हाईकोर्ट : उद्धव के शपथ ग्रहण में नियमों का उलंघन नहीं, जलगांव घरकुल घोटाले के आरोपियों को जमानत

High Court : No violation of rules during CM Uddhavs swearing
हाईकोर्ट : उद्धव के शपथ ग्रहण में नियमों का उलंघन नहीं, जलगांव घरकुल घोटाले के आरोपियों को जमानत
हाईकोर्ट : उद्धव के शपथ ग्रहण में नियमों का उलंघन नहीं, जलगांव घरकुल घोटाले के आरोपियों को जमानत

डिजिटल डेस्क, मुंबई। महानगरपालिका ने बांबे हाईकोर्ट को सूचित किया है कि 28 नवंबर को शिवाजी पार्क में मुख्यमंत्री उध्दव ठाकरे की शपथ विधि का कार्यक्रम का आयोजन नियमों के तहत किया गया था। इसके लिए राज्य सरकार से जरुरी मंजूरी ली गई थी। मनपा के सहायक आयुक्त ने इस संबंध में हलफनामा दायर कर कोर्ट को जानकारी दी है। हलफनामे में कहा गया है कि शिवाजी पार्क को विकास प्रारुप (डीपी) में मनोरंजन मैदान (आरजी) के रुप में चिन्हित किया गया है। यहां पर साल के 45 दिन खेल के अलावा अन्य कार्यक्रम आयोजित किए जा सकते हैं। जिन मामलों में मनपा के पास मंजूरी का अधिकार नहीं होता, ऐसे मामले मंजूरी के लिए राज्य सरकार के पास भेजे जाते हैं। शपथ ग्रहण समारोह के आवेदन को हमने राज्य के मुख्य सचिव के पास भेजा गया था। मुख्य सचिव ने इसे नगर विकास विभाग के पास भेजा था। इसके बाद मनपा को कार्यक्रम के मंजूरी को लेकर जानकारी दी गई थी। पिछले तीन सालों में एक बार भी शिवाजी पार्क में कार्यक्रम आयोजित करने की 45 दिन की सीमा का उल्लंघन नहीं हुआ है। हलफनामें में याचिका का विरोध किया गया है और उसे खारिज करने की मांग की गई है। वीकाम ट्रस्ट नामक गैर सरकारी  संस्था ने इस मामले को लेकर हाईकोर्ट में जनहित याचिका याचिका दायर की है। याचिका में कहा गया है कि शिवाजी पार्क एक खेल का मैदान है यहां पर राजनीतिक रैलियों के आयोजन पर रोक लगाई जाए। शिवाजी पार्क में लाउडस्पीकर के इस्तेमाल पर भी प्रतिबंध लगाया जाए और ध्वनि प्रदूषण से जुड़े नियमों का उल्लंघन करनेवालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए। मामले की पिछली सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने खेल के अलावा अन्य गतिविधियों के लिए शिवाजी पार्क के इस्तेमाल को लेकर चिंता जाहिर की थी और मनपा को हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया था। सोमवार को यह याचिका न्यायमूर्ति एससी धर्माधिकारी की खंडपीठ के सामने सुनवाई के लिए आयी। इस दौरान याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि उन्हें हलफनाम का जवाब देने के लिए वक्त दिया जाए। इसके बाद खंडपीठ ने मामले की सुनवाई 8 जनवरी तक के लिए स्थगित कर दी। 

जलगांव घरकुल घोटाले के दो आरोपियों को मिली जमानत - 60 फीसदी सजा पूरी 

बांबे हाईकोर्ट ने जलगांव के घरकुल घोटाले के मामले में दोषी पाए गए दो आरोपियों को जमानत प्रदान की है। जिन दो आरोपियों को जमानत प्रदान की गई है उनके नाम राजेंद्र मयूर व जगन्नाथ वानी है। इन दोनों ने खराब सेहत को आधार बनाकर कोर्ट में जमानत के लिए आवेदन किया था। इन दोनों आरोपियों ने खानदेश बिल्डर के एजेंट के तौर पर कामकाज देखा था। इस कंपनी को मनपा ने घरकुल प्रोजेक्ट के लिए 35 करोड रुपए का भुगतान किया था। राजेंद्र मयूर की उम्र 78 साल है जबकि जन्नाथ वानी 80 साल का है। राजेंद्र मयूर ने जमानत आवेदन में दावा किया था कि उनकी एंजियोप्लास्टी हुई है। उन्हें स्पाइन व न्यूरोलाजी से जुड़ी तकलीफ भी है। जबकि वानी ने कहा था कि उन्हें डायबिटिज व हाइपरटेंशन की तकलीफ है। इन दोनों को धुले कोर्ट ने 31 अगस्त 2019 को सात साल के कारावास की सजा सुनाई थी। जिसके खिलाफ इन्होंने हाईकोर्ट में अपील की थी। सजा सुनाए जाने के पहले से ये जेल में थे। न्यायमूर्ति आरवी मोरे व न्यायमूर्ति सुरेंद्र तावडे के सामने दोनों के आवेदन पर सुनवाई हुई। इस दौरान दोनों आरोपियों के वकील ने कहा कि उनके मुवक्किल उम्रदराज है और उनका स्वास्थ्य भी ठीक नहीं है। इसके अलावा दोनों ने अपनी 60 प्रतिशत सजा पूरी कर ली है। इसलिए इन्हें जमानत पर रिहा किया जाए। दोनों आरोपियों के वकील ने कहा कि उनके मुवक्किल पर भारतीय दंड संहिता की धारा 409 के तहत 40 करोड़ रुपए का जुर्माना गलत तरीके से लगाया गया है। वहीं सरकारी वकील ने दोनों आरोपियों की जमानत का विरोध किया। मामले से जुड़े दोनों पक्षों को सुनने के बाद खंडपीठ ने कहा कि दोनों आरोपी अपनी 60 प्रतिशत सजा पूरी कर चुके है। इसलिए वे धारा 436ए के तहत जमानत का लाभ पाने के हकदार है। यह कहते हुए खंडपीठ ने दोनों आरोपियों  की सजा पर रोक (स्थगित)  लगाते हुए पांच लाख रुपए के मुचलके पर जमानत प्रदान कर दी। 

12 साल की बच्ची को हाईकोर्ट से मिली गर्भपात की इजाजत, दुष्कर्म की हुई थी शिकार 

इसके अलावा बांबे हाईकोर्ट ने दुष्कर्म के चलते गर्भवती हुआ 12 साल की एक बच्ची को 28 सप्ताह के गर्भपात की अनुमति प्रदान कर दी है। हाईकोर्ट ने  कहा कि यदि पीड़ित बच्ची को गर्भपात की अनुमति नहीं प्रदान की गई तो उसके मानसिक व शारिरीक स्वास्थ्य पर गंभीर असर पड़ सकता है। इसके अलावा यह उसके गरिमा के साथ जीवन जीने के अधिकार को भी प्रभावित करेगा। न्यायमूर्ति केके तातेड व न्यायमूर्ति सारंग कोतवाल की खंडपीठ ने यह निर्देश देते हुए पीड़िता को गर्भपात के लिए पुणे के सूसन अस्पताल में जाने का निर्देश दिया है। इस दौरान खंडपीठ ने मामले को लेकर कोर्ट के पुराने आदेशों का भी हवाला दिया। इससे पहले खंडपीठ ने अस्पताल के मेडिकल बोर्ड को बच्ची की जांच करने का निर्देश दिया था। मेडिकल बोर्ड से मिली रिपोर्ट के आधार पर खंडपीठ ने पीड़ित बच्ची को गर्भपात की अनुमति प्रदान की है। खंडपीठ ने कहा कि यदि गर्भपात के दौरान बच्चा जीवित निकल आता है तो सरकार की एजेंसियां उसकी देखरेख की जिम्मेदारी और उसे जरुरी उपचार उपलब्ध कराए। खंडपीठ ने इस मामले को दुर्भाग्य पूर्ण बताते हुए कहा कि चूंकी पीड़िता दुष्कर्म का शिकार हुई इसलिए मेडिकल टेस्ट के लिए भ्रूण के नमूने लिए जाए। जिससे बाद में डीएनए जांच कराई जा सके। 

Created On :   10 Dec 2019 3:30 PM GMT

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