मेडिकल कॉलेजों में क्यों नहीं दिया जा रहा 10 प्रतिशत सवर्ण आरक्षण का लाभ : हाईकोर्ट

HC why 10 percent reservation not given private medical colleges
मेडिकल कॉलेजों में क्यों नहीं दिया जा रहा 10 प्रतिशत सवर्ण आरक्षण का लाभ : हाईकोर्ट
मेडिकल कॉलेजों में क्यों नहीं दिया जा रहा 10 प्रतिशत सवर्ण आरक्षण का लाभ : हाईकोर्ट

डिजिटल डेस्क, जबलपुर। दिल्ली हाईकोर्ट ने मेडिकल कौंसिल ऑफ इंडिया से पूछा है कि निजी मेडिकल कॉलेजों में 10 प्रतिशत सवर्ण आरक्षण का लाभ क्यों नहीं दिया जा रहा है। जस्टिस जयंत नाथ की एकल पीठ ने 10 दिन के भीतर जवाब देने का निर्देश दिया है। 
 

निजी मेडिकल कॉलेजों के साथ भेदभाव

मध्यप्रदेश के निजी मेडिकल कॉलेजों की ओर से दायर संयुक्त याचिका में कहा गया कि केन्द्र सरकार ने जनवरी 2019 में संविधान में 103 वें संशोधन के जरिए अनुच्छेद 15 और 16 को संशोधित करते हुए निम्न आय वर्ग के सवर्णों के लिए शासकीय और निजी शिक्षण संस्स्थानों में 10 प्रतिशत आरक्षण लागू कर दिया। इस संविधान संशोधन के जरिए मेडिकल कौंसिल ऑफ इंडिया ने अप्रैल 2019 में एक पॉलिसी बनाई, जिसके तहत शैक्षणिक सत्र 2019-20 से सभी मेडिकल कॉलेजों में निम्न आय वर्ग के सवर्णों को 10 प्रतिशत आरक्षण उपलब्ध कराया जाएगा। अगर किसी निजी मेडिकल कॉलेज में 150 सीटें है, तो 10 प्रतिशत सवर्ण आरक्षण लागू होने से सीटें बढ़कर 200 हो जाएंगी। याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता विवेक कृष्ण तन्खा और अधिवक्ता सिद्द्धार्थ राधेलाल गुप्ता ने तर्क दिया कि मेडिकल कौंसिल ऑफ इंडिया ने 10 प्रतिशत सवर्ण आरक्षण सरकारी मेडिकल कॉलेजों में लागू कर दिया, लेकिन निजी मेडिकल कॉलेजों में लागू नहीं किया गया। इस तरह निजी मेडिकल कॉलेजों के साथ भेदभाव किया जा रहा है। प्रांरभिक सुनवाई के बाद एकल पीठ ने मेडिकल कौंसिल ऑफ इंडिया से पूछा है कि निजी मेडिकल कॉलेजों को 10 प्रतिशत सवर्ण आरक्षण का लाभ क्यों नहीं दिया जा रहा है।
 

प्रदेश में 27 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण लागू करने को चुनौती

मध्यप्रदेश में 27 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण लागू करने को दो जनहित याचिकाओं के जरिए चुनौती दी गई है। शुक्रवार को नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच की जनहित याचिका सुनवाई के लिए लगी। एक्टिंग चीफ जस्टिस आरएस झा और जस्टिस विशाल धगट की युगल पीठ ने दोनों जनहित याचिकाओं की संयुक्त रूप से सोमवार 24 जून को सुनवाई करने का निर्देश दिया है। नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच के डॉ. पीजी नाजपांडे व डॉ. एमए खान और यूथ फॉर इक्वालिटी की ओर से दायर जनहित याचिकाओं में कहा गया कि मध्यप्रदेश में पहले 20 प्रतिशत एसटी, 16 प्रतिशत एससी और 14 प्रतिशत ओबीसी यानी 50 प्रतिशत आरक्षण लागू था। मध्यप्रदेश सरकार ने 8 मार्च 2019 को ओबीसी के लिए लागू 14 प्रतिशत आरक्षण को बढ़ाकर 27 प्रतिशत कर दिया है। इससे मध्यप्रदेश में आरक्षण की सीमा बढ़कर 63 प्रतिशत हो गई है। याचिका में कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट ने इंदिरा साहनी मामले में स्पष्ट कहा है कि किसी भी स्थिति में आरक्षण 50 प्रतिशत से अधिक नहीं होना चाहिए। मध्यप्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लघंन करते हुए ओबीसी आरक्षण 14 प्रतिशत से बढ़ाकर 27 प्रतिशत कर दिया है। शुक्रवार को नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच की याचिका सुनवाई के लिए लगी। युगल पीठ ने ओबीसी आरक्षण से संबंधित दोनों याचिकाओं की सुनवाई 24 जून को करने का निर्देश दिया है। उपभोक्ता मंच की ओर से अधिवक्ता दिनेश उपाध्याय और यूथ फॉर इक्वालिटी की ओर से अधिवक्ता सुशय ठाकुर पैरवी कर रहे है।
 

Created On :   22 Jun 2019 8:39 AM GMT

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