हनुमान जयंती 2018: वाराणसी का संकटमोचन हनुमान मंदिर है खास
डिजिटल डेस्क, भोपाल। वाराणसी को मंदिरों की नगरी कहा जाता है। यहां की गली-गली में भगवान के मंदिर बने हुए हैं। इस शहर में कुछ मंदिर ऐतिहासिक हैं और इनका विशेष महत्व भी है। आज हम आपको ऐसे ही एक प्राचीन हनुमान मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं जिसकी स्थापना रामचरित मानस के रचयिता गोस्वामी तुलसीदास ने की थी।
संकट मोचन मंदिर
संकट मेचन मंदिर हनुमान जी का एक अत्यंत सुंदर और चमत्कारी मंदिर है। जो वाराणसी (बनारस-काशी) में स्थित है। इस मंदिर के आस-पास बंदरों की काफी संख्या होने की वजह से इस मंदिर को वानर मंदिर भी कहा जाता है। ऐसा कहा जाता है कि इस मंदिर में हनुमान जी अपनी वानर सेना के साथ विराजमान हैं। जैसा इस मंदिर का नाम है उसी प्रकार इस मंदिर में आकर भक्तों के संकट दूर हो जाते हैं।
संकट मोचन मंदिर का इतिहास
कहा जाता है कि गोस्वामी तुलसीदास जी ने काशी प्रवास के दौरान अपने आराध्य हनुमान जी के मंदिरों की जगह-जगह स्थापना की थी। इसी कड़ी में उन्होंने इस अद्भुत मंदिर की भी स्थापना की थी। यहां पर मूर्ति की स्थापना 16 वीं शताब्दी में हुई थी। जिसके बाद मंदिर का निर्माण 1900 के करीब आजादी की लड़ाई लड़ने वाले पंडित मदन मोहन मालवीय ने करवाया था।
मंदिर को लेकर मान्यताएं
संकट मोचन मंदिर एक ऐतिहासिक मंदिर है और इसमें रखी भगवान हनुमान की मूर्ति को बाबा संकटमोचन कहा जाता है। मूर्ति के बारे में कहा जाता है कि इसे कवि गोस्वामी तुलसीदास ने स्वयं अपने हाथों से गढ़ा था और तब एक छोटा-सा मंदिर बानाया था, बाद में यह मंदिर विस्तृत होता गया। मंदिर से जुड़ी एक मान्यता ऐसी भी है कि 16वीं शताब्दी में तुलसीदास ने पवित्र हिंदू ग्रंथ रामचरितमानस का एक हिस्सा यहीं रहकर लिखा था।
कहां स्थित है मंदिर
यह मंदिर वाराणसी के दक्षिणी हिस्से में स्थित है। प्रख्यात काशी हिंदू विश्वविद्यालय के निकट दुर्गाकुंड क्षेत्र में यह मंदिर स्थित है।
Created On :   29 March 2018 5:43 AM GMT