छत्तीसगढ़ : रमन सरकार में भी 11 संसदीय सचिव, हाईकोर्ट आज करेगा सुनवाई

High Court hearing on 11 Parliamentary Secretary in Chhattisgarh
छत्तीसगढ़ : रमन सरकार में भी 11 संसदीय सचिव, हाईकोर्ट आज करेगा सुनवाई
छत्तीसगढ़ : रमन सरकार में भी 11 संसदीय सचिव, हाईकोर्ट आज करेगा सुनवाई

डिजिटल डेस्क, रायपुर। छत्तीसगढ़ की रमन सिंह सरकार में 11 संसदीय सचिवों के अपॉइटमेंट को लेकर मंगलवार को बिलासपुर हाईकोर्ट में सुनवाई होनी है। छत्तीसगढ़ में संसदीय सचिवों के अपॉइटमेंट को लेकर 4 पिटीशन फाइल कर इन संसदीय सचिवों को असंवैधानिक बताया है। इस मामले में हाईकोर्ट पहले ही इन संसदीय सचिवों के कामकाज पर रोक लगा चुकी है। बता दें कि हाल ही में दिल्ली के 20 विधायकों को भी संसदीय सचिव पर अपॉइंट किया गया था, जिसके बाद इनकी सदस्यता रद्द कर दी गई है।


बीजेपी के 49 में से 11 विधायक संसदीय सचिव

छत्तीसगढ़ विधानसभा में 90 सीटें हैं और बीजेपी के पास यहां 49 विधायक हैं। बीजेपी के इन विधायकों में 11 विधायक संसदीय सचिव के पद बने हुए हैं। अगर दिल्ली की केजरीवाल सरकार की तरह ही छत्तीसगढ़ पर कोई एक्शन लिया जाता है, तो बीजेपी के पास यहां सिर्फ 38 विधायक रह जाएंगे और रमन सरकार खतरे में पड़ जाएगी। क्योंकि कांग्रेस के पास यहां 39 विधायक हैं और रमन सरकार पर एक्शन होने के बाद वो यहां की सबसे बड़ी पार्टी बन जाएगी। बता दें कि छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने पहले ही इन 11 विधायकों के कामकाज पर रोक लगा रखी है।

कांग्रेस ने की EC से मांग

दिल्ली की केजरीवाल सरकार पर इलेक्शन कमीशन के एक्शन लेने के बाद छत्तीसगढ़ कांग्रेस ने भी EC से मांग की थी कि वो संसदीय सचिवों के पद पर काम कर रहे इन विधायकों की सदस्यता रद्द करने की सिफारिश करे। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, रमन सरकार में 11 विधायक, जिन्हें संसदीय सचिव भी बनाया गया है, उनके लिए मंत्रालय में अलग से कैबिन है। 73,000 रुपए सैलरी के अलावा 11,000 रुपए अलग से और मंत्रियों को मिलने वाली ज्यादातर सुविधाएं मिलती रही हैं। अब छत्तीसगढ़ कांग्रेस ने भी इन विधायकों की सदस्यता रद्द करने की मांग की है। छत्तीसगढ़ कांग्रेस के प्रवक्ता शैलेष नितिन त्रिवेदी ने मीडिया को बताया था कि "अगर दिल्ली में इलेक्शन कमीशन संसदीय सचिवों की सदस्यता रद्द करने की सिफारिश कर सकता है, तो फिर छत्तीसगढ़ में क्यों नहीं? हम रमन सिंह से मांग करते हैं कि वो नैतिकता के आधार पर अपने संसदीय सचिवों से इस्तीफा लें।"

हाईकोर्ट ने कामकाज पर लगा रही है रोक

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने इन 11 संसदीय सचिवों के कामकाज पर रोक लगा रखी है। दरअसल, कांग्रेस नेता और पूर्व विधायक मोहम्मद अकबर ने इस मुद्दे पर छत्तीसगढ़ के राज्यपाल के पास 22 अलग-अलग याचिकाएं दायर की थीं, लेकिन इन्हें इलेक्शन कमीशन के पास भेजा नहीं गया। जिसके बाद मोहम्मद अकबर ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया और कोर्ट में याचिका दायर की। मोहम्मद अकबर ने अपनी पिटीशन में हाईकोर्ट से मांग की कि जब तक संसदीय सचिव से जुड़े मामले पर अंतिम फैसला नहीं आ जाता, तब इन्हें मिलने वाली सुविधाओं और उनके कामकाज पर रोक लगाई जाए। इसके बाद अगस्त 2017 में छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने 11 संसदीय सचिवों के कामकाज करने पर रोक लगा दी। बता दें कि इस मामले में अभी हाईकोर्ट का अंतिम फैसला आना बाकी है।

दिल्ली में 20 विधायक हो चुके हैं "अयोग्य"

इसी महीने इलेक्शन कमीशन ने आम आदमी पार्टी के 20 विधायक, जो संसदीय सचिव पर अपॉइंट थे, उनकी सदस्यता रद्द करने की सिफारिश की थी। इलेक्शन कमीशन की सिफारिश पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने भी इन 20 विधायकों को "अयोग्य" ठहराते हुए इनकी सदस्यता रद्द कर दी थी। फिलहाल इन 20 विधायकों ने दिल्ली हाईकोर्ट में पिटीशन फाइल की है और इस पर भी मंगलवार को सुनवाई हो सकती है।

क्या होता है संसदीय सचिव?

दरअसल, संसदीय सचिव का पद वित्तीय लाभ का पद होता है और वो जिस भी मंत्री के साथ जुड़ा होता है, उसके कामों में उसकी मदद करता है। मंत्री के मदद करने के बदले में उसे सैलरी, कार और वाकी जरूरी सुविधाएं भी मिलती हैं। मंत्री के पास ये अधिकार होता है कि वो किसी भी व्यक्ति को अपना संसदीय सचिव नियुक्त कर सकता है। 

Created On :   30 Jan 2018 4:56 AM GMT

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