लिंग पुराणः भगवान विष्णु से तय था मां पार्वती का विवाह, ऐसे मिले शिव

Haritalika Teej 2017, ‪Puja‬, ‪Parvati‬, ‪Shiva‬, ‪Tritiya‬‬, Muhurt time
लिंग पुराणः भगवान विष्णु से तय था मां पार्वती का विवाह, ऐसे मिले शिव
लिंग पुराणः भगवान विष्णु से तय था मां पार्वती का विवाह, ऐसे मिले शिव

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। हरितालिका तीज आज 24 अगस्त को मनाई जा रही है। सुबह 4 बजे से ही सड़क से लेकर मंदिरों तक इसका उत्साह देखने मिल रहा है। सुबह से ही महिलाएं पूजन-पाठ की तैयारी में लग गई हैं। हिन्दू पंचांग के अनुसार भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष की तृतीया को हरतालिका तीज मनाई जाती है। अखंड सौभाग्य और अच्छे वर के लिए रखा जाने वाला ये व्रत हर साल ही धूमधाम से मनाया जाता है। तीज के दिन माता पार्वती को सुहाग की चीजें अर्पित करने से वे प्रसन्न होती हैं। इस दिन भगवान शंकर को धोती और अंगोछा भी चढ़ाया जाता है।

मान्यता है कि इस दिन जो महिलाएं विधि-विधानपूर्वक और पूर्ण निष्ठा से इस व्रत को करती हैं, वह अपने मन के अनुरूप पति को प्राप्त करती है। कई स्थानों पर इस दिन झूला झूलने और और मेहंदी लगाने की भी परंपरा है। तीज के इस शुभ अवसर पर आज हम आपको यहां लिंग पुराण के अनुसार इस व्रत की कथा बताने जा रहे हैं...

मां पार्वती ने अपने पूर्व जन्म में भगवान शंकर को पति रूप में प्राप्त करने के लिए हिमालय पर गंगा के तट पर अपनी बाल्यावस्था में अधोमुखी होकर घोर तप किया। इस दौरान उन्होंने अन्न का सेवन नहीं किया। कई वर्षों तक उन्होंने केवल हवा पीकर ही व्यतीत किया। मां पार्वती के इस तप ने उनके पिता को अत्यंत दुःखी कर दिया। 

नारद लेकर पहुंचे विवाह प्रस्ताव

इसी बीच एक दिन महर्षि नारद भगवान विष्णु की ओर से मां पार्वती के विवाह का प्रस्ताव लेकर उनके पिता हिमालय के पास पहुंचे, जिसे उन्होंने खुशी-खुशी स्वीकार कर लिया। पिता ने जब मां पार्वती को उनके विवाह की बात बताई तो वह बहुत दुखी हो गईं और  विलाप करने लगी। फिर एक सखी के पूछने पर माता ने उसे बताया कि वह यह कठोर व्रत भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त करने के लिए कर रही हैं जबकि उनके पिता उनका विवाह विष्णु से कराना चाहते हैं। तब सहेली की सलाह पर माता पार्वती घने वन में चली गई और वहां एक गुफा में जाकर भगवान शिव की आराधना में लीन हो गई। तप करते हुए उन्होंने भगवान शंकर को बेलपत्र चढ़ाए और पत्ते खाकर ही दिन व्यतीत किए। 

भोलेनाथ की स्तुति

भाद्रपद तृतीया शुक्ल के दिन हस्त नक्षत्र को माता पार्वती ने रेत से शिवलिंग का निर्माण किया और भोलेनाथ की स्तुति में लीन होकर रात्रि जागरण किया। तब माता की इस कठोर तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें दर्शन दिए। माता पार्वती के लिए ये दिन अत्यंत ही हर्ष का था भगवान शिव ने उन्हें पत्नी के रूप में स्वीकार कर लिया। जिसके बाद शिव-पार्वती विवाह विधि-विधान से किया गया। 

Created On :   24 Aug 2017 2:39 AM GMT

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