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मनपा : जनता की लूट और मनपा अधिकारियों को छूट, टैक्स वसूली में भारी असमानता
डिजिटल डेस्क, नागपुर। NMC द्वारा नागरिकों से वसूले जाने वाले हाउसिंग टैक्स की प्रणाली पूरी तरह बेतरतीब और गैर-प्रभावी हैं। बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर बेंच में मनपा हाउसिंग टैक्स ग्रिविएंस रिड्रेसल सोसायटी द्वारा दायर जनहित याचिका में यह मुद्दा उठाया गया है। याचिकाकर्ता का दावा है कि नागरिकों से वसूले जाने वाले हाउसिंग टैक्स की प्रणाली में कई विसंगतियां हैं। याचिकाकर्ता का पक्ष सुनकर हाईकोर्ट ने प्रतिवादी राज्य शहरी विकास मंत्रालय के प्रधान सचिव, नागपुर मनपा, विभागीय आयुक्त, प्रदेश महालेखागार, एनआईसी को नोटिस जारी कर 26 सितंबर तक जवाब मांगा है। मामले में याचिकाकर्ता की ओर से एड.जतीन कुमार ने पक्ष रखा।
यह है मामला
नागरिकों से अलग-अलग समय सीमा के लिए अलग अलग टैक्स की रकम वसूली गई है। एक तरफ इसके रिकॉर्ड मेंटेन नहीं किए जा रहे, तो दूसरी तरफ इस पूरी प्रक्रिया को नियंत्रित करने के लिए कोई सुपरवाइजिंग अथॉरिटी नहीं है। राज्य सरकार द्वारा वर्ष 2011 में महाराष्ट्र म्युनिसिपल प्रॉपर्टी टैक्स बोर्ड एक्ट में इस पूरी सिस्टम को नियंत्रित करने के लिए एक विशेष बोर्ड गठित करने का प्रावधान है। इसके बाद भी बीते 7 वर्षाें में एेसे किसी बोर्ड का गठन नहीं किया गया है।
याचिकाकर्ता का तो यह भी दावा है कि नागरिकों से बड़े पैमाने पर टैक्स वसूला जाता है। मगर खुद मनपा के रिकॉर्ड दर्शाते हैं कि मनपा के अधिकारियों के खुद के बड़े-बड़े घरों पर उनसे 100 से लेकर 130 रुपए टैक्स ही वसूला गया है। याचिकाकर्ता द्वारा दायर आरटीआई के जवाब में यह भी खुलासा हुआ है कि मनपा ने बीते कुछ वर्षाें में कुल 14 हजार टैक्स रसीदें, जिनका मूल्य करीब 28.50 करोड़ रुपए था, खारिज कर दी। ऐसा क्यों किया गया, किसकी सिफारिश से किया गया और किस नियम के तहत किया गया इसकी कोई जानकारी मनपा ने नहीं दी।
याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में इस में बड़े भ्रष्टाचार की भी संभावना जताई है। याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में मनपा के टैक्स के ब्योरे का महालेखाकार द्वारा ऑडिट कराने और मनपा की टैक्स प्रणाली डिजिटल करने के आदेश जारी करने की प्रार्थना हाईकोर्ट से की है।
Created On :   13 Sep 2018 6:23 AM GMT