती नदी चैनलाइजेशन परियोजना एवं गोमती नदी रिवरफ्रंट डेवलपमेंट में हुई वित्तीय अनियमितताओं की न्यायिक जांच हाईकोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस आलोक सिंह की अध्यक्षता में गठित समिति ने की थी।


इस समिति ने अपनी रिपोर्ट 16 मई 2017 को राज्य सरकार को सौंपी थी, जिसमें दोषी पाए गए अधिकारियों के खिलाफ FIR दर्ज कराए जाने की मांग की गई। समिति ने जांच के घेरे में आए तत्कालीन मुख्य सचिव आलोक रंजन और तत्कालीन प्रमुख सचिव सिंचाई दीपक सिंघल के खिलाफ विभागीय जांच की सिफारिश भी की थी। प्रवर्तन निदेशालय ने मामले में नामजद आरोपित तत्कालीन मुख्य अभियंता गोलेश चंद्र (रिटायर्ड), एसएन शर्मा, काजिम अली और अधीक्षण अभियंता शिवमंगल यादव (रिटायर्ड), अखिल रमन, कमलेश्र्वर सिंह, रूप सिंह यादव (रिटायर्ड) व अधिशासी अभियंता सुरेश यादव के खिलाफ मनी लांर्डिंग का केस दर्ज किया है। 

1437.83 करोड़ खर्च, फिर भी काम पूरा नहीं


सीबीआइ ने नामजद आरोपितों से पूछताछ करने के साथ ही कई अहम दस्तावेजों को भी जब्त किया है। बता दें कि रिवरफ्रंट के निर्माण के लिए 747.49 करोड़ का बजट पास था। बाद में मुख्य सचिव की बैठक में निर्माणकार्य के लिए 1990.24 करोड़ रुपये का प्रस्ताव किया गया था। जुलाई 2016 में 1513.51 करोड़ रुपए स्वीकृत हुए थे। निर्माणकार्य में स्वीकृत राशि से 1437.83 करोड़ रुपये खर्च हुए थे, लेकिन करीब 60 फीसद काम ही पूरा हो सका था।

 

सिंचाई विभाग से मांगी रिपोर्ट

ईडी ने भी सीबीआई की तर्ज पर केस दर्ज कर घोटाले से जुड़े सुराग खोजने शुरू कर दिए हैं। ईडी के इस कदम से घोटाले के आरोपित आईएएस अफसरों व सिंचाई विभाग के इंजीनियरों की मुश्किलें बढ गई हैं। उन्हें खुद को निर्दोष साबित करने के लिए ईडी को अपनी पाई-पाई का हिसाब देना होगा।      


 

ये हैं मामले से जुड़े कुछ फैक्‍ट 

सीबाआई जांच में इस बात की पुष्टि हुई कि दागी कंपनियों को रिवरफ्रंट निर्माण का काम सौंपा गया।  
विदेशों से कई बेशकीमती सामान ऊंचे दामों पर खरीदे गए।  
चैनलाइजेशन के काम में हुए घोटाले से योजना की लागत बढ़ती गई।
रिवरफ्रंट के निर्माण को दिए बजट से नेताओं और अफसरों ने विदेश दौरे किए।
747.49 करोड़ की लागत से होना था गोमती रिवरफ्रंट का निर्माण कार्य।
कुल 1513.51 करोड़ दिए गये थे, जिसमें से 1437.83 करोड़ रुपए ही खर्च किए गए।
फिजूलखर्ची से योजना की लागत बढ़कर हुई 1990.561 करोड़ तक पहुंच गई। 

Created On :   29 March 2018 7:19 AM GMT

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