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दुष्कर्म पर मृत्यु दंड का बिल पेश, राष्ट्रपति की अनुमति के बाद होगा लागू
डिजिटल डेस्क,भोपाल। राज्य विधानसभा में गुरुवार को विधि मंत्री रामपाल सिंह ने बलात्कार पर मृत्यु दण्ड के प्रावधान वाले बहुचर्चित दण्ड विधि मप्र संशोधन विधेयक को पेश कर दिया। इस पर आने वाले दिनों में सदन में चर्चा होगी और यह पारित होगा, लेकिन मप्र विधानसभा में पारित होने के बावजूद विधेयक के प्रावधान लागू नहीं हो पाएंगे क्योंकि राज्यपाल इसका परीक्षण करने के बाद इसकी अंतिम स्वीकृति के लिए राष्ट्रपति के पास भेजेंगे तथा राष्ट्रपति केंद्र सरकार के परामर्श से इसकी स्वीकृति तय करेंगे। इस प्रक्रिया में लगभग एक वर्ष का सामान्य तार पर समय लगता है।
राज्य विधानसभा में पेश विधेयक में भारतीय दण्ड संहिता की तीन धाराओं यथा धारा 354, 376 तथा 493 में संशोधन प्रस्तावित किए गए हैं। विधेयक में अब तक चली आ रही धारा 354-क को समाप्त किया गया है जिसमें प्रावधान है कि स्त्री को वस्त्रहीन करने के आशय से उस पर हमला या आपराधिक बल का प्रयोग करना जिसमें न्यूनतम एक वर्ष का कारावास एवं अधिकतम दस वर्ष का कारावास हो सकेगा एवं जुर्माना भी लगेगा। विधेयक में धारा 354-ख में संशोधन किया गया है जिसमें कहा गया है कि निवस्त्र करने के आशय से स्त्री पर हमला या आपराधिक बल का प्रयोग करने पर प्रथम दोष सिध्दि पर कम से कम 3 वर्ष का कारावास किन्तु जो 7 वर्ष तक हो सकेगा एवं जुर्मना लगेगा और द्वितीय या पश्चातवर्ती दोष सिध्दि पर कम से कम 7 वर्ष का कठोर कारावास किन्तु जो 10 वर्ष तक का हो सकेगा और न्यूनतम एक लाख रुपएका जुर्माना वसूला जाएगा। यह अपराध अजमानतीय होगा।
इसी प्रकार धारा 354-घ में संशोधन किया गया है कि स्त्री का पीछा करने पर प्रथम दोष सिध्दि पर 3 वर्ष तक का कारावास हो सकेगा एवं जुर्माना लगेगा एवं द्वितीय या पश्चातवर्ती दोष सिध्दि पर कम से कम 3 वर्ष का कारावास किन्तु जो 7 वर्ष तक हो सकेगा एवं न्यूनतम एक लाख रुपए का जुर्माना वसूला जाएगा। पहले यह अपराध जमानतीय था जिसे अब अजमानतीय कर दिया गया है।
इसके अलावा धारा 376 का विस्तार किया गया है। इसमें धारा 376-कक जोड़ी गई है जिसके तहत 12 वर्ष तक की आयु की स्त्री के साथ बलात्संग का अपराध करने वाले व्यक्ति को मृत्युदण्ड, कम से कम 14 वर्ष का कठोर कारावास, किन्तु जो आजीवन कारावास, जिससे उस व्यक्ति के शेष प्राकृति जीवनकाल के लिए कारावास अभिप्रेत होगा और जुर्माना लगेगा। यह अपराध भी अजमानतीय होगा। इसी प्रकार धारा 376-घक जोड़ी गई है जिसमें 12 वर्ष तक की आयु की स्त्री के साथ सामूहिक बलात्संग पर मृत्युदण्ड, कम से कम 20 वर्ष का कठोर कारावास, किन्तु जो आजीवन कारावास, जिससे उस व्यक्ति के शेष प्राकृतिक जीवनकाल के लिये कारावास अभिप्रेत होगा व जुर्माना लगेगा। यह अपराध भी अजमानतीय होगा।
विधेयक में धारा 493-क जोड़ी गई है जिसमें कहा गया है कि किसी व्यक्ति द्वारा किसी स्त्री को शादी का झांसा देकर उससे सहवास अथवा मैथून करने पर उसे कारावास जो 3 वर्ष तक का हो सकेगा और जुर्माना लगेगा। यह अपराध भी जमानतीय होगा। धारा 493 जिसमें पुरुष द्वारा स्त्री को, जो उससे विधिपूवर्क विवाहित नहीं है, विवाह करने का झांसा देकर सहवास करने पर दस वर्ष के कारावास का प्रावधान है, को अब असंज्ञेय के स्थान पर संज्ञेय अपराध कर दिया गया है।
विधि विभाग मप्र के अपर सचिव संतोष प्रसाद शुक्ला का कहना है कि प्रक्रिया अनुसार इस विधेयक को पारित होने के बाद राज्यपाल परीक्षण उपरान्त इसे इसकी अंतिम स्वीकृति हेतु राष्ट्रपति के पास भेजेंगे।
गैंगरेप घटना पर स्थगन के बजाए होगी सामान्य चर्चा
राज्य विधानसभा में गुरुवार को मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने भोपाल की गैंगरेप घटना पर निरन्तर हंगामा कर प्रश्नकाल नहीं होने दिया। प्रश्नकाल के बाद स्पीकर सीतासरन शर्मा ने व्यवस्था दी कि इस विषय पर वे स्थगन प्रस्ताव के स्थान पर नियम 130 के अंतर्गत 1 दिसम्बर को सदन में सामान्य चर्चा कराएंगे। नियम 130 लोकहित के मुद्दों पर चर्चा कराने के संबंध में होता है जिसमें विपक्ष के सदस्य अपनी बात रखते हैं तथा अंत में संबंधित विभाग के मंत्री अपना जवाब पेश करते हैं। सामान्यत: इस विषय पर एक घण्टे की चर्चा होती है।
स्थगन के बजाए नियम 130 के तहत गैंगरेप की घटना पर चर्चा कराए जाने की व्यवस्था आने के बाद कांग्रेस के विधायक रामनिवास रावत ने स्पीकर को धन्यवाद भी दे दिया तथा कहा कि यह व्यवस्था पहले आ जाती तो सदन में गतिरोध नहीं होता और प्रश्नकाल भी चलता।
इस पर राजस्व मंत्री उमाशंकर गुप्ता ने कहा कि अध्यक्ष ने कल भी कहा था कि इस विषय में किसी न किसी रुप में चर्चा करा लेंगे। पंचायत मंत्री गोपाल भार्गव ने कहा कि स्पीकर तीन दिन से कह रहे हैं कि किसी न किसी रुप में चर्चा करा लेंगे, लेकिन विपक्ष की यह हठधर्मिता थी और उसने सदन नहीं चलने दिया। इसका जवाबदार विपक्ष है।
स्कूल शिक्षा मंत्री विजय शाह ने कहा कि विपक्ष ने कल आसंदी पर विश्वास नहीं किया और इसलिए आज स्पीकर को यह व्यवस्था देनी पड़ी। विपक्ष ने आसंदी पर अविश्वास किया। इस पर कांग्रेस के रामनिवास रावत ने कहा कि आसंदी पर पूरा विश्वास है पर सत्तापक्ष पर नहीं। हम आसंदी का पूरा सम्मान करते हैं। राजस्व मंत्री उमाशंकर गुप्ता ने प्रत्युत्तर में कहा कि यह जनता ने देख लिया है कि आप आसंदी पर कितना विश्वास करते हैं।
रावत ने बदले में कहा कि हम आसंदी पर पूरा विश्वास करते हैं, लेकिन आप पर नहीं करते हैं। आपको तो देख लिया कि आप महिलाओं का भी सम्मान नहीं करते हो। आपको तो पहले ही दिन खड़े होकर कह देना चाहिए कि इस पर स्थगन स्वीकार किया जाए और चर्चा हो। इसके बाद स्पीकर ने सदन के अन्य विषयों को लिया।
गुरुवार सुबह प्रश्नकाल के समय विपक्ष ने गैंगरेप मुद्दे को उठाया तथा सदन के गर्भगृह में प्रवेश कर नारेबाजी भी की। स्पीकर को दो बार कुछ मिनटों के लिए सदन की कार्यवाही स्थगित करना पड़ी। सत्तापक्ष के उमाशंकर गुप्ता एवं गोपाल भार्गव ने स्पीकर को नेता प्रतिपक्ष द्वारा सत्तापक्ष का बंधुआ मजदूर कहे जाने पर भी आपत्ति व्यक्त की तथा कहा कि विपक्ष को इसके लिए क्षमा मांगना चाहिए, लेकिन विपक्ष ने इस पर क्षमा नहीं मांगी। पहले सत्र में हंगामे के बीच प्रश्नकाल में सिर्फ प्रश्न पर चर्चा हो सकी।
Created On :   30 Nov 2017 11:04 AM GMT