गुजरात चुनाव : इन कारणों से जीती BJP, ये बड़ी गलतियां कांग्रेस को ले डूबीं

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गुजरात चुनाव : इन कारणों से जीती BJP, ये बड़ी गलतियां कांग्रेस को ले डूबीं
गुजरात चुनाव : इन कारणों से जीती BJP, ये बड़ी गलतियां कांग्रेस को ले डूबीं

डिजिटल डेस्क, गांधीनगर। गुजरात विधानसभा चुनावों के लिए मतगणना खत्म हो गई है। भारतीय जनता पार्टी (BJP) 6वीं बार गुजरात में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है। BJP ने 99 सीट जीतकर राज्य में एक बार फिर अपनी सरकार बनाई है। वहीं कांग्रेस पार्टी 80 सीट पर ही सिमट गई है। पिछली बार BJP को 115 सीट मिली थी, जो इस बार 99 पर सिमट गई है। इसका बड़ा कारण लोगों में BJP के प्रति अविश्सास है। वहीं अनुमान लगाया जा रहा था कि कांग्रेस पार्टी 22 सालों बाद बड़ी जीत हासिल कर सकती है, लेकिन कुछ बड़ी गलतियां उसे ले डूबीं हैं।

मणिशंकर अय्यर एवं कपिल सिब्बल
कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल का राम मंदिर मामले में वक्फ बोर्ड की ओर से पैरवी करते हुए मामले की सुनवाई आगे टालने की अपील करना कांग्रेस के लिए भारी पड़ गया। इसका BJP ने जमकर फायदा उठाया। इसके बाद रही सही कसर कांग्रेस नेता मणिशंकर अय्यर ने पूरी कर दी। अय्यर ने चुनाव अभियान के दौरान पीएम मोदी को "नीच" कह दिया। बस फिर क्या था, BJP ने और पीएम मोदी ने इसे जमकर भुनाया। मोदी तो अपनी रैली में यह भी कहते नजर आए की मैं निचली जाति से हूं इसलिए कांग्रेस मुझे नीच कहती है। इन दोनों बड़े नेताओं ने कांग्रेस पार्टी को काफी बड़ी चोट दी है, BJP के लिए लाभदायक शाबित हुआ।


हार्दिक, अल्‍पेश और जिग्‍नेश मेवाणी पर बहुत ज्‍यादा विश्वास
कांग्रेस पार्टी और नवनिर्वाचित अध्यक्ष राहुल गांधी ने गुजरात चुनाव में जाति कार्ड खेलते हुए चुनाव जीतने का प्रयास किया था, जिसे BJP ने काफी अच्छी तरीके से भुनाया है। कांग्रेस पार्टी को हार्दिक पटेल, अल्‍पेश ठाकोर और जिग्‍नेश मेवाणी पर खुद से ज्यादा विश्वास था। जो कांग्रेस के लिए ही घातक शाबित हुआ है।

कांग्रेस ने इन तीनों नेताओं के दबाव में आकर इनके समर्थकों को टिकट दिए गए, लेकिन यह रणनीति काम नहीं आई। टिकट वितरण में इन नेताओं के समर्थकों को तरजीह मिलने से कांग्रेस कार्यकर्ता में नाराजगी आई जिससे पार्टी की संभावनाएं प्रभावित हुईं। अल्‍पेश ने चुनाव के ठीक पहले कांग्रेस पार्टी ज्‍वाइन की थी, जबकि जिग्‍नेश निर्दलीय उम्‍मीदवार के तौर पर मैदान पर थे। जिन्‍हें कांग्रेस ने समर्थन दिया।

हार्दिक पटेल का विवादित बयान
पाटीदार आंदोलन के नेता हार्दिक पटेल ने आरक्षण के लिए समाज को एकजुट कर आंदोलन किया था, मगर इस चुनाव में उनका एक बयान उन्हें और कांग्रेस पार्टी को ले डूबा है। छोटा उदयपुर में एक रैली का संबोधित करते हुए हार्दिक ने कहा, हमें पहले बीजेपी को हटाना है, आरक्षण की जंग तो जारी रहेगी।" इस बयान ने उनके समर्थकों को भ्रम की स्थिति में डाल दिया। उन्‍हें यह लगा कि हार्दिक के लिए प्राथमिकता आरक्षण नहीं बल्कि बीजेपी को हराना है।

हार्दिक पटेल के इस बयान ने जहां एक ओर कांग्रेस पार्टी को भारी नुकसान पहुंचाया है, तो वहीं इसी बयान को सीढ़ी बनाकर BJP ने अपना एक और पक्ष मजबूत कर लिया था। BJP के वरिष्ठ नेताओं ने हार्दिक के इस बयान को रैलियों में जमकर उछाला और एक बार फिर सत्ता पर काबिज हुई है।

कांग्रेस के पास चाणक्य की कमी
कांग्रेस पार्टी के खेमे में बीजेपी की तरह चुनाव जीतने के लिए चाणक्य की कमी दिखती है। बीजेपी में आज सबसे बड़ा चेहरा पीएम नरेंद्र मोदी खुद हैं। इनके अलावा बीजेपी के लिए राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह "चाणक्य" का रोल प्ले करते नजर आते हैं। ऐसे ही व्यक्ति की कांग्रेस में कमी खलती है। इस बार गुजरात में बीजेपी के लिए सीएम विजय रुपाणी, उपमुख्यमंत्री नितिन पटेल, कई केंद्रीय मंत्री समेत अन्य राज्यों से आए नेताओं ने जमकर प्रचार किया और वोटर्स को अपने पक्ष में किया। मगर कांग्रेस में सिर्फ राहुल गांधी ही एक मात्र बड़ा चेहरा थे।

कांग्रेस नहीं सुन पाई "जनता की आवाज"
गुजरात में लगातार 22 साल से सत्ता पर काबिज भाजपा पर से लोगों का विश्वास उठने लगा था। भाजपा के खिलाफ जीएसटी, नोटबंदी, पटेल आरक्षण, शिक्षा का निजीकरण, स्वास्थ्य सुविधाओं की बदहाली जैसे तमाम मुद्दे थे। इऩ मुद्दों पर जनता नाराज थी, लेकिन उनकी परेशानी को सुनने और आवाज उठाने वाला विपक्ष सड़कों पर नहीं था। कांग्रेस इन मौकों को भुना नहीं पाई और भाजपा ने अपनी दुम बचाते हुए चुनाव में बाजी मार ली।

हिंदी बनाम गुजराती
गुजरात चुनाव में राहुल गांधी ने कड़ी मेहनत तो की, लेकिन वे बाहरी होने और गुजराती भाषा नहीं जानने के कारण वे थोड़े पिछड़ते नजर आए। राहुल गांधी हिंदी भाषी होने की वजह से गुजरातियों से उस तरह से कनेक्ट नहीं हो पाए, जैसे कि पीएम मोदी और अमित शाह हुए हैं। राहुल गांधी हिंदी में भाषण दे रहे थे, जिसकी वजह से उनके भाषणों का मोदी के तुलना में ज्यादा असर नहीं रहा। दूसरी तरफ मोदी ने अपने सभी भाषण गुजराती में दिए जिससे स्वाभाविक रूप से ज्यादा से ज्यादा गुजरातियों तक वो अपनी बात पहुंचा पाए।

सीएम नेता का अभाव
गुजरात चुनाव में कांग्रेस पार्टी कोई दमदार सीएम चेहरा पेश नहीं कर पाई। राज्य के दिग्गज नेता शंकर सिंह वाघेला पार्टी से बाहर हैं। भरत सिंह सोलंकी ने तो चुनाव भी नहीं लड़ा। कांग्रेस में शक्ति सिंह गोहिल, अुर्जन मोढवाडिया जैसे नेता थे, लेकिन वो खुद ही चुनाव नहीं जीत पा रहे हैं। जाहिर है विजय रूपाणी के सामने कांग्रेस की ओर से कोई नहीं था। ऐसे में मुकाबला सीधे मोदी बनाम राहुल हो गया जिसमें राहुल कहीं नहीं टिक पाए।

Created On :   18 Dec 2017 12:01 PM GMT

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