Birthday Special : रातों-रात सियासत का रुख बदलने वाले मुख्यमंत्री का सफरनामा

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Birthday Special : रातों-रात सियासत का रुख बदलने वाले मुख्यमंत्री का सफरनामा
Birthday Special : रातों-रात सियासत का रुख बदलने वाले मुख्यमंत्री का सफरनामा

डिजिटल डेस्क,नई दिल्ली। वो शख्स जिसके तेवर और सादगी ने लोगों का दिल जीत लिया। आज आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का जन्मदिन है। केजरीवाल का जन्म 16 अगस्त 1968 को हरियाणा के हिसार शहर में हुआ था। केजरीवाल किसी पहचान के मोहताज नहीं हैं। उन्होंने पढ़ाई से लेकर राजनीति तक चारों तरफ एक दमदार उदहारण सभी के सामने पेश किया। प्रशासनिक सेवा की नौकरी छोड़कर राजनीति में कदम रखने वाले केजरीवाल महज दो साल में दिल्ली के मुख्यमंत्री बन गये थे। विपक्ष को मुहंतोड़ जवाब देने और खुद को आम इंसान के रूप में पेश करने के हुनर के दम पर उन्होंने जनता का भरोसा हासिल कर 2015 में दोबारा दिल्ली विधानसभा का चुनाव जीतकर सबको चौंका दिया था, और जीत भी ऐसी जिसमें मोदी लहर को चीरते हुए 70 में से 67 सीटें हासिल हुई थीं।

अरविंद केजरीवाल का अब तक का सफर 

हरियाणा के हिसार में जन्मे अरविंद केजरीवाल ने 1989 में आईआईटी खड़गपुर से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में ग्रेजुएशन की।1992 में वो भारतीय नागरिक सेवा (आईसीएस) के एक भाग, भारतीय राजस्व सेवा (आईआरएस) में आ गए और दिल्ली में आयकर आयुक्त कार्यालय में नियुक्त हुए।

आरटीआई की मदद से किये कई घोटालों का पर्दाफाश

जॉब के दौरान केजरीवाल को लगा कि सरकारी विभागों में बहुत भ्रष्टाचार है जिसके लिए उन्हें कुछ करना चाहिए। इसलिए जनवरी 2000 में  दिल्ली में उन्होंने एक नागरिक आंदोलन "परिवर्तन" की शुरुआत की। "परिवर्तन" के जरिए उन्होंने दिल्ली की सरकार में पारदर्शिता लाने की कोशिश की। फरवरी 2006 में, केजरीवाल ने नौकरी से रिजाइन दे दिया और पूरे समय के लिए सिर्फ "परिवर्तन" में ही काम करने लगे। 
अरविंद केजरीवाल की मेहनत और अरुणा रॉय और कई अन्य समाजसेवियों की कोशिशों के चलते सूचना का अधिकार कानून लागू हुआ।

सूचना अधिकार अधिनियम (आरटीआई)  मिलने के बाद केजरीवाल ने इसका भरपूर इस्तेमाल किया और कई घोटालों को जनता के सामने लाने में सफल रहे।

2 अक्टूबर 2012 में की पार्टी की शुरूआत
भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने के मकसद से अरविंद केजरीवाल ने अन्ना हजारे के साथ मिलकर 2011 में बड़ा आंदोलन किया। केजरीवाल देश में लोकपाल लाने की मांग कर रहे थे। इस आंदोलन के दौरान केजरीवाल ने अन्ना की तरह अनशन भी किया।
केंद्र सरकार के कहने के बाद भी लोकपाल नहीं आने पर 2 अक्टूबर 2012 को अरविंद केजरीवाल ने अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत की। उन्होंने आम आदमी पार्टी (आप) की स्थापना की।

2013 में मुख्यमंत्री शीला दीक्षित को बड़े मार्जिन से हराया
2013  के दिल्ली विधानसभा चुनाव में अरविंद केजरीवाल की अगुवाई में आम आदमी पार्टी ने शानदार प्रदर्शन किया। खुद केजरीवाल ने नई दिल्ली सीट पर तीन बार की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित को 25,864 मतों से हराया। केजरीवाल ने कांग्रेस के साथ मिलकर दिल्ली में सरकार का गठन किया। हालांकि दिल्ली विधानसभा में लोकपाल बिल नहीं पास करा पाने के चलते महज 49 दिनों में सत्ता को छोड़ दिया।

2014 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ वाराणसी से चुनाव लड़ा। केजरीवाल खुद वाराणसी से हारे और पंजाब छोड़कर देश के सभी हिस्सों में आप के उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई। 

साल 2015 में पूरे देश में मोदी की लहर के बाद भी केजरीवाल ने दिल्ली विधानसभा चुनाव में ऐतिहासिक जीत दर्ज की। 70 सीटों वाली विधानसभा में केजरीवाल की पार्टी ने 67 सीटें जीतकर सबको चौंका दिया। 

केजरीवाल राजनीति से ज्यादा सामाजिक कार्यों में सफल माने जाते हैं। उन्हें सामाजिक कार्यों में योगदान के लिए रमन मेगसेसे अवार्ड मिल चुका है. प्रतिष्ठित "टाइम" मैगजीन ने इन्हें विश्व के सबसे प्रभावशाली व्यक्ति की सूची में जगह दी है.

रिपोर्ट्स के मुताबिक नौकरी के दौरान केजरीवाल ने चपरासी रखने से इनकार कर दिया था, वह खुद अपना केबिन साफ करते थे। आज भी करते हैं। बता दें नागपुर में ट्रेनिंग के दौरान उनकी मुलाकात सुनीता से हुई और 1995 में दोनों ने शादी कर ली।

Created On :   16 Aug 2017 7:42 AM GMT

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