मेलघाट में रेलवे लाइन बनाने पर हाईकोर्ट ने सरकार को लगाई फटकार

High court lambast government for making railway line at Melghat
मेलघाट में रेलवे लाइन बनाने पर हाईकोर्ट ने सरकार को लगाई फटकार
मेलघाट में रेलवे लाइन बनाने पर हाईकोर्ट ने सरकार को लगाई फटकार

डिजिटल डेस्क, नागपुर। बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर बेंच में मेलघाट के जंगलों (बफर जोन) से रेलवे लाइन बनाने का विरोध करती प्रमोद जुनघरे द्वारा दायर जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। इसमें मुद्दा उठा कि रेलवे लाइन के कारण वन्यजीवों को नुकसान होगा, बड़ी संख्या में पेड़ों की कटाई करनी पड़ेगी। इस मुद्दे पर  राज्य सरकार की ओर से कोर्ट में कोई ठोस भूमिका नहीं ली गई, जिससे नाराज हाईकोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि वन्यजीवों और जंगल के प्रति राज्य सरकार इतनी असंवेदनशील क्यों है? हाईकोर्ट ने सरकार को दो सप्ताह में शपथपत्र प्रस्तुत कर अपनी भूमिका स्पष्ट करने का आदेश दिया है। 

यह है मामला 
याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट में दायर अपनी जनहित याचिका में दावा किया है कि रेलवे ने मध्यप्रदेश के खंडवा से महाराष्ट्र के आकोट के बीच मीटरगेज रेलवे 1 जनवरी 2018 से बंद कर दी है। इसका ब्रॉडगेज में रूपांतरण किया जा रहा है। रेलवे ने इस प्रस्ताव को मान्यता दी है, लेकिन इस कार्य के चलते 51 किमी दूरी तक रेलवे रूट मेलघाट के व्याघ्र प्रकल्प से होकर गुजरेगा। बफर जोन से गुजरने वाले इस रूट से बाघ व अन्य वन्यजीवों को खासा नुकसान होगा।

याचिकाकर्ता के अनुसार मेलघाट का व्याघ्र प्रकल्प मध्यप्रदेश के व्याघ्र प्रकल्प को जोड़ता है। प्राणी यहीं से आवागामन करते हैं। इस क्षेत्र में रेलवे लाइन के निर्माण से यह क्षेत्र तहस-नहस हो जाएगा। बड़ी संख्या में पेड़ काटने पड़ेंगे। कई वन्यजीवों से उनका निवास स्थान छिन जाएगा और आए दिन गाड़ियों से प्राणियों की दुघर्टना होगी। याचिकाकर्ता का आरोप है कि दक्षिण मध्य रेलवे ने इस क्षेत्र की जगह दूसरी ओर से यह लाइन ले जाने की तैयारी की थी। 21 जून 2018 को पर्यावरण मंत्रालय ने इसे मंजूरी भी दी थी, लेकिन फिर रेलवे लाइन को जंगल के बीच से ले जाने का निर्णय लिया गया। इसे याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। याचिकाकर्ता की ओर से एड. अश्विन इंगोले ने पक्ष रखा। 

Created On :   15 March 2019 7:55 AM GMT

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