ACB ने कहा -अजित पवार ही सिंचाई घोटाले के लिए जिम्मेदार

High Court had ordered to clarify the role of Ajit Pawar in the irrigation scandal
ACB ने कहा -अजित पवार ही सिंचाई घोटाले के लिए जिम्मेदार
ACB ने कहा -अजित पवार ही सिंचाई घोटाले के लिए जिम्मेदार

डिजिटल डेस्क, नागपुर। उच्च न्यायालय की नागपुर खंडपीठ द्वारा बहुचर्चित सिंचाई घोटाले में अजित पवार की भूमिका स्पष्ट करने के आदेश दिए थे। आदेश के बाद बहुचर्चित सिंचाई घोटाले में एसीबी ने तत्कालीन जलसंपदा मंत्री अजित पवार को इस बाबत जिम्मेदार बताकर अपनी भूमिका स्पष्ट कर दी है।  इस बाबत उच्च न्यायालय की नागपुर खंडपीठ में एसीबी ने प्रतिज्ञा-पत्र पेश किया है, जिसमें अजित पवार को स्पष्ट रूप से जिम्मेदार बताया गया है। उच्च न्यायालय में दाखिल दो जनहित याचिका में एसीबी के महासंचालक संजय बर्वे ने यह प्रतिज्ञा-पत्र दाखिल किया। ठेकेदारों ने निविदा प्रक्रिया अनुसार उन्हें ठेका मिलने का दावा किया है। निविदा प्रक्रिया में गैर-व्यवहार होने का भी दावा है। अजित पवार ने अपने जवाब में जलसंपदा विभाग का मंत्री रहते समय सचिव स्तर के अधिकारियों की सूचना अनुसार निर्णय लेने की जानकारी दी। 

एक ही कंपनी को दिए ठेके
जिगांव और गोसीखुर्द प्रकल्प को लेकर वीआईडीसी के अधिकारियों ने सरकार से मंजूरी िलए बिना निविदा मंगवाने के विज्ञापन जारी किए। कोई भी प्रक्रिया पूरी किए बिना और अपात्र कंपनियों को संयुक्त उपक्रम अंतर्गत ठेके दिए। एक ही कंपनी ने अलग-अलग कंपनियों के नाम से निविदा भरी। इसके लिए लगने वाली अमानत राशि एक ही कंपनी ने जमा की। निविदा प्रक्रिया की स्पर्धा खत्म कर ठेके दिए गए। इस दौरान प्रत्येक निविदा प्रक्रिया में दर्शाए गए मूल्य से 5 प्रतिशत अधिक दर से निविदा भरी गई। उसे मंजूर भी किया गया। गोसीखुर्द प्रकल्प अंतर्गत 195 करार में से 145 करार में गैर-प्रकार किया गया। इस कारण शुरू में 480 करोड़ का बोझ सरकार को सहन करना पड़ा। गुणवत्तापूर्ण काम के नाम पर ज्यादा दर से ठेका दिया गया।  लेकिन प्रत्यक्ष में निकृष्ट दर्जे का निर्माणकार्य किया गया, इसका खुलासा मेंढगिरी समिति ने अपनी रिपोर्ट में किया। इसके लए वीआईडीसी के सभी अधिकारियों को जिम्मेदार बताया गया। इसके बाद तत्कालीन जलसंपदा मंत्री अजित पवार की इस गैर-व्यवहार में भूमिका स्पष्ट करने के लिए विभाग के सचिव से एसीबी ने अभिप्राय मांगा था। 

सीधे अपने पास मंगवाई फाइलें
महाराष्ट्र गवर्नमेंट रुल्स ऑफ बिजनेस एंड इंफ्रास्ट्रक्चर के नियम 10 (1) अनुसार प्रत्येक विभाग के कामकाज के लिए संबंधित विभाग का मंत्री जिम्मेदार होता है। इसके अलावा नियम-14 अनुसार ऐसे प्रकरण सचिव को संभालने व जांच-पड़ताल करनी होती है। इसके बाद उक्त प्रकरण को सचिव द्वारा खुद मंत्री के पास ले जाना चाहिए। वीआईडीसी कानून की धारा 25 अनुसार राज्य सरकार को वीआईडीसी के काम में हस्तक्षेप कर आदेश देने का अधिकार है। जलसंपदा विभाग अंतर्गत प्राप्त हुए 11 नवंबर 2005 के एक दस्तावेज अनुसार अजित पवार ने ‘विदर्भ के प्रकल्पों के कामों को गति देने के लिए त्वरित निर्णय लेने के लिए उक्त फाइलें कार्यकारी संचालक को अध्यक्ष के कार्यालय में सीधे भेजने के आदेश दिए थे’। सिंचाई प्रकल्प की फाइलें सचिव के निरीक्षण से मंत्री के पास जाना आवश्यक था। लेकिन वे बिना निरीक्षण सीधे अजित पवार के पास गई और उसे मंजूर भी दी गई। वीआईडीसी अंतर्गत ठेका मिलने वाले अनेक ठेकेदारों ने सभी प्रक्रिया टालकर अनेक कामों को इसी तरह अनुमति प्राप्त की। दस्तावेजों से यह सामने आया। अनेक दस्तावेजों पर वीआईडीसी के संचालक अथवा सचिव की टिप्पणी नहीं होने के बावजूद अजित पवार ने हस्ताक्षर किए। इस कारण विदर्भ के सिंचाई प्रकल्पों की कीमतें बढ़ी हंै। तीन दशक से प्रकल्प पूर्ण नहीं हुए है। इसके लिए अजित पवार जिम्मेदार होने का उल्लेख प्रतिज्ञा-पत्र में किया गया है। 

Created On :   28 Nov 2018 5:32 AM GMT

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