बांबे हाईकोर्ट ने चुनाव आयोग से पूछा – क्या ईवीएम की खरीदों का रख जाता है रिकार्ड

High Court asked to Election Commission - Is EVM purchases record maintained
बांबे हाईकोर्ट ने चुनाव आयोग से पूछा – क्या ईवीएम की खरीदों का रख जाता है रिकार्ड
बांबे हाईकोर्ट ने चुनाव आयोग से पूछा – क्या ईवीएम की खरीदों का रख जाता है रिकार्ड

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने केंद्रीय चुनाव आयोग से जानना चाहा है कि क्या वह इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) की खरीदों का रिकार्ड रखता है। अदालत ने यह भी जानना चाहा है कि वह ईवीएम का किस तरह का संरक्षण किया जाता है? क्या चुनाव आयोग ईवीएम मशीनों को कोई नंबर प्रदान करता है। हाईकोर्ट ने केंद्रीय चुनाव आयोग को आठ मार्च तक इन सवालों का जवाब ब देने का निर्देश दिया है। सामाजिक कार्यकर्ता मनोरंजन राय ने इस संबंध में हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की है। याचिका में दावा किया गया है कि ईवीएम मशीन की खरीद में व  उसके रिकार्ड में अनियमितता बरती जाती है। राय के वकील ने मुख्य न्यायाधीश नरेश पाटील व न्यायमूर्ति एनएम जामदार की खंडपीठ के सामने कहा कि  केंद्रीय व राज्य चुनाव आयोग मशीनों की खरीद को लेकर पारदर्शी प्रक्रिया नहीं अपनाता है। कई मशीनों के गायब होने की जानकारी मेरे मुवक्किल को मिली है। कई बार आयोग ने स्पीड पोस्ट से भी ईवीएम मशीने मंगाई है। जबकि ईवीएम मशीन की खरीद को लेकर एक पूरी प्रक्रिया तय की गई है। वहीं केंद्रीय चुनाव अायोग की ओर से पैरवी कर रहे अधिवक्ता प्रदीप राजगोपाल ने कहा कि आयोग स्थानीय निकाय के लिए अलग मशीनों का इस्तेमाल होता है। संसदीय चुनाव के लिए अलग मशीन का उपयोग किया जाता है। विशेषज्ञ मशीन को हर पहलू को परखते है। इसके बाद उनका चुनाव के लिए इस्तेमाल किया जाता है। याचिका में कही गई बाते पूरी तरह से अस्पष्ट व समझ से परे है। मामले से जुड़े दोनों पक्षों को सुनने के बाद खंडपीठ ने कहा कि हमे आयोग बताए की वह मशीनों की खरीददारी किस तरह करता है? यदि किसी मशीन में कोई खामी पायी जाती है तो क्या उसे नष्ट किया जाता है? मशीन का संग्रह कहा किया जाता हैै। क्या आयोग मशीनों को कोई सीरियल नंबर प्रदान करता है। खंडपीठ ने कहा कि चुनाव आयोग इन तमाम पहलूओं पर निर्देश लेकर हमे अगली सुनवाई के दौरान अपने जवाब से अवगत कराए। खंडपीठ ने फिलहाल मामले की सुनवाई आठ मार्च तक के लिए स्थगित कर दी है।  

कथित 25 हजार करोड रुपए के घोटाले की जांच को लेकर पुलिस से जवाब मांगा
    
बांबे हाईकोर्ट ने चीनी मिल के कथित 25 हजार करोड रुपए के घोटाले की जांच को लेकर पुलिस से जवाब मांगा है और मामले की जांच कर रहे अधिकारी को जांच रिपोर्ट के साथ  कोर्ट में हाजिर रहने को कहा है। इस मामले की जांच को लेकर सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की है। शुक्रवार को यह याचिका मुख्य न्यायाधीश नरेश पाटील व न्यायमूर्ति एनएम जामदार की खंडपीठ के सामने सुनवाई के लिए आयी। इस दौरान याचिकाकर्ता की ओर से पैरवी कर रहे अधिवक्ता एसबी तलेकर ने कहा कि मेरे मुवक्किल ने 1 फरवरी 2017 को रमाबाई पुलिस स्टेशन में चीनी मिलों में कथित घोटाले की शिकायत की थी लेकिन दो साल बीत जाने के बाद भी पुलिस ने मामला दर्ज नहीं किया है। और कोई जांच भी नहीं की है। इस संबंध में मुख्यमंत्री को भी पत्र लिखा गया है। चूंकी इस मामले में कई बड़े नाम है हो सकता है इसलिए पुलिस जांच से कतरा रही है। इस बात को जानने के बाद खंडपीठ ने मामले के जांच अधिकारी को अगली सुनवाई के दौरान जांच की स्थिति की जानकारी के साथ कोर्ट में उपस्थित रहने को कहा। साल 2016 में श्री हजारे की ओर से दायर की गई याचिका में दाावा किया गया है कि पहले चीनी मिलों पर कर्ज का बोझ बढाया गया है। फिर इन मिलों की जमीन को कौडियों के भाव पर बेचा गया है। जिससे सरकार को 25 हजार करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है। इसलिए इस मामले की जांच एसआईटी से कराई जानी चाहिए। ताकि घोटाले की वजह सामने आ सके और इससे जुड़े लोगों का भी पता चल सके। याचिका में मांग की गई है कि इस पूरे प्रकरण में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रमुख शरद पवार व उनके भतीजे अजित पवार की भूमिका की जांच की जानी चाहिए। याचिका में इन दोनों राजनेताओंे को प्रतिवादी के रुप में पक्षकार बनाया गया है। याचिका में कहा गया है कि इस पूरे मामले में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार हुआ है और सरकार ने अपने अधिकारों का दुरुपयोग किया है। जिससे चीनी मिलों की बिक्री से 25 हजार करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है। 
 

Created On :   15 Feb 2019 4:01 PM GMT

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