जंगलों में हर 5 किमी पर लगेंगे वाटर टैंक, वन्यप्राणियों की प्यास बुझाने सरकार के प्रयास

Government took steps to provide relief to animals from thirst
जंगलों में हर 5 किमी पर लगेंगे वाटर टैंक, वन्यप्राणियों की प्यास बुझाने सरकार के प्रयास
जंगलों में हर 5 किमी पर लगेंगे वाटर टैंक, वन्यप्राणियों की प्यास बुझाने सरकार के प्रयास

डिजिटल डेस्क, गोंदिया। पानी के अभाव में किसी भी वन्यप्राणी की मौत न हो, इसके लिए वनविभाग ने जंगलों में हर पांच किलोमीटर की दूरी पर पानी की टंकियों निर्माण किया है। वैसे तो जंगल में सैकड़ों प्राकृतिक जलस्त्रोत भी हैं, लेकिन इस वर्ष अर्जुनी मोरगांव एवं देवरी तहसील में अत्यल्प बारिश होने के कारण वन्यप्राणियों को पेयजल के लिए भटकना पड़ सकता है। इसलिए उनके लिए अतिरिक्त जल भंडार निर्माण करने की योजना वनविभाग ने बनाई है। इससे आने वाले गर्मी के मौसम में वन्यप्राणियों को प्यासा नहीं भटकना पड़ेगा।  

जलस्रोत सूखने से भी मिलेगा पानी
उपवन संरक्षक एस. युवराज ने बताया कि वैसे तो जिले के जंगली क्षेत्र में बड़े पैमाने पर प्राकृतिक एवं कृत्रिम जलस्रोत उपलब्ध हैं। फिर भी ग्रीष्मकाल की आवश्यकता को ध्यान में लेते हुए पानी के लिए अतिरिक्त टंकियां लगाई जाएंगी। बता दें कि गोंदिया वनविभाग के तहत कुल 12 वन परिक्षेत्र, 58 सहवनक्षेत्र व 274 निर्धारित क्षेत्र हैं। जिनके अंतर्गत बसे जंगलों में हजारोंं प्रजातियों के वन्यजीव अधिवास करते हैं। उन सभी वन्यजीवों को उन्हीं के होम रेंज में पीने का पानी उपलब्ध होना आवश्यक है। ग्रीष्मकाल में अनेक जलस्रोत सूखने से जंगलों में पानी नहीं मिलता। इस कारण वन्यप्राणी पानी की तलाश में ग्रामों की ओर पलायन करते हैं।

अभी हैं 370 जलस्रोत
कई प्राणियों की प्यास से मौत भी हो जाती है। गांव की ओर वन्यप्राणियों का आना नागरिकों के लिए मुसीबत बन जाता है। इन सभी समस्याओं से बचने व वन्यप्राणियों को राहत दिलाने के लिए वनविभाग ने जिले के जंगली क्षेत्र में पहले से ही  370 जलस्रोत निर्माण किए गए हैं। इनमें 129  बारामासी तालाब, 187  कृत्रिम जलस्रोत व 54 बोरवेल्स शामिल हैं। प्रतिवर्ष की समस्या को ध्यान में रखते हुए वर्ष 2015- 16 में अतिरिक्त 44 कृत्रिम जलस्रोत व18  बोरवेल्स का निर्माण भी किया गया है। इस वर्ष अर्जुनी मोरगांव एवं देवरी तहसील के कुछ मंडल सूखाग्रस्त लिस्ट में है। उस क्षेत्र के जलस्रोत सूखने की आशंका होने से वहां पानी उपलब्ध करवाने के लिए वनविभाग ने नियोजन शुरू कर दिया है। 

नियोजन चल रहा 
ग्रीष्मकाल में वन्यप्राणियों की पेयजल के लिए भागदौड़ न हो उन्हें उनकी रेंज में आसानी से पेयजल उपलब्ध कराने के लिए नियोजन शुरू किया गया है। सूखाग्रस्त क्षेत्रों में जलस्त्रोत को लेकर विशेष ध्यान दिया जाएगा। 
- एस. युवराज, उपवन संरक्षक गोंदिया 

Created On :   4 Jan 2019 10:29 AM GMT

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