तांत्रिकों को 200 रुपए देगी सरकार, झाड़फूंक की बताए मरीज को पहुंचाना होगा अस्पताल

तांत्रिकों को 200 रुपए देगी सरकार, झाड़फूंक की बताए मरीज को पहुंचाना होगा अस्पताल
तांत्रिकों को 200 रुपए देगी सरकार, झाड़फूंक की बताए मरीज को पहुंचाना होगा अस्पताल

डिजिटल डेस्क, मुंबई। राज्य के मेलघाट सहित अन्य आदिवासी इलाकों में मरीजों को अस्पताल पहुंचाने वाले तंात्रिकों को राज्य सरकार दो-दो सौ रुपए प्रदान करेगी।यह भुगतान प्रति मरीज 200 रुपए होगा। शुक्रवार को राज्य के महाधिवक्ता आशुतोष कुंभकोणी ने बांबे हाईकोर्ट को यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि हमने पाया है कि आदिवासी इलाकों में लोग इलाज के लिए तांत्रिकों के पास जाते हैं। तांत्रिक इलाज के नाम पर आदिवासियों से दो से पांच सौ रुपए ले लेते हैं। पर इन तांत्रिकों के इलाज से लोगों की जान चली जाती है। इस लिए मरीजों को अस्तालों तक पहुंचाने के लिए उन्ही की मदद लेने का फैसला लिया गया है। हाईकोर्ट में मेलघाट इलाके में कुपोषण से होनेवाली मौत व बुनियादी सुविधाएं के अभाव को लेकर दायर जनहित याचिकाओं पर सुनवाई चल रही है। 

मरीजों को अस्पताल पहुंचाने पर तांत्रिकों को 200 रुपए देगी सरकार

इस दौरान मुख्य न्यायाधीश नरेश पाटील व न्यायमूर्ति एनएम जामदार की खंडपीठ के सामने महाधिवक्ता ने कहा कि आदिवासी इलाकों में बड़े पैमाने पर बाल विवाह होते हैं और एक दंपति के सात से आठ बच्चे होते हैं। इससे अक्सर सातवी-आठवी संतान की मौत हो जाती है। इसलिए सरकार ने एक योजना तैयार की है, जिसके तहत यदि बच्चे को जन्म देनेवाली मां की उम्र 18 साल है और उसकी पहली संतान लड़की है, तो उस नवजात लड़की के नाम पर 50 हजार रुपए फिक्स डिपाजिट (एफडी) जमा किए जाएंगे। लड़की के वयस्क होने पर उसे एफडी की रकम प्रदान कर दी जाएगी। इसके अलावा आदिवासी इलाके में लोगों को स्वास्थ्य सेवाए प्रदान करने के लिए मोबाइल वैन की शुरुआत भी की गई है। ताकि ग्रामीण इलाकों में रहनेवाले लोगों को स्वास्थ्य सुविधाएं मिल सके। 

आदिवासी इलाकों के लिए राज्य सरकार की योजना

इस बात को जानने के बाद खंडपीठ ने कहा कि सरकार इन मोबाइल वैन पर नजर रखने के लिए जीपीएस सिस्टम का सहारा ले। ताकि मोबाइल वैन पर नजर रखी जा सके। क्योंकि अक्सर याचिकाकर्ता यह शिकायत करते हैं कि सरकार चीजे भेजती है लेकिन उन तक पहुंचती नहीं है। उन्होंने कहा कि आदिवासी जिस भाषा व तरीके से समझते हैं उन्हें उसी तरीके से जागरुक किया जाए। खंडपीठ ने सरकार को इस मामले को लेकर यूनिसेफ व अन्य गैर सरकारी संस्थाओं से भी सहयोग लेने को कहा। खंडपीठ ने फिलहाल मामले की सुनवाई 1 मार्च तक के लिए स्थगित कर दी है। 
 

Created On :   8 Feb 2019 1:59 PM GMT

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