हरियाली अमावस्या: महत्व और कौन-कौन से पौधे करें रोपित
डिजिटल डेस्क, भोपाल। हरियाली अमावस्या का त्योहार सावन के महीने में मनाया जाता है। इस मौके पर पौधे लगाना शुभ माना जाता है। इस बार यह तिथि 11 अगस्त को है। इस दिन शनिचरी अमावस्या होने के चलते यह तिथि और भी खास मानी जा रही है। कुछ स्थानों पर इस दिन पीपल के वृक्ष की पूजा कर उसके फेरे लगाने और मालपुए का भोग लगाने की परंपरा है। इस दिन का जितना धार्मिक महत्व है उतना ही वैज्ञानिक महत्व भी है।
धन प्राप्ति के लिए: तुलसी, आँवला, केल, बिल्वपत्र का वृक्ष लगाएं।
सौभाग्य प्राप्ति के लिए: अशोक, अर्जुन, नारियल, बरगद (वट) का वृक्ष लगाएं।
संतान प्राप्ति के लिए: पीपल, नीम, बिल्व, नागकेशर, गुड़हल, अश्वगन्धा को लगाएं।
मेधा और बुद्धि प्राप्ति के लिए: शंखपुष्पी, पलाश, ब्राह्मी, तुलसी का पौधा लगाना चाहिए।
सुख प्राप्ति के लिए: नीम, कदम्ब, घने छायादार पौधे लगाने चाहिए।
आनन्द प्राप्ति के लिए: हरसिंगार (पारिजात) रातरानी, मोगरा और गुलाब का पौधा लगाना चाहिए।
मान्यता है कि इस दिन हर व्यक्ति को एक पौधा अवश्य रूप से लगाना चाहिए। पर्यावरण को शुद्ध बनाए रखने के लिए ही हरियाली अमावस्या के दिन वृक्षारोपण करने की प्रथा बनाई गई है। वायुमंडल की शुचिता को बनाए रखने के लिए इस पर्व को मनाया जाता है। इस दिन कई शहरों और गांवों में हरियाली अमावस्या के मेलों का आयोजन भी किया जाता है। इसमें सभी वर्ग के लोगों के साथ युवा भी शामिल होकर उत्सव व आनंद से पर्व मनाते हैं।
धार्मिक मान्यता के अनुसार वृक्षों में देवताओं का वास बताया गया है। शास्त्रों के अनुसार पीपल के वृक्ष में त्रिदेव यानी ब्रह्मा, विष्णु और भगवान शिव का वास होता है। इसी प्रकार आंवले के पेड़ में लक्ष्मीनारायण विराजमान होते हैं। इसलिए इन वृक्षों को संरंक्षित रखने के लिए हरियाली अमावस्या मनाई जाती है। इस दिन नदियों और जलाशयों के किनारे स्नान के बाद भगवान की पूज-अर्चना करने के बाद शुभ मुहूर्त में वृक्षों को रोपा जाता है। इसके अनुसार शास्त्रों में विशेषकर आम, आंवला, पीपल, वटवृक्ष और नीम के पौधों को रोपने का विशेष महत्व बताया गया है।
Created On :   10 Aug 2018 12:57 PM GMT