अधिकारी के तबादले के लिए मंत्री-विधायक के पत्र लिखने से हाईकोर्ट नाराज, मुख्य सचिव को जांच के आदेश 

High Court annoyed on writing letter of ministers for officers transfer
अधिकारी के तबादले के लिए मंत्री-विधायक के पत्र लिखने से हाईकोर्ट नाराज, मुख्य सचिव को जांच के आदेश 
अधिकारी के तबादले के लिए मंत्री-विधायक के पत्र लिखने से हाईकोर्ट नाराज, मुख्य सचिव को जांच के आदेश 

डिजिटल डेस्क, मुंबई। सरकारी अधिकारियों के तबादले नेताओं के प्रभाव के बगैर कानून के हिसाब से हो। यह सुनिश्चित करने के लिए राज्य सरकार कौन से कदम उठाएगी। बांबे हाईकोर्ट ने राज्य के मुख्य सचिव को यह जानकारी देने के लिए हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया है। मामला उप विभागीय अधिकारी बीवी तिडके से जुड़ा है। जिनके तबादले को लेकर राज्य के मंत्री जल संसाधन मंत्री गिरीष महाजन और भाजपा विधायक मनीषा चौधरी ने मुख्यमंत्री को सिफारिशी पत्र लिखा था। 

जस्टिस अभय ओक व जस्टिस एमएस सोनक की बेंच ने तबादले के विषय में मंत्री व विधायक के पत्र को देखने के बाद हैरानी जाहिर करते हुए राज्य के मुख्य सचिव को तिडके के तबादले के मामले की जांच करने को कहा है। बेंच ने कहा कि राज्य के मुख्य सचिव खास तौर से इस पहलू पर गौर करें कि जब तबादलों के नियमन के लिए कानून बनाया गया है तो फिर स्थानांतरण को लेकर मंत्री व विधायक के सिफारिशी पत्र पर कैसे गौर किया गया? 

बेंच के सामने तिडके की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई चल रही है। तिडके ने याचिका में अपने तबादले को लेकर 3 फरवरी 2018 के आदेश को चुनौती दी है। जिसके तहत उनका तबादला  किया गया है। तबादला आदेश को तिडके ने पहले महाराषट्र प्रशासकीय पंचाट (मैट) में चुनौती दी थी, लेकिन मैट ने उनकी याचिका खारिज कर दी। लिहाजा उन्होंने हाईकोर्ट में याचिका दायर की। सुनवाई के दौरान तिडके के वकील ने कहा कि मेरे मुवक्किल ने कभी विधायक व मंत्री के पास तबादले को लेकर संपर्क नहीं किया था और न ही इस संबंध में कोई आग्रह किया था। किंतु मामले से जुड़े रिकार्ड पर गौर करने के बाद बेंच ने पाया कि विधायक चौधरी व मंत्री महाजन ने तिडके के तबादले के लिए मुख्यमंत्री को पत्र लिखा था। क्योंकि जब तबादले की सूची बनी थी तो उसमें तिडके का नाम ही नहीं था। इन दोनों के पत्रों के बाद तबादले की सूची में बदलाव किया गया है। 

बेंच ने कहा कि इस बात पर विश्वास नहीं किया जा सकता कि तिडके ने विधायक व मंत्री से संपर्क नहीं किया था। क्योंकि याचिकाकर्ता ने जब मैट मे तबादले के आदेश को चुनौती दी थी तो वहां पर विधायक चौधरी व मंत्री महाजन को पक्षकार नहीं बनाया गया था। बेंच ने कहा कि याचिकाकर्ता के कृत्य को देखते हुए उसे कोई राहत नहीं प्रदान कर सकते। वहीं सरकारी वकील अभिनंदन व्याज्ञानी ने कहा कि याचिकाकर्ता के तबादले को लेकर जारी किए गए आदेश को वापस लेते हैं और नए सिरे से सिविल सर्विस बोर्ड के सामने याचिकाकर्ता के तबादले के प्रस्ताव को रखा जाएगा। बेंच ने कहा कि यह पूरा प्रकरण हैरान करनेवाला है, इसलिए हम राज्य के मुख्य सचिव को मामले की जांच करने का निर्देश देते है। बेंच ने फिलहाल मामले की सुनवाई 3 दिसंबर तक के लिए स्थगित कर दी है। 

 

Created On :   26 Nov 2018 3:02 PM GMT

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