रिवाल्वर से दुर्घटनावश चली गोली, हाईकोर्ट ने दिया लाइसेंस के आवेदन पर विचार करने का निर्देश 

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रिवाल्वर से दुर्घटनावश चली गोली, हाईकोर्ट ने दिया लाइसेंस के आवेदन पर विचार करने का निर्देश 
रिवाल्वर से दुर्घटनावश चली गोली, हाईकोर्ट ने दिया लाइसेंस के आवेदन पर विचार करने का निर्देश 

डिजिटल डेस्क, मुंबई। दुर्घटनावश गोली चलने को हथियार संभाल कर न रख पाने की लापरवाही नहीं माना जा सकता है। बांबे हाईकोर्ट ने अपने एक फैसले में यह स्पष्ट किया है। मामला महानगर के पवई इलाके में रहनेवाले भानुप्रताप सिंह से जुड़ा है। सिंह जुलाई 2008 में अपनी कार से विलेपार्ले इलाके से कहीं जा रहे थे। इस दौरान उन्होंने अपनी कमर में लाइसेंसी रिवाल्वर बांध कर रखी थी। सफर के दौरान सिंह कमर में बंधी रिवाल्वर से खुद को असहज महसूस कर रहे थे लिहाजा उन्होंने अपनी रिवाल्वर को कार में लगे एक बाक्स में डाल दिया। रास्ता ठीक न होने के चलते रिवाल्वर कार के बाक्स के काफी भीतर चली गई थी।

खुद जाकर दी थी शिकायत

सिंह ने जब दोबारा कार के बाक्स से रिवाल्वर निकालने की कोशिश की तो इस दौरान ड्राइवर ने अचानक कार का ब्रेक मारा तभी रिवाल्वर का ट्रिगर दब जाने के कारण कार में अचानक गोली चल गई। इस घटना के बाद सिंह ने खुद वाकोला पुलिस स्टेशन में जाकर  पुलिस को पूरे मामले की जानकारी दी। पुलिस ने सिंह के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 336 के तहत मामला दर्ज किया। यही नहीं पुलिस ने सिंह की रिवाल्वर भी जब्त कर ली और जांच के बाद उनके खिलाफ बांद्रा कोर्ट में आरोपपत्र भी दायर किया। इस बीच सिंह को पुलिस के आर्म्स विभाग ने एक कारण बताओ नोटिस जारी किया और कहा कि रिवाल्वर संभाल न पाने के लिए उनका लाइसेंस क्यों न रद्द कर दिया जाए। सिंह ने इस नोटिस का जवाब भी दिया फिर भी पुलिस उपायुक्त(डीसीपी) ने उनका लाइसेंस रद्द कर दिया। गृह विभाग के सचिव से भी सिंह को इस मामले में कोई राहत नहीं मिली। 

लिहाजा सिंह ने अधिवक्ता के एच गिरी के मार्फत हाईकोर्ट में याचिका दायर की। न्यायमूर्ति बीपी धर्माधिकारी व न्यायमूर्ति सारंग कोतवाल की खंडपीठ के सामने याचिका पर सुनवाई हुई। इस दौरान सिंह की ओर से पैरवी कर रहे अधिवक्ता गिरी ने कहा कि पुलिस ने मेरे मुवक्किल के खिलाफ जो आपराधिक मामला दर्ज किया था उस मामले में मैजिस्ट्रेट ने मेरे मुवक्किल को बरी कर दिया। मैजिस्ट्रे ने मेरे मुवक्किल को हथियार न संभाल पाने के लिए दोषी नहीं माना है। इसलिए लाइसेंस न देने को लेकर डीसीपी ने जो कारण बताया वह उचित नहीं है। इन दलीलों को सुनने के बाद खंडपीठ ने  रिवाल्वर के लिए लाइसेंस न देने के डीसीपी व गृह विभाग के सचिव के पुराने आदेश को रद्द कर दिया और डीसीपी को निर्देश दिया कि यदि याचिकाकर्ता रिवाल्वर के लाइसेंस के नवीनीकरण के लिए नया आवेदन करते हैं तो उस आवेदन पर तीन महीने के भीतर निर्णय लिया जाए। 

Created On :   1 Dec 2018 12:55 PM GMT

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