नर्मदा नदी के 300 मीटर के दायरे में कैसे की जा रही खुदाई, हाईकोर्ट ने मांगा जवाब

Hc say how excavation being done in 300 meters of narmada river
नर्मदा नदी के 300 मीटर के दायरे में कैसे की जा रही खुदाई, हाईकोर्ट ने मांगा जवाब
नर्मदा नदी के 300 मीटर के दायरे में कैसे की जा रही खुदाई, हाईकोर्ट ने मांगा जवाब

डिजिटल डेस्क, जबलपुर। हाईकोर्ट ने राज्य शासन, संभागायुक्त, कलेक्टर और नगर निगम आयुक्त को नोटिस जारी कर पूछा है कि नर्मदा नदी के तिलवाराघाट स्थित 300 मीटर के दायरे में खुदाई कैसे की जा रही है। जस्टिस सुजय पॉल और जस्टिस संजय द्विवेदी की युगल पीठ ने तीन सप्ताह में जवाब देने का निर्देश दिया है। 
 

गौशाला संचालक कर रहे मनमानी
नर्मदा मिशन के अध्यक्ष नीलेश रावल की ओर से दायर जनहित याचिका में कहा गया है कि नर्मदा नदी के 300 मीटर के प्रतिबंधित जोन में किसी भी प्रकार का निर्माण नहीं किया जा सकता है। प्रतिबंधित जोन के 300 मीटर के दायरे में राइटेरियन जोन और हाई फ्लड लेबल जोन भी शामिल है। नदी के दोनों किनारों को राइटेरियन जोन की श्रेणी में रखा गया है। राइटेरियन जोन में प्राकृतिक रूप से ऊगने वाले पेड़-पौधे पानी को संरक्षित करने के साथ नदी को कटाव से बचाते है। बारिश के दौरान नदी के उच्चतम जलस्तर को हाई फ्लड लेबल जोन कहते है। सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के आदेशों के अनुसार नदी के 300 मीटर के दायरे में किसी भी प्रकार का निर्माण और खुदाई नहीं की जा सकती है। याचिका में आरोप लगाया है कि दयोदय पशु संवद्र्धन केन्द्र और गौशाला के संचालकों द्वारा नर्मदा नदी के 300 मीटर के दायरे में खुदाई की जा रही है। अधिवक्ता सौरभ तिवारी ने तर्क दिया कि 300 मीटर के दायरे में यदि खुदाई को नहीं रोका गया तो नर्मदा नदी का मूल स्वरूप परिवर्तित होने का खतरा बढ़ जाएगा। नदी के प्रतिबंधित जोन में की जा रही खुदाई को रोकने के लिए संभागायुक्त, कलेक्टर और नगर निगम को आवेदन दिया गया, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई। प्रांरभिक सुनवाई के बाद युगल पीठ ने राज्य शासन और अन्य को नोटिस जारी कर जवाब-तलब किया है।
 

अमरकंटक में क्यों बंद किया जा रहा स्टडी सेंटर
हाईकोर्ट ने माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय के कुलपति, रजिस्ट्रार और सेंटर इंचार्ज को नोटिस जारी कर पूछा है कि अमरकंटक स्थित स्टडी सेंटर को क्यों बंद किया जा रहा है। जस्टिस सुजय पॉल और जस्टिस संजय द्विवेदी की युगल पीठ ने तीन सप्ताह में जवाब तलब किया है। अमरकंटक निवासी रज्जू सिंह नेताम की ओर से दायर जनहित याचिका में कहा गया है कि माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय ने वर्ष 2014 में अमरकंटक के बाराती वार्ड में स्टडी सेंटर खोला था। आदिवासी बच्चों को कम्प्यूटर की शिक्षा देने के लिए यहां पर डीसीए और पीजीडीसीए के कोर्स शुरू किए गए है। दोनों कोर्सों के लिए 50-50 सीटें रखी गई थी। विश्वविद्यालय की ओर से 28 जनवरी 2019 को आदेश जारी कर कहा गया कि 30 जून 2019 से स्टडी सेंटर को बंद किया जा रहा है। स्टडी सेंटर बंद होने से यहां पर अध्ययनरत बच्चों को 50 किलोमीटर दूर राजेन्द्र ग्राम में परीक्षा के लिए जाना होगा। अधिवक्ता संजय सिंह और अशोक सिंह ने तर्क दिया कि यहां पर पढ़ने वाले ज्यादातर बच्चे गरीब आदिवासी परिवार से है। आदिवासी बच्चों की कम्प्यूटर शिक्षा के लिए स्टडी सेंटर को बंद होने से रोका जाए। प्रांरभिक सुनवाई के बाद युगल पीठ ने अनावेदकों को नोटिस जारी कर तीन सप्ताह में जवाब-तलब किया है।
 

Created On :   24 May 2019 8:15 AM GMT

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