'आधार की अनिवार्यता नागरिकों के संविधान को सरकार के संविधान में बदलने की कोश‍िश'

Hearing start in supreme court on aadhaar linking to govt services
'आधार की अनिवार्यता नागरिकों के संविधान को सरकार के संविधान में बदलने की कोश‍िश'
'आधार की अनिवार्यता नागरिकों के संविधान को सरकार के संविधान में बदलने की कोश‍िश'

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। आधार की अनिवार्यता को लेकर सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को फिर से सुनवाई शुरू हुई। आधार की अनिवार्यता को चुनौती देने वाले याचिकाकर्ता के वकील श्याम दीवान ने सुनवाई के दौरान अपने पक्ष में कई दलीलें दी। उन्होंने सभी सार्वजनिक योजनाओं में आधार की अनिवार्यता को नागरिकों के संविधान को सरकार के संविधान में बदलने की कोश‍िश बताया। उन्होंने कहा कि आधार को अनिवार्य करना नागरिकों के अधिकारों की हत्या करने जैसा है।

इस महत्वपूर्ण मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस ए के सीकरी , जस्टिस ए एम खानविलकर, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड और जस्टिस अशोक भूषण की बेंच कर रही है। सुनवाई की शुरुआत में ही अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने  बेंच के समक्ष इस मामले में सभी पक्षों का वक्त निर्धारित करने की अपील की थी। उनका कहना था कि फरवरी की शुरुआत से ही अयोध्या मामले की सुनवाई होनी है। ऐसे में इस मुद्दे पर सभी पक्षों का वक्त निर्धारित किया जाए।

अटॉर्नी जनरल की इस दलील पर याचिकाकर्ता के वकील श्याम दीवान ने कहा कि इस मामले में सभी पक्षों का वक्त निर्धारित करना मुश्किल है। उन्होंने कहा, यह कह पाना मुश्किल होगा कि बहस में कितना वक्त लगेगा क्योंकि इस मामले में अलग-अलग पहलुओं पर 27 याचिकाएं दाखिल हैं।

इसके बाद श्याम दीवान ने आधार की अनिवार्यता को खत्म करने के लिए अपने पक्ष में कई दलीलें दी। उन्होंने सुनवाई में आधार की अनिवार्यता में कई खामियां भी गिनाई। उन्होंने कहा देश में कई ऐसे दुर्गम इलाके हैं जहां रहने वालों के लिए आधार सेंटर तक पहुंचना और पहचान रजिस्टर कराना बेहद मुश्किल है। उन्होंने यह भी कहा कि बुजुर्गों की उंगलियों के निशान रजिस्टर करना मुश्क‍िल हो जाता है। अक्सर बुजुर्ग होने पर फिंगरप्र‍िंट बदल भी जाता है। ऐसे में कई सार्वजनिक योजनाओं से उन्हें वंचित होना पड़ता है।

दीवान ने कई सेवाओं में आधार की अनिवार्यता पर भी सवाल दागा। उन्होंने पूछा, "बैंक एकाउंट, मोबाइल नंबर, सामाजिक कल्याणकारी योजनाओं, UGC के प्रोग्राम और आयकर रिटर्न्स भरने के लिए आधार कार्ड अनिवार्य क्यों किया जाए?" उन्होंने पूछा कि क्या आधार कार्ड रूल ऑफ लॉ के मुताबिक है? इसे मनी बिल की तरह पेश क्यों किया गया है? वकील ने यह भी पूछा कि क्या इस डिजिटल युग में कोई खुद को प्रोटेक्ट कर सकता है या नहीं? आधार कार्ड के लिए अपनी जानकारी साझा करना राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा तो नहीं?

 

Created On :   17 Jan 2018 3:31 PM GMT

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